क्षेत्रीय पर्यावरण अधिकारी शैलेष पिस्दा ने बताया कि कॉमन बायो मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट फेसिलिटी यूनिट लगाने के लिए व्हीएम टेक्नोफार्म संस्था को अधिकृत किया गया है। यूनिट में अस्पताल, नर्सिंग होम्स व क्लीनिक से निकलने वाले वेस्ट का निपटान किया जाएगा। यूनिट लगाने से पहले जनसुनवाई होगी और दिल्ली से इसको अनुमति मिलेगी। जिसके बाद इस यूनिट को बरबसपुर में एक एकड़ भूमि पर स्थापित किया जाएगा।
बायो मेडिकल वेस्ट को आबादी के आसपास निपटाना न केवल लोगों के लिए, बल्कि जानवरों और पर्यावरण की सेहत के लिए भी घातक हो सकता है। यही वजह है जो ऐसे वेस्ट को आबादी से दूर निर्जन स्थान में या तो नष्ट किया जाता है या गहरे जमीन में दफनाया जाता है। इसके समुचित और कारगर निपटान के लिए जल्द ही एक ऐसी प्लांट यूनिट स्थापित होगी, जिसमें हाईटेक मशीन से बायो मेडिकल वेस्ट को नष्ट किया जा सकेगा। जिले में शासकीय अस्पतालों के अलावा बड़ी संख्या में निजी अस्पताल, क्लीनिक, नर्सिंग होम और अन्य दवाखाने संचालित हैं। इन अस्पतालों से व्यापक पैमाने पर बायो मेडिकल वेस्ट निकलता है, जो मानव और पर्यावरण के लिए बेहद घातक होता है। मेडिकल वेस्ट का सुरक्षित निपटारा जरूरी होता है। जिले में मेडिकल वेस्ट को जमीन में दफन कर नष्ट किया जा रहा है। बड़े-बड़े शहरों में मेडिकल वेस्ट को नष्ट करने कॉमन बायो मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट फेसिलिटी पहले से यूनिट स्थापित है। पर्यावरण संरक्षण मंडल ने कोरबा में भी इस यूनिट को लगाने की कार्ययोजना तैयार की थी। इसके तहत व्हीएम टेक्नोफाम संस्था को अधिकृत किया गया है। वर्तमान में प्रचलित विधि में मेडिकल वेस्ट को जमीन में दफन किया जा रहा है, जो पूरी तरह से सुरक्षित नहीं होता। इसके संपर्क में आने से मानव, मवेशियों को खतरा तो होता ही है, पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाने का डर बना रहता है। मेडिकल वेस्ट के कारण संक्रमण का खतरा भी बना रहता है। ऐसे में इसका उचित निपटान होना जरूरी है। निगरानी के अभाव में कई अस्पताल प्रबंधनों द्वारा खुले में मेडिकल वेस्ट को फेंक दिया जाता है। हाइटेक यूनिट की स्थापना होने से इस तरह के कचरों को आसानी से नष्ट किया जा सकेगा।
हर घंटे 100 किलो सूखा, 1000 लीटर लिक्विड वेस्ट का उपचार
अस्पतालों से सूखा और गीला दोनों तरह को मेडिकल वेस्ट निकलता है। इसका अलग-अलग संग्रहण करने के साथ निपटान के गाइडलाइन भी बनाए गए हैं। कॉमन बायो मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट फेसिलिटी यूनिट की खासियत होगी कि यह दोनों तरह के कचरों का निपटान करेगा। इसमें सूखा और गीला मेडिकल वेस्ट के निपटान के दो अलग-अलग सिस्टम होंगे। जिसमें प्रति घंटा करीब 100 किलो सूखा मेडिकल वेस्ट का निपटान होगा वहीं एक हजार लीटर लिक्विड मेडिकल वेस्ट का भी उपचार किया जा सकेगा।
इकाई लगाने से पहले करनी होगी पर्यावरणीय जनसुनवाई
कॉमन बायो मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट फेसिलिटी यूनिट लगाने से पहले पर्यावरणीय जनसुनवाई का आयोजन किया जाना है। अफसरों के मुताबिक आने वाले कुछ महीनों में प्रक्रिया पूर्ण कर ली जाएगी। उम्मीद जताई जा रही है सबकुछ ठीक रहा तो वर्ष 2024 में कॉमन बायो मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट फेसिलिटी यूनिट की शुरूआत हो जाएगी।
वर्जन
“कॉमन बायो मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट फेसिलिटी यूनिट लगाने के लिए व्हीएम टेक्नोफार्म संस्था को अधिकृत किया गया है। यूनिट में अस्पताल व क्लीनिक से निकलने वाले वेस्ट का निपटान किया जाएगा। वेस्ट का उचित निपटान नहीं होने से संक्रमण की स्थिति निर्मित हो जाती है। यूनिट से इसका बेहतर निपटान हो सकेगा। यूनिट लगाने से पहले जनसुनवाई होगी। दिल्ली से इसको अनुमति मिलेगी।“
– शैलेष पिस्दा, क्षेत्रीय पर्यावरण अधिकारी, कोरबा
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