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शिक्षक बर्खास्त : नियुक्ति के वक्त छुपाई दो से अधिक संतान होने की बात, पकड़े गए तो कहा बरपाली के पहंदा में सामाजिक गोदनामा दे दिया

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एक सरकारी शिक्षक ने शासकीय सेवक के रुप में नियुक्ति के समय अपनी दो से अधिक संतानें होने की अहम जानकारी छुपा ली और नौकरी पर लग गए। पर आखिर सच कब तक छुपाया जा सकता था। इस मामले की शिकायत हुई और जांच बैठाई गई। बिलासपुर जिले में कार्यरत इस शिक्षक को भी अपनी बात रखने का अवसर दिया गया, जिस पर उन्होंने दो बच्चों को कोरबा के बरपाली से लगे ग्राम पहंदा के परिवार को सामाजिक गोदनामा दे दिए जाने का हवाला देकर बचना चाहा। पर नियमों के अनुसार यह बहाना स्वीकार नहीं किया गया और जांच में शिकायत सही मानते हुए शिक्षक को पदच्युत कर दिया गया है।


News – theValleygraph.com 


बिलासपुर। शासकीय हाई स्कूल सोन, विकासखंड मस्तूरी, जिला बिलासपुर के द्वारा नवरतन जायसवाल, व्याख्याता (एल.बी.) पर 2 से अधिक जीवित संतान रहने की जानकारी को छिपाकर नौकरी प्राप्त किए जाने की शिकायत छत्तीसगढ़ लोक आयोग में क्रमशः विविध प्रकरण तथा विविध प्रकरण पंजीबद्ध है।

व्याख्याता नवतरत जायसवाल के विरूद्ध प्राप्त शिकायत की जाँच जिला शिक्षा अधिकारी, बिलासपुर से कराने संचालनालय का पत्र 4.06.2021 जारी किया गया था, लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी, बिलासपुर से लम्बे अवधि तक जाँच प्रतिवेदन प्राप्त होने के कारण शिकायत की जांच संभागीय संयुक्त संचालक, शिक्षा, संभाग बिलासपुर से कराए जाने संचालनालय से 18.08.2022 पत्र जारी किया गया था। संभागीय संयुक्त संचालक, शिक्षा, संभाग बिलासपुर से 23.11.2022 को जांच प्रतिवेदन प्राप्त हुआ। जिला शिक्षा अधिकारी, बिलासपुर के द्वारा भी 23.11.2023 जाँच प्रतिवेदन संवालनालय को प्राप्त हुआ।

दोनों जांच प्रतिवेदन के अनुसार कार्यालय, जिला पंचायत, बिलासपुर के आदेश दिनांक 27.06.20211 द्वारा छ.ग. पंचायत शिक्षाकर्मी (भर्ती तथा सेवा की शर्ते) नियम 2007 तथा समय-समय पर जारी संशोधित नियम व शर्तों के तहत नवरतन जायसवाल की नियुक्ति शिक्षाकर्मी वर्ग-01 के पद पर हुई थी तथा नियुक्ति के समय श्री जायसवाल की 04 संतान होने का उल्लेख है, जिसमें से 02 संतान का जन्म दिनांक 26.01.2001 के बाद होना पाया गया। इस प्रकार श्री जायसवाल की नियुक्ति (शिक्षाकर्मी वर्ग-01 वर्तमान में व्याख्याता एल.बी. के पद पर) सेवा शर्तों के विपरीत होना प्रमाणित पाया गया।

जाँच प्रतिवेदन के अनुसार श्री जायसवाल की नियुक्ति अवैधानिक होने कारण अपचारी लोक सेवक के विरूद्ध छ.ग. सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम, 1966 के नियम 10(9) के तहत सेवा से पदच्युत किये जाने के पूर्व नैसर्गिक न्याय के सिद्धान्त का पालन करते हुए श्री जायसवाल को अपने प्रतिरक्षा करने का युक्ति-युक्तध्समुचित सुनवाई का अवसर प्रदान किये जाने हेतु संचालनालय के पत्र दिनांक 21.02.2024 द्वारा श्री जायसवाल को कारण बताओ सूचना पत्र तथा संचालनालय के पत्र दिनांक 01.08.2024, 04.10.2024 एवं 25.10.2024 द्वारा अपने पक्ष समर्थन में दस्तावेज सहित संचालक लोक शिक्षण के समक्ष सुनवाई में उपस्थित होने हेतु निर्देशित किया गया।

श्री जायसवाल के द्वारा कारण बताओ सूचना पत्र का लिखित प्रतिवाद दिनांक 07.03.2024 में नियुक्ति के समय अपने 04 संतान जीवित होना स्वीकार किया गया है। सुनवाई तिथि 25.10.2024 को भी श्री जायसवाल द्वारा अपने 04 संतान जीवित होना स्वीकार किया गया, किन्तु सामाजिक गोदनामा द्वारा अपने 02 संतानों को श्री निरंजन जायसवाल पिता श्री ननकु जायसवाल, ग्राम पांहदा, तहसील बरपाली, जिला कोरवा को सौंपे जाने का लिखित प्रतिवाद प्रस्तुत किया गया है, जो कि नियुक्ति की शर्तों के विपरीत होने के कारण स्वीकार करने योग्य नहीं है।

इस प्रकार श्री जायसवाल के द्वारा नियुक्ति के समय अपने 02 से अधिक जीवित संतान होने की जानकारी छिपाया गया, जो कि छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 के नियम 22 के उप नियम (4) के अंतर्गत गंभीर कदाचार है। श्री जायसवाल के नियुक्ति आदेश के शर्त क्रमांक 01 में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि ष्नियुक्ति पूर्णतः अस्थायी है, चयनित उम्मीदवार द्वारा आवेदन पत्र में दी गयी जानकारी असत्य पाए जाने पर बिना किसी सूचना के सेवा समाप्त की जा सकमीष् तथा शर्त क्रमांक 03 में भी स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि ष्कोई भी उम्मीदवार जिसकी 02 से अधिक जीवित संतान है, जिसमें से एक का जन्म 26 जनवरी 2001 को या उसके पश्चात हुआ हो, पाए जाने पर नियुक्ति निरस्त की सकेगी।

अतः जाँच प्रतिवेदन में श्री जायसवाल की नियुक्ति (शिक्षाकर्मी वर्ग-01 वर्तमान में व्याख्याता एल.बी. के पद पर) सेवा शर्तों के विपरीत होना प्रमाणित पाये जाने के कारण एतद द्वारा नवरतन जायसवाल, व्याख्याता एलबी, शासकीय हाई स्कूल सोन, विकास खण्ड मस्तूरी, जिला बिलासपुर को छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम, 1966 के नियम 10 (9) के तहत शासकीय सेवा से पदच्युत (डिसमिस) कर दिया गया है।


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