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TCS जैसे प्राइवेट सेक्टर में भी नाइट अलाउंस कोल इंडिया से ज्यादा, वहां 360 तो CIL दे रहा ₹ 50 प्रति नाईट शिफ्ट : सुब्रत दाश

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SECL कोरबा इंटक जेसीसी मानिकपुर के सुब्रत कुमार दाश की कलम से, कहा – श्रमिक हित के लिए दशकों से आवाज उठा रहा इंटक सभी कोल कर्मियों के दिल में राज करेगा, जो श्रमिकों के अस्तिव से जुड़ा था, जुड़ा है, और जुड़ा रहेगा।

कोरबा। SECL कोरबा इंटक जेसीसी मानिकपुर के सुब्रत कुमार दाश ने कहा कि वर्तमान में पीएलआर बोनस के लिए मजदूरों के समक्ष जो कठिनाइयां पेश आ रही हैं उसके लिए प्रबंधन जिम्मेदार नहीं है, बल्कि हमारे बाक़ी की चार यूनियन यह नहीं चाहती, कि इंटक इसमें शामिल हो। भीतर की बात तो यह है कि लोग यही प्रयास में हैं की इंटक शामिल ही न हो। अन्यथा बाकी यूनियनों का भविष्य पड़ सकता है।

उनका कहना है कि बीते 7-8 सालों में अगर सारे यूनियन मजदूरों के साथ धोखा कर उन्हें हर साल बोनस और वेज बोर्ड में नुकसान पहुंचाने पर तुले हुए हैं। मुझे गर्व है मैं ऐसे इंटक यूनियन का प्रतिनिधि हूं, जिससे सारे यूनियन खौफ खाते हों।

भले ही मौजूदा सरकार का सहयोग न हो, पर इंटक सबसे पुराना यूनियन है और कोल कर्मियों का हमेशा से निस्वार्थ साथ देने वाला इक लौता संगठन है। एक यूनियन, जो आज़ादी के पहले, आज से 78 साल पहले 3 मई 1947 को बना हो और आज तक मजदूरों के हित केलिए हमेशा लड़ता रहा है, ऐसे यूनियन का श्रमिक हित में खड़े रहना कुछ यूनियन व कर्मियों को सहन नहीं हो रहा है। आज से पहले जितने भी वेज बोर्ड हुए, इसमें इंटक की महत्वपूर्ण भूमिका रही है? NCWA-10, 2016 की बात करें तो प्रबंधन अपनी मनमानी से सारे यूनियन से अनुचित शर्तों के बीच वेज बोर्ड पर हस्ताक्षर करा लेता है और कुछ जगहों पे लॉकिंग के साथ, ऐसा क्यों? पर्क अलाउंस लॉक, नाईट अलाउंस, ट्रांसपोर्ट अलाउंस, सब कुछ प्रबंधन की सोच और सहमति से वेज बोर्ड बना।

हक़ीक़त यह है कि किसी भी पीएसयू में नाईट अलाउंस कोल इंडिया से ज़्यादा ही है। यहां तक कि प्राइवेट फर्म में भी इससे ज्यादा है। मसलन टीसीएस उसका नाईट अलाउंस 360 रुपए प्रति नाईट शिफ्ट का है लेकिन कोल इंडिया में 50 रुपए है प्रति नाईट शिफ्ट। नियमानुसार किसी भी फॉर्म में नाईट अलाउंस का गणित कुछ ऐसा है जो (बेसिक+डीए) % 200 ) जो की हमारे लीडर्स को शायद पता भी नहीं होगा। ऐसे बहुत सारे मुद्दे हैं, जिन पर कर्मचारियों के साथ धोखा किया जाता है। ऐसा इसलिए होता है, क्यों कि एक अनुमानिक 80% कोल कर्मचारी आज भी जागरूक नहीं हैं। इसका फायदा ऐसे यूनियन के पदाधिकारी उठा रहे हैं और उनका साथ देने का झांसा देकर मजदूरों को गुमराह कर रहे हैं।

NCWA 11 को लागू हुए 4 साल से भी ऊपर हो गए, लेकिन VDA आज भी 20-22 प्रतिशत के अंदर है ऐसा क्यों? जिसकी नौकरी 40 साल बची है, वह अभी से 40000 CPRMSE में भुगतान करे। वह भी जबरन और हर महीने की वेतन में से कटौती कर, जिसका मोल आज से 40 साल बाद कई लाख या करोड़ों में हो जाएगी, वह आज क्यों अपने वेतन से कटौती करेगा, वह भी सिर्फ 8 लाख के लिए?

आज भी कई इकाई और क्षेत्र में हमें यह भी नहीं पता की हमें वेज रिवीजन NCWA 11 का वेज बोर्ड का क्या फायदा हुआ और कितने एरियर्स मिले? इसका स्लिप या डिटेल्स भी आज तक नहीं मिल सका। जब भी पूछा जाए तो ऑडिट नहीं हुआ है ऐसा कहा जाता है। यह सवाल इंटक के अलावा किसी और यूनियन ने नहीं उठाया। ऐसे यूनियन को मेरा सलाम। आशा है इंटक सभी कोल कर्मियों के दिल में राज करेगा, जो श्रमिकों के अस्तिव से जुड़ा था, जुड़ा है, और जुड़ा रहेगा।

(Disclaimer: यह लेख सुब्रत कुमार दाश की कलम से लिखा गया है। यह उनके अपने विचार हैं और इस लेख के किसी भी शब्द, तथ्य, सूचना और विचारों की प्रस्तुति को लेकर theValleygraph.com किसी भी प्रकार से जवाबदार नहीं है।)

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