देखिए वीडियो…, कभी कभी कुछ ऐसी घटनाएं सामने आ जाती है, जो मानवता को शर्मसार कर जाती हैं।
सोमवार की सुबह भी कुछ ऐसा ही नजारा तीन नाबालिग दोस्तों ने देखा। गांधी पार्क से गुजरते हुए उन्होंने किसी बच्चे की चींख-चींखकर रोने की आवाज सुनी। उन्होंने महसूस किया कि बच्चा मुश्किल में है। पास जाकर देखा तो सुनसान जगह पर झाड़ियों के बीच एक नवजात बिलकुल अकेला पड़ा था। इस बच्चे के जिस्म में चिपकी चीटियां उसे नोच रही थी। यहां तक कि उसके जीभ और होंठों को भी चीटियां काट रहीं थी। यह देखकर तीनों डर गए पर उन्होंने संवेदनशीलता दिखाई। उन्होंने तत्काल बच्चे को गोद में लिया, मुंह साफ किया, चिटियों को हटाया, फिर पास के अस्पताल पहुंच गए और इस तरह बच्चे की जान बचाई।
सोमवार को सामने आई यह घटना राजस्थान के दौसा जिले की है। इस जिले के अंतर्गत बांदीकुई क्षेत्र में सोमवार की सुबह करीब 11 बजे एक नवजात झाड़ियों में मिला। तेज धूप में पड़े बच्चे के मुंह में चींटियां थीं, जो उसकी जीभ और होंठ को बुरी तरह से काट रही थीं। इस बीच तीन दोस्त विक्की प्रजापत (17 वर्ष), संजय मीणा (18वर्ष) और अजीत बैरवा (17वर्ष) बांदीकुई स्टेशन की तरफ जा रहे थे। बच्चे के रोने की आवाज सुनकर पहुंचे और उसे देखते ही पहले तो उनके होश उड़ गए। फिर थोड़ा खुद को संभाला, फिर बिना वक्त गंवाए उन्होंने बच्चे को गोद में उठाया। रुमाल से उसका चेहरा और शरीर साफ किया। मुंह और होंठों पर लगी चींटियां हटाईं और बांदीकुई राजकीय हॉस्पिटल लेकर पहुंच गए। अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ ने बताया कि यह बच्चा करीब 7 दिन का है और यह लड़का है। चींटियों के काटने से उसके मुंह पर गहरा घाव हो गया है। शरीर पर भी कुछ जगह रगड़ने के निशान हैं। फिलहाल बच्चे की हालत में सुधार दिख रहा है। बांदीकुई हॉस्पिटल के नर्सिंग ऑफिसर ने बताया कि जब उसे लेकर आए तब भी इसके शरीर पर चींटियां चिपकी थीं। बच्चा दर्द से तड़प रहा था और भूखा भी था। मेडिकल स्टाफ ने बच्चे के शरीर और मुंह से सारी चींटियां हटाईं। दूध मंगाकर उसको पिलाया। दूध पीकर बच्चे ने रोना बंद कर दिया और उसकी हालत में सुधार हो रहा है।