शासकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लेमरू के स्वास्थ्य कर्मियों ने वह कर दिखाया, जो सबके लिए मिसाल बनकर पेश हुआ है। यहां वित्तीय वर्ष पूर्ण होने के आठ दिन पहले ही 200 संस्थागत प्रसव के लक्ष्य पूरा कर लिया गया। सीमित संसाधन के भरोसे ही सही, पर इस सफलता के बाद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लेमरू संभवतः जिले का यह पहला PHC हैं, जहां प्रसव का आंकड़े दो सौ तक जा पहुंचा। रविवार की शाम ग्राम रपता निवासी 22 वर्षीय यशोदा के सुरक्षित प्रसव के साथ ही 200 संस्थागत प्रसव का आंकड़ा छू लिया गया। लेमरू पीएचसी के स्थापना काल से अब तक यह पहली बार हुआ है।
News- theValleygraph.com
KORBA. जिला मुख्यालय से करीब 55 किलोमीटर दूर बीहड़ इलाके में ग्राम लेमरू स्थित है। आदिवासी बाहुल्य इस गांव में स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का संचालन किया जा रहा है, ताकि क्षेत्रवासियों को बेहतर उपचार मुहैया कराई जा सके। लेमरू सेक्टर में करीब दो दर्जन गांव शामिल हैं, जिसकी आबादी 16 हजार से अधिक है। इतनी बड़ी आबादी को उपचार की सुविधा उपलब्ध कराना आसान नहीं है। यह अपने आप में ही चुनौती है, जिसे अस्पताल में पदस्थ चिकित्सक सीमित स्टॉफ के साथ बखूबी पूरा कर रहे हैं। अस्पताल में न सिर्फ मरीजों को उपचार किया जा रहा, बल्कि शासन द्वारा चलाए जाने वाले योजनाओं का भी बेहतर ढंग से क्रियावंयन किया जा रहा है। कायाकल्प योजना से अपनी पहचान बना चुके प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ने एक और रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है। दरअसल शासन द्वारा संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने हर संभव प्रयास किया जा रहा है। शासन के मंशानुरूप लक्ष्य को पूरा करने विभागीय अधिकारी भी समय समय पर दिशा निर्देश जारी करते हैं। वित्तीय वर्ष 2024-25 में मध्य खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ. दीपक राज ने संस्थागत प्रसव के संबंध में बैठक आयोजित की थी। इस बैठक में सेक्टर प्रभारी डॉ. बीडी नायक भी मौजूद थे। उन्होंने बीएमओ के समक्ष दो सौ से अधिक संस्थागत प्रसव कराने का संकल्प लिया था। उनके इस संकल्प को पूरा करने में चिकित्साधिकारी डॉ. विवेक कुमार पटेल, लेबर रूम प्रभारी डॉ. आरबी गौतम, आरएमए डॉ. एलआर गौतम, डॉ. मनीष कर्ष के अलावा नर्सिंग ऑफिसर मंजूरानी और रूपा पटेल ने पूरी ईमानदारी व टीम भावना के साथ कड़ी मेहनत शुरू कर दी। परिणामस्वरूप रविवार की शाम ग्राम रपता निवासी 22 वर्षीय यशोदा का सुरक्षित प्रसव के साथ ही दो सौ संस्थागत प्रसव का आंकड़ा छू लिया गया। संभवतः लेमरू पीएचसी के स्थापना काल से अब तक यह पहली बार हुआ है। जिले में संचालित 35 पीएचसी में सर्वाधिक प्रसव कराने की उपलब्धि भी हो सकती है।
मितानीन व महतारी एक्सप्रेस कर्मियों की अहम भूमिका
सुदूर वनांचल क्षेत्र में बसे ग्राम लेमरू के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में दो दर्जन से अधिक गांव शामिल हैं। इनमें से अधिकांश गांव घने जंगल व पहाड़ी में स्थित हैं, जहां रहने वाले परिवारों को संस्थागत प्रसव के लिए प्रोत्साहित करना और गर्भवती को अस्पताल तक लाना आसान नही है। इस कार्य में मितानीन व महतारी एक्सप्रेस के कर्मचारियों की भी अहम भूमिका रही है। कई बार महतारी एक्सप्रेस के कर्मचारी प्रसव पीड़ा से कराह रही गर्भवती महिला को खाट में उठाकर वाहन तक लाते हैं।
कर्मचारियों की कमी से जूझ रहा अस्पताल
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लेमरू में संसाधन की कमी तो है ही, स्टॉफ भी सीमित हैं। यहां संस्थागत प्रसव कराने महज एक महिला आरएमए व दो नर्सिंग स्टॉप पदस्थ हैं। कम स्टॉप होने के बाद भी प्रतिमाह 17-18 प्रसव कराया जाता है, जबकि कई ऐसे पीएचसी हैं, जहां चार पांच नर्सिंग स्टॉफ की पदस्थापना की गई है। इन अस्पतालों में महज 5-6 प्रसव ही संभव होता है। यदि लेमरू पीएचसी में कर्मचारियों की संख्या बढ़ा दी जाए तो परिणाम और भी बेहतर आ सकता है। हालांकि दूरस्थ इलाका होने के कारण कर्मचारी लेमरू जाने से कतराते हैं।