“एक दिन पहले कोरबा नगर निगम के सभापति चुनाव में हितानंद अग्रवाल की करारी हार के बाद यह तो स्पष्ट हो गया कि अब जबरन थोपे जाने वाले नेताओं की कोरबा में अब नहीं चलने वाली।”
कोरबा। भाजपा के सभी पार्षदों ने इस बार जमीनी कार्यकर्ता वाले किसी भी पार्षद को सभापति बनाने के मूड में थे। हितानंद अग्रवाल के खिलाफ एक दिन पहले भाजपा पार्षदों का जो गुस्सा दिखा वो एक दिन या कोई सुनियोजित नहीं था। दरअसल बीते 5 साल में हितानंद अग्रवाल के पास विपक्ष की कमान थी। लेकिन इस कार्यकाल में निगम में विपक्ष हितानंद अग्रवाल तक सीमित रही। एक नहीं कई ऐसे मौके सामने आए जब हितानंद के कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के बीच सुर ताल मिलते रहे। ताजा मामला हितानंद अग्रवाल के कोसाबाड़ी के पेट्रोल पंप के समाने सड़क डिवाइडर को हटाने का था। पूरे शहर में इस सांठगांठ की चर्चा थी, की नेता प्रतिपक्ष के लिए कांग्रेस के विधायक, मंत्री और महापौर इतने दरियादिल क्यों?जब विपक्ष के पार्षद के वार्ड में काम नहीं हो रहे थे तब हितानंद के वॉर्ड में धड़ल्ले से कार्य हो रहे थे।
पहले टिकट के लिए मारामारी, अब अपने ही पार्षदों ने किया बेआबरू
जब भाजपा के पार्षदों में टिकट के लिए चयन चल रही थी तब भी हितानंद अग्रवाल के टिकट के लिए संगठन को काफी माथापच्ची करनी पड़ी थी। दरअसल हितानंद अपने गृह वार्ड को छोड़ कर वॉर्ड क्रमांक 25 से अड़े हुए थे, जब इस वार्ड के कार्यकर्ता लामबंद हो गए तो बालको नगर के ही दूसरे वार्ड से टिकट दिया गया। अब इस चुनाव में भाजपा पार्षदों ने ही हितानंद को बे आबरू कर सबक सिखा दिया है।
आखिर भाजपा से प्रत्याशी चयन में गलती कैसे हुई?
अब सबसे बड़ा सवाल उठ रहा है कि भाजपा से सभापति चुनाव के प्रत्याशी चयन में इतनी बड़ी गलती कैसे हो गई। जिसके खिलाफत में पूरे पार्षद आ जाएं आखिर वह जीत कैसे पाता। दअरसल पार्षदों के राय को किनारा कर पैरासूट लैंडिंग कर हितानंद का नाम फाइनल किया गया। सभी पार्षद की मांग थी कि उनके बीच वोटिंग कराए जाय जिनसे पक्ष में ज्यादा मत आय उसे ही प्रत्याशी बनाए जाए।
हितानंद पर आरोप, भाजपा के तीन वार्डों के प्रत्याशी को हारने लगाया पैसा
जब पर्यवेक्षक के सामने भाजपा पार्षद नाराजगी जता रहे थे तब हितानंद पर सनसनी आरोप लगाया कि भाजपा के तीन वार्डों में भाजपा पार्षद प्रत्याशी को हराने के लिए हितनंद ने पैसा लगाया था। अब देखने वाली बात होगी कि संगठन किस तरह जांच करवाते हैं।
नूतन ने बचा की भाजपा की साख, वरना निर्दलीय की किस्मत जाग जाती
भाजपा के वॉर्ड क्रमांक 06 के पार्षद नूतन सिंह ठाकुर ने भाजपा की लाज बचा ली। अगर नूतन ने फॉर्म नहीं भरा होता तो निर्दलीय प्रत्याशी अब्दुल रहमान की किस्मत जाग जाती।। इस स्थिती में भाजपा की और बड़ी फजीहत होती। अभी कम से कम संतोष इसी बात की होगी भले अमान्य भाजपा प्रत्याशी की हार हो गई लेकिन कमल फूल का ही सभापति चुना गया।
क्या इस चुनाव में कांग्रेस के 11 वोट हितानंद को मिले?
हितानंद को कुल 18 वोट मिले, बताया जा रहा है कि हितानंद को इस बवाल का अंदेशा पहले से ही था। लेकिन इस बवाल में भाजपा के 45 में से कम से कम 20 वोट मिलने की उम्मीद हितानंद को हर हाल में थी, ऐसे में जीत सुनिश्चित मान कर चल रहे थे । लेकिन कांग्रेस के तो पूरे वोट हितानंद को मिले लेकिन भाजपा से सिर्फ 7 ही मिले। क्योंकि 34 लामबंद पार्षद में से 33 वोट एकतरफा नूतन को मिले। एक निरस्त हो गया। जबकि अब्दुल रहमान को 11 निर्दलीय और 5 भाजपा पार्षदों ने क्रॉस वोट किया। लोगों में इस अंक गणित की चर्चा अब जोरों से है।