Paste Fill Technology से कोरबा जिले की इस भूमिगत खदान में चीन की कंपनी करेगी कोयला खनन

Share Now
FacebookFacebookInstagramInstagramTwitterTwitterTelegramTelegramWhatsappWhatsapp

भारतीय कंपनी के जरिए विदेशी कंपनी को सौंपी जा रही कोरबा जिले की यह कोल माइन

छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में स्थित एसईसीएल (SECL) की सिंघाली भूमिगत खदान से पेस्ट फिल तकनीक के माध्यम से भारत की नहीं बल्कि चीन की कंपनी कोयला खनन करेगी। यानी सिंघाली खदान भारतीय कंपनी के जरिए विदेशी कंपनी को सौंपी जा रही है।


News – The Valley Graph


Korba. एसईसीएल प्रबंधन ने टीएमसी मिनरल्स रिसोर्सेज प्राइवेट लिमिटेड (TMC Mineral Resources Private Limited) के साथ एक समझौता किया है। इसके अंतर्गत सिंघाली भूमिगत कोयला खदान (Singhali underground mine) में पेस्ट फिलिंग तकनीक द्वारा बड़े पैमाने पर कोयला उत्पादन किया जाएगा। 25 वर्षों की अवधि में इस परियोजना के माध्यम से अनुमानित 84.5 लाख टन (8.4 मिलियन टन) कोयला उत्पादन किया जाएगा। यह समझौता 7040 करोड़ रुपए की परियोजना के लिए हुआ है।

टीएमसी मिनरल्स रिसोर्सेज प्राइवेट लिमिटेड छत्तीसगढ़ की ही कंपनी है। इस कंपनी रजिस्टर्ड कार्यालय रायगढ़ में तथा कारपोरेट ऑफिस रायपुर में है। सिंघाली भूमिगत खदान से कोयला खनन का कार्य टीएमसी मिनरल्स रिसोर्सेज प्राइवेट लिमिटेड द्वारा सीधे तौर पर नहीं किया जाएगा। टीएमसी मिनरल्स रिसोर्सेज प्राइवेट लिमिटेड ने काम के लिए पेस्ट फिल तकनीक में अग्रणी चीनी कंपनी एक्ससीयूएमटी (Chinese company XCUMT) के साथ समझौता किया है। इसमें सीआईएमएफआर, धनबाद और एनआईटी, रायपुर का सहयोग लिया जाएगा।

TMC के पास SECL की 7 अंडरग्राउंड खदानों का ठेका

टीएमसी मिनरल्स रिसोर्सेज प्राइवेट लिमिटेड के एसईसीएल की सात भूमिगत खदानों का ठेका है। इनमें सिंघाली, हल्दीबाड़ी, एनसीपीएच चिरमिरी, बरतराई जमुना कोतमा, साहपुर वेस्ट शहडोल, चर्चा आओ प्रोजेक्ट, झिलमिली भूमिगत खदान सम्मिलित है। यानी इन खदानों को निजी कंपनी को सौंप दिया गया है।

क्या है पेस्ट फिलिंग तकनीक?

पेस्ट फिलिंग एक नवीन भूमिगत खनन तकनीक है, जिसमें खदान से कोयला निकालने के पश्चात उत्पन्न रिक्त स्थान को विशेष पेस्ट से भरा जाता है। यह पेस्ट फ्लाई ऐश, ओपनकास्ट खदानों से प्राप्त क्रश्ड ओवरबर्डन, सीमेंट, पानी और आसंजक रसायनों से तैयार किया जाता है। इस तकनीक के प्रयोग से खनन उपरांत भूमि के धंसने (सबसिडेंस) का खतरा नहीं रहता, और सतह की भूमि के अधिग्रहण की आवश्यकता भी नहीं पड़ती।


सिंघाली अंडरग्राउंड खदान को वर्ष 1989 में 0.24 मिलियन टन प्रति वर्ष की उत्पादन क्षमता के लिए अनुमोदित किया गया था और इसका संचालन वर्ष 1993 में प्रारंभ हुआ। वर्तमान में इस खदान में लगभग 8.45 मिलियन टन जी-7 ग्रेड की नॉन-कोकिंग कोयले का रिज़र्व उपलब्ध है।


Share Now
Aakash Pandey

Recent Posts

ABEO को भारी पड़ी युक्तियुक्तकरण में मनमानी, शिक्षक साझा मंच की मांग कर कार्यवाही, कटघोरा से बम्हनीडीह तबादला

कटघोरा के ABEO को युक्तियुक्तकरण में मनमानी भारी पड़ी। शिक्षक साझा मंच के प्रांतीय पदाधिकारी…

44 minutes ago

युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया को एक माह बीते पर नहीं मान रहे 70 शिक्षक, बन रही ज्वाइनिंग से इंकार वालों की लिस्ट

युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया को एक माह बीते चुके हैं पर ऐसे 70 अतिशेष शिक्षक अब…

23 hours ago

कोमा में था 6 साल का मासूम नीरज, मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 20 दिन इलाज कर डॉक्टरों ने दी नई जिंदगी

मेडिकल कॉलेज अस्पताल के पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट में सफल इलाज कर छह साल के एक बच्चे…

1 day ago

एकलव्य आदर्श विद्यालय छुरी कला में NCC स्क्रीनिंग, अपनी कुशलता और दक्षता साबित कर चुने गए 25 कैडेट्स

बुधवार को एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय छुरी कला की NCC इकाई में शैक्षणिक सत्र 2025-26…

2 days ago