विश्व निमोनिया दिवस आज
कोरबा। पारा गिर रहा है और साथ ही ठंड का प्रभाव बढ़ने के साथ ही सर्द हवाओं के चलते खासकर बच्चों और बुजुर्गों की सेहत पर असर भी दिखाई दे रहा है। स्व बिसाहुदास महंत स्मृति नवीन शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय कोरबा में ही इन दिनों प्रतिदिन निमोनिया के दस मामले दर्ज किए जा रहे हैं। ऐसे में इस आयु वर्ग के लिए देखभाल और सावधानी के ध्यान रखना लाजमी हो जाता है।
इन दिनों अस्पतालों में पहुंच रहे बच्चों में ज्यादातर बुखार, खांसी-जुकाम की शिकायत लेकर आते है। पर जानकारी के अभाव में परिजनों को पता नहीं चल पाता कि उनका बच्चा निमोनिया की चपेट में आ गया है। निमोनिया के शुरुआती लक्षण तेज बुखार के साथ खांसी-जुकाम दिखता है। बड़े लोगों में सांस फूलने से हफनी की स्थिति बनी रहती है। बच्चा मां का दूध पीना बंद कर देता है, क्योंकि निमोनिया की वजह से सांस नहीं ले पाता है। समय से लक्षण के आधार पर निमोनिया की पहचान कर ली जाए तो बिना भर्ती किए बच्चा स्वस्थ हो सकता है।
शरीर में ज्यादा देर तक रहने वाला बुखार निमोनिया का कारण बन सकता है। कोरोना काल के बाद इस तरह के केस लगातार बढ़ रहे हैं। खासकर बच्चों व बुजुर्ग निमोनिया से पीड़ित हो रहे हैं। ठंड में निमोनिया के केस बढ़ जाते हैं। मेडिकल कॉलेज अस्पताल के पीडियाट्रिक, मेडिसिन व सांस-छाती रोग विभाग में हर दिन औसतन निमोनिया के 10 से अधिक केस पहुंचते हैं। इसमें 20-30 फीसदी मरीजों को आईपीडी में भर्ती करना पड़ रहा है। बुखार पर ध्यान नहीं देने वाले लोग जब अस्पताल पहुंच रहे हैं, तो उनका ऑक्सीजन लेवल कम होने से वेंटिलेटर पर रखना पड़ रहा है। डॉक्टरों के मुताबिक निमोनिया बैक्टीरिया, वायरस या फंगस से हो सकता है, जो फेफड़ों में सूजन और तरल पदार्थ जमा होने का कारण बनता है। निमोनिया के खतरे को शुरूआती स्टेज पर ट्रेस होते ही सामान्य दवाई से रोका जा सकता है, बाद में यह जानलेवा हो सकता है।
स्व बिसाहुदास महंत स्मृति नवीन शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय कोरबा सह जिला चिकित्सालय के चेस्ट स्पेशलिस्ट डॉ. शशिकांत भास्कर के मुताबिक निमोनिया के सामान्य लक्षणों में तेज बुखार, खांसी, खांसी में खून आना, ठंड लगना, सांस लेने में तकलीफ और थकान शामिल है। इसके अलावा सीने में दर्द, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, मतली, उल्टी और दस्त के लक्षण भी हो सकते हैं। बच्चों में सांस लेने में परेशानी और छाती धंसना भी संकेत हो सकता है। निमोनिया के कारण सांस में तकलीफ और ऑक्सीजन लेवल गिरने लगता है क्योंकि फेफड़े में इंफेक्शन हो जाता है।
स्व बिसाहुदास महंत स्मृति नवीन शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय कोरबा सह जिला चिकित्सालय के शिशु रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. आरके वर्मा के मुताबिक बच्चों को ठंड या ठंडी हवा लगने से निमोनिया होता है। इससे सर्दी-खांसी, बुखार, उल्टी व सांस लेने में तकलीफ होती है। परिजनों को विशेष ध्यान देते हुए 5 साल तक के बच्चों को ठंडी जगह, ठंडी हवा से बचाना चाहिए। गर्म कपड़े पहनाकर रखना चाहिए, रात में सफर करने से बचना चाहिए। निमोनिया से बचाव के लिए वैक्सीनेशन जरूर कराना चाहिए।
जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एसएन केशरी के मुताबिक निमोनिया का ज्यादा खतरा बच्चों व बुजुर्गो को होता है। सामान्य बुखार-खांसी का समय पर इलाज नहीं होने से निमोनिया का रूप ले लेता है। बीमारी की पहचान शुरूआत में हो सके, इसके लिए मितानिनों को प्रशिक्षण देने के साथ ही दवा किट दी गई है। इसके तहत निमोनिया के केस भी ट्रेस किए जाते हैं, जिसमें बुखार-खांसी पर मितानिन मरीज को 2-3 दिन की दवा देती हैं। इसके बाद भी ठीक नहीं होने पर मरीज को अस्पताल लाकर चेकअप कराया जाता है। निमोनिया की पुष्टि होने पर फौरन इलाज शुरू किया जाता है।
निमोनिया के लक्षण
बड़ों को तीन-चार दिन बुखार, खांसी-जुकाम होने के साथ सीने में दर्द होता है।
दो माह से कम उम्र का बच्चा एक मिनट में 50 बार से ज्यादा सांस लेता है।
दो माह से 14 माह तक का बच्चा एक मिनट में 40 बार से ज्यादा सांस लेता है।
एक से पांच वर्ष तक का बच्चा एक मिनट में 35 बार से ज्यादा सांस लेता है।
छह से 12 वर्ष तक का बच्चा एक मिनट में 30 बार से ज्यादा सांस लेता है।
बच्चे की पसलियों के पास सांस लेते समय गड्ढा भी नजर आता है।