काॅलेज स्टूडेंट्स के उड़े होश : प्रश्नपत्र में 7 अंक का अंतिम सवाल नदारद, हिंदी में अनुवाद के लिए पर्चे में अंग्रेजी का गद्यांश छापना भूल गए


बिलासपुर-कोरबा। इन दिनों अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय बिलासपुर से संबद्ध महाविद्यालयों में मुख्य परीक्षाओं का दौर चल रहा है। शुक्रवार की दोपहर 3 बजे से शाम 6 बजे की दूसरी पाली में हिंदी का पर्चा भरा जा रहा था। प्रश्पपत्र मिलने पर एक परीक्षार्थी ने जैसे ही पन्ने पलते, उसकी हवाइयां उड़ने लगी। दरअसल अंतिम पेज पर दिए पांचवें सवाल में विकल्प के तौर पर दिए प्रश्न ख से प्रश्न ही नदारद था। इसमें अंग्रेजी के गद्यांश को हिंदी में अनुवाद करने की बात लिखी थी, पर त्रुटिवश अंग्रेजी का गद्यांश छप ही नहीं पाया था। उसने भागकर कक्ष में ड्यूटी कर रहे परीक्षाकर्मियों को सूचित किया और फिर परीक्षा केंद्र से लेकर अटल विश्वविद्यालय तक हड़कंप मच गया।

शाम को परीक्षा देकर एक परीक्षा केंद्र से बाहर निकले कुछ परीक्षार्थियों ने बताया कि शुक्रवार 21 मार्च को दोपहर 3 बजे से शाम छह बजे की दूसरी पाली में बीएससी द्वितीय वर्ष ओल्ड कोर्स के परीक्षार्थियों की फाउंडेशन कोर्स हिंदी भाषा का पर्चा आयोजित हुआ। बताया जा रहा है कि ओल्ड कोर्स में बैक-गैप अथवा प्राइवेट परीक्षार्थी शामिल होते हैं। हालांकि इन परीक्षार्थियों की संख्या कम होती है, पर परीक्षा जैसे संवेदनशील कार्य में ऐसी त्रुटि सामने आने के बाद अटल विश्वविद्यालय से लेकर उन महाविद्यालयों में हड़कंप सा मच गया, जहां इस विषय की परीक्षा आयोजित हो रही थी। 7 अंक का यह प्रश्न बीएससी पार्ट-2 ओल्ड कोर्स के पर्चे में प्रश्न पत्र के अंतिम पेज पर दिया था, जिसके पांचवें प्रश्न के ख में लिखा था कि निम्नलिखित गद्यांश का हिंदी अनुवाद लिखिए। पर इस प्रश्न में अंग्रेजी का वह गद्यांश नहीं छप सका था, जिसका हिंदी अनुवाद करने कहा गया था।


विश्वविद्यालय प्रबंधन ने बाद में अलग से भेजा अंग्रेजी गद्य और परीक्षा संपन्न हुई
परीक्षा देकर बाहर निकले परीक्षार्थियों ने बताया कि हालांकि त्रुटिवश एक सवाल पूरी तरह से नहीं छप पाया था, लेकिन जब उन्होंने इसकी जानकारी कक्ष में ड्यूटी कर रहे कर्मी को प्रदान की, तो उन्होंने बिना देर आगे सूचित कर दिया, ताकि समस्या का जल्द से जल्द समाधान किया जा सके। बताया जा रहा है कि सूचना मिलने के बाद विश्वविद्यालय प्रबंधन तत्काल हरकत में आया और आनन-फानन में परीक्षा केंद्रों के अधिकृत विभाग को विभिन्न गोपनीय माध्यमों से अंग्रेजी का वह गद्यांश भेजा गया, जो प्रश्नपत्र से गायब था। ओल्ड के परीक्षार्थियों की संख्या कम होने से कम संख्या में प्रतियां निकालनी पड़ी और समय रहते वह सवाल संबंधित परीक्षार्थियों तक पहुंच गया, जो विश्वविद्यालय में छूट गया था।


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