10 साल के कुत्ते ने किया रक्तदान और बचाई रक्त रोग से पीड़ित 10 महीने के बीमार लियो की जान

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10 साल के एक कुत्ते ने भी रक्तदान कर अनुकरणीय अच्छी मिसाल पेश की है। उसने केवल 10 महीने के बीमार लियो नामक doberman कुत्ते को बल्ड डोनेट कर उसकी जान बचाई। लियो रक्त की कमी से पीड़ित है। उसकी जिंदगी सुरक्षित करने वाला यह कुत्ता कोको नामक गोल्डन रिट्रीवर है, जिसके रक्त से लियो कौननया जीवन मिला।


कोलकाता। दो दिन पहले, यानी सोमवार को ही कोलकाता के एक पशु अस्पताल में 10 वर्षीय गोल्डन रिट्रीवर के रक्त से 10 महीने के बीमार डोबर्मन को नया जीवन मिला। लियो नामक डोबर्मन रक्त रोग से पीड़ित था और सोमवार को उसका हीमोग्लोबिन स्तर 3 तक गिर गया था और उसे तत्काल रक्त आधान की आवश्यकता थी। किसी कुत्ते में सबसे कम सुरक्षित हीमोग्लोबिन स्तर 14.1 है।


यहां बताना लाजमी होगा कि दाता, कोको नामक गोल्डन रिट्रीवर को साल्ट लेक में एनिमल हेल्थ पैथोलॉजिकल लैब में लाया गया, जहाँ प्रक्रिया पूरी की गई।


कुत्तों में रक्तदान के लिए आदर्श उम्मीदवार…

पशु चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि कुत्तों में रक्तदान के लिए आदर्श उम्मीदवार वे हैं जिनका वजन 22.6 किलोग्राम से अधिक हो, टीके लग चुके हों, हृदय की धड़कन न हो, दवा, संक्रामक रोग, परजीवी और रक्त जनित रोग न हों, एक स्थान पर शांति से बैठ सकें और जो डीईए 1 नेगेटिव हों।

तृणमूल नेता कुणाल घोष ने बुधवार सुबह अपने सोशल मीडिया हैंडल पर दोनों कुत्तों की तस्वीरें साझा कीं। घोष ने लिखा, “मैं पालतू जानवरों का प्रेमी हूं। घोष ने बताया कि लियो को पूरी तरह से ठीक होने के लिए डायलिसिस और कीमोथेरेपी की आवश्यकता होगी। वैज्ञानिकों ने अब तक कुत्तों में एक दर्जन से अधिक रक्त समूहों की पहचान की है और अधिक की पहचान करने के लिए शोध जारी है। वेबसाइट पेटएमडी के अनुसार, कुत्तों में रक्त के प्रकार आनुवंशिक होते हैं और विरासत के जटिल पैटर्न होते हैं। प्रत्येक रक्त समूह स्वतंत्र रूप से विरासत में मिलता है, जिसका अर्थ है कि एक कुत्ते में 12 प्लस रक्त समूहों का कोई भी संयोजन हो सकता है।


पशु चिकित्सक आमतौर पर किसी भी गंभीर प्रतिरक्षा समस्या से बचने और दाता और प्राप्तकर्ता की समग्र संगतता की जांच करने के लिए क्रॉसमैचिंग करते हैं।


इस स्थिति में हो सकती हैं एलर्जी प्रतिक्रियाएं 

पशु चिकित्सकों का कहना है कि अगर DEA 1 पॉजिटिव रक्त को DEA 1 नकारात्मक वाले कुत्ते को दिया जाता है, तो नए चढ़ाए गए रक्त कोशिकाओं की प्रभावशीलता से समझौता हो सकता है और गंभीर एलर्जी प्रतिक्रियाएं हो सकती हैं। किसी बीमार कुत्ते को चढ़ाए जाने वाले खून की कुल खुराक उसके आकार और नुकसान हुए रक्त की मात्रा पर निर्भर होती है। यह एक खास समय अवधि में दिया जाता है। साथ ही यह सुनिश्चित करने के लिए कुत्ते की बारीकी से निगरानी की जाती है कि उसे कोई एलर्जी प्रतिक्रिया तो नहीं है।


सेहत से जुड़ी कई परेशानियों के लिए और कुत्ते को ठीक होने में सहायता के लिए एक बार का रक्त आधान ही काफी होता है। कुछ रोगों में जहां लगातार रक्त की हानि होती है या रक्त कोशिकाओं का नुकसान होता है, उन्हें बार-बार रक्त आधान की भी आवश्यकता हो सकती है।


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Aakash Pandey

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