पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान के स्टूडेंट होने के नाते यह लाजमी है कि आप सभी एआई की बारीकियों को जानें-समझें और उसके इस्तेमाल में पारंगत बनें: डाॅ शालिनी शुक्ला


देखिए video…कमला नेहरु महाविद्यालय में अटल विवि की लाइब्रेरियन डाॅ शालिनी शुक्ला ने प्रदान किया मार्गदर्शन


कृत्रिम बुद्धिमत्ता अर्थात आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), सूचना विज्ञान में आज के दौर का सबसे करंट विषय है, जिसमें महारत हासिल हो तो चाहा गया इंफाॅर्मेशन करंट की रफ्तार से आपकी स्क्रीन पर होगा। अब, चूंकि विज्ञान वरदान भी है और अभिशाप भी, तो एआई की भी कुछ खामियां और लिमिटेशंस हैं, जिसकी वजह से यूजर्स कंफ्यूज हैं तो विशेषज्ञों में बहस छिड़ी हुई है। उचित-अनुचित चाहे जो भी हो, इस सच्चाई को झुठलाया अथवा अनदेखा नहीं किया जा सकता कि हमारा और भावी पीढ़ी का भविष्य एआई के हाथों में जाने वाला है। इसलिए लाजमी यही होगा कि हम स्वयं, स्टूडेंट्स और अपने बच्चों का सही ज्ञानवर्धन कर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रति साक्षर बनाने के साथ सजग-सतर्क बनें। खासकर पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान के स्टूडेंट होने के नाते यह आपकी न केवल जिम्मेदारी है, बल्कि कल की अनिवार्य जरुरत भी है कि एआई की बारीकियों को जानें-समझें और उसके इस्तेमाल में आज से ही पारंगत बनने की कोशिश में जुट जाएं।


कोरबा(thevalleygraph.com)। यह बातें मंगलवार को कमला नेहरु महाविद्यालय में पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान के विद्यार्थियों को मार्गदर्शन प्रदान करते हुए अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय बिलासपुर (Atal Bihari Vajpayee University, Bilaspur) से आईं लाइब्रेरियन डाॅ शालिनी शुक्ला ने कहीं। पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान बनाम कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) के विषय में खासकर पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान पर एआई के बढ़ते कदम से पड़ रहे प्रभाव पर उन्होंने संक्षिप्त व्याख्यान दिया। डाॅ शुक्ला ने इस बात पर फोकस किया कि हम एआई की खामियों पर बात करने की बजाय उसकी खूबियों और उपयोगिता पर अपना परिश्रम इंवेस्ट करना चाहिए। कमला नेहरु महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ प्रशांत बोपापुरकर के दिशा-निर्देश पर आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक मनीष कुमार पटेल व रामकुमार श्रीवास मौजूद रहे।


डाॅ शालिनी शुक्ला ने पंडित सुंदरलाल शर्मा विश्वविद्यालय से डाॅक्टोरेट की उपाधि प्राप्त कर यहीं से कॅरियर शुरु किया। उन्होंने वर्ष 2006 से 2023 तक पंडित सुंदरलाल शर्मा विश्वविद्यालय और उसके बाद से अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय बिलासपुर में बतौर लाइब्रेरियन सेवा प्रदान कर रहीं हैं।


तब किताबों के ढेर में सुकून-शांति के बीच ज्ञान की खोज का अपना ही आनंद था: डाॅ शालिनी शुक्ला

डाॅ शालिनी शुक्ला ने आगे कहा कि एक वक्त था, जब अध्ययन-अध्यापन और खोज में रुचि रखने वाले शोधकर्ता अथवा विद्यार्थी, पाठक की भूमिका में सुबह-शाम ही नहीं, देर रात तक लाइब्रेरी में ही वक्त बिताया करते थे। किताबों के ढेर में सुकून और शांति के बीच ज्ञान की खोज का अपना ही आनंद होता है। यह परंपरा आज के स्मार्टफोन के जमाने में लुप्त होती जा रही है। जिस सूचना की तलाश में हमें रैक की ढेर सारी किताबों को खंगालना पड़ता था, आज इंटरनेट की डिजिटल दुनिया में कुछ शब्द लिखकर सर्च करते ही कुछ पल में स्क्रीन पर होती है। डाॅ शुक्ला ने विद्यार्थियों से कहा कि निस्संदेह पढ़ने की आदत जीवन में बनाए रखें पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) को भी अपने जीवन में जरुर शामिल करें।


आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में कुशलता हासिल करें और एआई आदर्श उपभोक्ता बनें: डाॅ प्रशांत बोपापुरकर

इस अवसर पर कमला नेहरु महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ प्रशांत बोपापुरकर ने छात्र-छात्राओं को मार्गदर्शन प्रदान करते हुए एआई और पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान के बीच तालमेल की जरुरत बताई। उन्होंने कहा कि एआई तकनीक के इस्तेमाल से अब आपके काम की बात सिर्फ एक शब्द लिखते ही विस्तार से आपके सामने आ जाती है। इसलिए यह जरुरी हो जाता है कि आप भी कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) के आदर्श उपभोक्ता बनें और अपने परिवार-साथियों और सहपाठियों को भी एआई के इस्तेमाल में माहिर करने में मददगार बनें। खासकर पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान की पढ़ाई में यह आपके उम्दा भविष्य के लिए काफी अहम हो जाता है कि एआई तकनीक के सदुपयोग में आप कुशलता हासिल करें।


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