कोरबा। सरल-सजह, रुचिकर होने के साथ शहद की तरह शुद्धता और मिठास से लबरेज हिंदी के दुनियाभर के भाषा प्रेमी कायल हैं। यही वजह है जो 52 अक्षरों की वर्णमाला के रहस्यों के पार जाने हिंदी हमेशा से शोध एवं अनुसंधान का केंद्र रही है। शुक्रवार 21 मार्च को आयोजित हिंदी के पर्चे में काॅलेज के परीक्षार्थियों को कुछ ऐसे ही इंटरेस्टिंग सवाल हल करने को मिले। इनमें एक सवाल यह भी था, जिसमें पूछा गया था कि नाखून क्यों बढ़ते हैं, इस निबंध में लेखक आखिर क्या कहना चाहते हैं। इस सवाल के विकल्प में पूछा गया कि इस निबंध में मानव मन में निहित भावना को लेकर किस प्रकार से प्रकट करते हैं।
अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय बिलासपुर अंतर्गत 20 मार्च से कॉलेजों की मुख्य परीक्षा 2025 शुरू हो चुकी हैं। दूसरे दिन यानी शुक्रवार की सुबह 7 बजे से सुबह 11 बजे की पाली में आयोजित फाउंडेशन कोर्स हिंदी भाषा बीए द्वितीय वर्ष की परीक्षा में यह प्रश्न पूछा गया था। पर्चे के पहले ही पन्ने में प्रश्न एक- क में यह अनोखा सवाल शामिल किया गया था। यह प्रश्न आठ अंक का था, जिसमें परीक्षार्थियों से उस लेख से जुड़ी बात जानने का प्रयास किया गया था, जिसके रचनाकार आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी हैं।
कल्पलता निबंध-संग्रह में शामिल विचार-प्रधान और व्यक्तिनिष्ठ निबंध
नाखून क्यों बढ़ते हैं, निबंध के रचनाकार रचनाकार आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी हैं। यह निबंध उनके कल्पलता निबंध-संग्रह में शामिल है। यह निबंध-संग्रह साल 1951 में प्रकाशित हुआ था। यह विचार-प्रधान और व्यक्तिनिष्ठ निबंध है।लेखक की छोटी लड़की ने जब पूछ दिया कि आदमी के नाखून क्यों बढ़ते हैं, तो लेखक असमंजस में पड़ गए। छोटी लड़की के प्रश्न ने उन्हें सोचने को विवश कर दिया कि सचमुच ये नाखून बार-बार काटने पर भी क्यों इस प्रकार बढ़ा करते हैं।
नाखून का बढ़ना पशुता की निशानी है और काटना मनुष्यता की। अस्त्र-शस्त्र के निर्माण की होड़ मनुष्य का ऐसा आचरण है, जिसके मूल में पाशविक वृत्ति है।