कतर में 4 माह से कैद बेटे की पुकार, मां, मुझे बाहर निकलवाओ, नहीं तो मर जाऊंगा, नरक की तरह बीते वो 48 घंटे


गुजरात के वडोदरा स्थित मधुवन सोसाइटी के ए-11 यानी गुप्ता निवास में रहने वाला परिवार पिछले 4 माह से अपने बेटे का इंतजार कर रहा है। ओएनजीसी के रिटायर्ड कर्मचारी जेपी गुप्ता और उनकी पत्नी पुष्पा गुप्ता के 40 साल के बेटे अमित गुप्ता कतर में 4 महीने से बंद हैं। अमित टेक महिंद्रा के कंट्री हेड के तौर पर कतर और कुवैत में काम कर रहे थे। 1 जनवरी को कतर स्टेट सिक्योरिटी ने उन्हें हिरासत में ले लिया।


मां पुष्पा ने बताया कि अमित को हिरासत में 20 दिन का एक्सटेंशन मिल चुका है। एक जनवरी की रात करीब 9 बजे अमित बाहर खाना खाने गए थे। तभी सिविल ड्रेस में 4 लोग आए और उन्हें गाड़ी से उतारकर हिरासत में ले लिया।

परिजनों के अनुसार इस पूरे मामले में अमित की कंपनी टेक महिंद्रा लगातार सपोर्ट कर रही है। पत्नी आकांक्षा का कहना है कि सीनियर स्टाफ एम्बेसी के साथ मिलकर केस का फॉलोअप ले रहे हैं। फिर भी परिजनों को कहीं से कोई ऐसी उम्मीद की किरण नहीं दिख रही, जिससे मान सकें कि अब अमित वापस आ रहे हैं। बस यही सुनते आ रहे हैं कि हम कोशिश कर रहे हैं। क्या कर रहे हैं, कैसे कर रहे हैं, ये नहीं पता।

मां पुष्पा का कहना है कि दो दिन बाद ये सब तब पता चला, जब अमित का फोन नहीं लग रहा था। उसके दोस्त से पता चला कि कतर की स्टेट सिक्योरिटी ने उसे पूछताछ के लिए कस्टडी में लिया है। जब हमारा अमित से कॉन्टैक्ट हुआ, तब पता चला कि वो कितना परेशान है।

अमित ने परिवार को बताया कि शुरुआती 48 घंटे नरक की तरह बीते। उसे पूरे दो दिन एक कुर्सी पर बैठाए रखा गया। न खाना-पानी दिया और न ही सोने दिया गया। जब थकान से उसकी आंखें बंद होतीं, तो उसे जगा दिया जाता।

पहले कॉन्ट्रैक्ट में गड़बड़ी, फिर डेटा चोरी का आरोप लगा

अमित को कस्टडी में लेने की वजह अब तक न उसे पता है और न ही फैमिली को। पिता जेपी गुप्ता कहते हैं, ‘पहले कंपनी ने बताया कि ये किसी कॉन्ट्रैक्ट या टेंडर से जुड़ा मामला हो सकता है। बाद में हमें पता चला कि डेटा चोरी जैसा कोई आरोप है, लेकिन हमारा बेटा निर्दोष है।

अमित पहले सिर्फ बुधवार के दिन 5 मिनट की ऑडियो कॉल कर सकते थे। अब भारतीय राजदूत के दखल के बाद शनिवार को भी 5 मिनट के लिए कॉल कर सकते हैं। वीडियो कॉल की परमिशन नहीं है। हालांकि, अमित को अब तक अपनी पत्नी से बात करने की परमिशन नहीं मिली है। दोनों कॉल माता-पिता के पास ही आते हैं।

माता-पिता के लिए ये 5 मिनट की कॉल सबसे दर्दनाक होती है। पुष्पा बताती हैं, वो मानसिक रूप से टूट रहा है। हर कॉल में बस यही कहता है- मां, मुझे बाहर निकलवाओ, मैंने कुछ नहीं किया है, मेरे साथ ऐसा क्यों हो रहा है? मैं मर जाऊंगा। वो ये भी नहीं बताता कि क्या खाता है, कैसे रहता है। हमें डर है कि उसके मन में सुसाइड जैसे विचार न आ रहे हों।

अमित की पत्नी आकांक्षा गुप्ता भी बच्चों के साथ इस मुश्किल दौर का सामना कर रही हैं। वे कहती हैं कि हमें कतर सरकार ने आज तक नहीं बताया कि अमित को क्यों हिरासत में लिया गया है। आकांक्षा कहती हैं, ‘मेरी अमित से आखिरी बार 31 दिसंबर को वॉट्सएप पर चैट हुई थी। मैंने और बच्चों ने उन्हें नया साल विश किया। उन्हें जल्दी घर आने को कहा। उसके बाद से कोई बात नहीं हुई।’


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