साइबर ठगी से बचने वक्त रहते जालसाजों से दूरी तो शिक्षक होने ने नाते सदाचार का ताबीज भी जरुरी है

Share Now

कमला नेहरु महाविद्यालय में बीएड द्वितीय वर्ष के छात्र-छात्राओं ने प्रायोगिक कार्य अंतर्गत प्रस्तुत किया ड्रामा

अपने विद्यार्थी को विषय की गहराई समझाने एक शिक्षक के लिए टाॅपिक को रोचक और मनोरंजक बनाकर प्रस्तुत करना अपेक्षाकृत सरल हो जाता है। यही वजह है जो बीएड की पढ़ाई में प्रशिक्षार्थियों के लिए ड्रामा या अभिनय पाठ का भी समावेश है। इसी कड़ी में गुरुवार को कमला नेहरु महाविद्यालय में बीएड द्वितीय वर्ष के छात्र-छात्राओं ने सामाजिक विज्ञान अंतर्गत साइबर फ्राॅड से बचाव, गणित के रुप व हिंदी में सदाचार का ताबीज टाॅपिक पर ड्रामा प्रस्तुत किया।


कोरबा(thevalleygraph.com)। गणित-अंग्रेजी हो या विज्ञान, उसमें कला का संगम हो जाए, तो जटिल थ्योरी को भी समझना सरल हो जाता है। टीचिंग में कॅरियर बनाने शिक्षा में स्नातक की पढ़ाई कर रहे बीएड के विद्यार्थियों के लिए यह काफी महत्वपूर्ण सबक है। इस बात को ध्यान में रखते हुए बीएड की पढ़ाई में ड्रामा या अभिनय पाठ का एक अहम रोल है। किसी विषय को पढ़ाते समय शिक्षक अगर टाॅपिक में ड्रामा की जरा सी मिलावट कर दे तो उसे मनोरंजक और रोचक बनाया जा सकता है, जो बच्चों को समझने में कारगत साबित होगा।

यही पाठ पढ़ाते हुए पेडागोजी अंतर्गत अपने-अपने विषय के छात्र-छात्राएं अभिनय पाठ यानि ड्रामा की प्रस्तुति दे रहे हैं। इसी कड़ी में गुरुवार को कमला नेहरु महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ प्रशांत बोपापुरकर के मार्गदर्शन में बीएड द्वितीय वर्ष के छात्र-छात्राओं ने पेडागोजी अंतर्गत अपने-अपने विषय में अभिनय पाठ प्रस्तुत किया। गणित में इंपाॅर्टेंस आॅफ मैथमेटिक्स, गणित के रुप, विज्ञान में मलेरिया से बचाव व जागरुकता और विज्ञान बनाम अंधविश्वास, हिंदी में सदाचार का ताबीज, अंग्रेजी में मदर्स डे तथा सामाजिक विज्ञान विषय पर साइबर क्राइम टाॅपिक पर अभिनय पाठ प्रस्तुत किया गया। बीएड द्वितीय वर्ष का प्रायोगिक कार्य सेल्फ आइडेंटिटी एंड द टीचर आर्ट एंड ड्रामा इन एजुकेशन पर फोकस है।


प्राचार्य डॉ प्रशांत बोपापुरकर ने कहा – विषय को सरल व रुचिकर बनाने की कला सीखना भी जरुरी
प्राचार्य डॉ प्रशांत बोपापुरकर ने कहा कि सीखने-सिखाने की प्रक्रिया में खासकर स्कूली बच्चों के लिए शिक्षा को रोचक रुप देकर विषय को सरल व रुचिकर बनाने की कला जरुरी है। ड्रामा के माध्यम से अपने शिक्षण को कैसे रुचिकर बनाएं, बीएड प्रशिक्षार्थियों को यही कौशल सिखाना इस प्रस्तुति का प्रमुख उद्देश्य है। प्राचार्य के मार्गदर्शन में आयोजित कार्यक्रम के दौरान प्राध्यापक सहायक प्राध्यापक उपस्थित रहे।


Share Now
Aakash Pandey

Recent Posts

करीब साढ़े 6 घंटे लेट आई लिंक एक्सप्रेस, क्योंकि ट्रैक पर अचानक आ गिरा था पत्थर, पायलट ने आपात ब्रेक लगाकर टाला बड़ा हादसा

शुक्रवार को विशाखापत्तनम से कोरबा लौट रही लिंक एक्सप्रेस करीब साढ़े 6 घंटे लेट से…

2 hours ago

3 माह के भीतर अपने घर में रूफटॉप सोलर प्लांट लगवाएं बिजलीकर्मी, नहीं तो बिजली बिल में विशेष रियायत रद्द

परंपरागत बिजली की बचत, सूर्य की मुक्त व नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा एवं…

2 hours ago

रक्षाबंधन पर ‘बहिनी मन संग राखी के तिहार’ का आयोजन, मंत्री लखन ने कोरबा की बहनों को भेजा आमंत्रण

कोरबा नगर विधायक और उद्योग एवं श्रम मंत्री लखन लाल देवांगन ने दी रक्षाबंधन की…

3 hours ago

ओंकारेश्वर की बेटी आद्रिका सिंह ने बढ़ाया मान, इनलाइन स्केटिंग में जिला चैंपियन बन राज्य स्तर के लिए चयनित

ओंकारेश्वर नगर के लिए गर्व का क्षण तब आया, जब यहाँ की होनहार बालिका आद्रिका…

12 hours ago