लाइसेंस की वैधता खत्म और बिना रिन्यू कराए यूं ही चल रहे कोरबा के बिलासा समेत छग के 10 ब्लड बैंक

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कोरबा समेत छत्तीसगढ़ में संचालित कुल दस ब्लड बैंकों के लाइसेंस की वैलिडिटी समाप्त हो चुकी है। बावजूद इसके ये बैंक बिना रिन्यू कराए यूं ही संचालित हो रहे हैं। इनमें कोरबा का बिलासा ब्लड बैंक और यहां तक कि जिला अस्पताल ब्लड बैंक, गरियाबंद का नाम भी शामिल है। बिलासा ब्लड बैंक के प्रभारी डॉ मिथिलेश प्रसाद का कहना है कि 2023 से एक्सपायर है, जबकि प्रबंधन की ओर से समय रहते नवीनीकरण की कवायद शुरू कर दी गई थी। पर दिल्ली मुख्यालय से ही लगातार लेटलतीफी की जा रही है। इधर जिले के सहायक औषधि नियंत्रक भीष्मदेव सिंह कंवर ने कहा कि बिलासा ब्लड बैंक की ओर से एप्लाई कर दिया गया है और नवीनीकरण की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।


News theValleygraph.com


कोरबा/रायपुर। प्राप्त जानकारी अनुसार कोरबा का बिलासा ब्लड बैंक लगभग दो साल से बिना लाइसेंस के ही चल रहा है। लाइसेंस की वैधता 2023 को खत्म होने के बाद इसका नवीनीकरण नहीं हो सका। प्रबंधन का कहना है कि लगातार प्रयास किया जा रहा है, लेकिन नवीनीकरण का काम लटका रहा। यह हाल सिर्फ कोरबा के बिलासा ब्लड बैंक का ही नहीं, प्रदेशभर के कुल दस ब्लड बैंकों में यही हाल है, जिनके लाइसेंस नवीनीकरण की कार्यवाही दिल्ली स्तर पर ही लटकी हुई है।

ब्लड बैंक संचालन को लेकर जो गाइडलाइन बनी है, उसके अनुसार हर 5 साल में निर्धारित प्रक्रिया के तहत लाइसेंस नवीनीकरण किया जाता है। इसकी कॉपी नोटिस बोर्ड पर चस्पा होनी चाहिए। इसके पीछे डोनर या ब्लड लेने वाले को लाइसेंस की जानकारी होना उद्देश्य है।

ब्लड बैंक के संचालन के लिए फूड एवं ड्रग कंट्रोल मंत्रालय भारत सरकार से लाइसेंस लेना अनिवार्य है। ब्लड बैंक का लाइसेंस खत्म होने से पहले लाइसेंस रिन्यू कराने के लिए निर्धारित फीस जमा कर आवेदन करना होता है। इसके बाद फूड एवं ड्रग कंट्रोल मंत्रालय की मुंबई से टीम निरीक्षण करने आती है, जो अपनी रिपोर्ट दिल्ली मुख्यालय को सौंपती है। दिल्ली से लाइसेंस जारी करने की अनुशंसा के बाद फूड एवं ड्रग कंट्रोल विभाग रायपुर से लाइसेंस जारी होता है। बिलासा ब्लड बैंक का लाइसेंस दो साल पहले यानी 2023 को खत्म हो गया। तब से बिना लाइसेंस के ब्लड बैंक संचालित हो रहा है। जानकारों के अनुसार पूरे देश में संचालित ब्लड बैंकों को लाइसेंस केंद्रीय फूड एवं ड्रग कंट्रोल मंत्रालय नई दिल्ली से जारी होता है। लाइसेंस रिन्यू के लिए जब फीस जमा हो जाती है तो उसे तब तक रिन्यू माना जाता है, जब तक कि लाइसेंस कैंसिल न किया जाए।

नियम-कायदे दरकिनार और जिम्मेदार विभाग बेपरवाह

अमूल्य जिंदगी बचाने संचालित ब्लड बैंकों के लाइसेंस नवीनीकरण में देरी कर विभाग द्वारा ही निर्धारित मानकों की खुले तौर पर धज्जियां उड़ाई जा रही और जिम्मेदार विभाग मूक दर्शक बना हुआ है। बिलासा ब्लड बैंक का लाइसेंस एक्सपायर्ड हो चुका है और वह भी वर्ष 2023 में। इसके बाद भी ब्लड बैंक का संचालन बेरोक टोक किया जा रहा है। बिना वैधता यूं ब्लड बैंक के संचालन की मनमानी पर लगाम लगाने की बजाय विभागीय अफसर भी आँखें मूंदे बैठे हैं।

जिलेभर के नर्सिंग होम, निजी एवं शासकीय अस्पतालों में प्रतिदिन कई ऑपरेशन, सर्जरी और प्रसव होते हैं। अधिकांश में मरीज के लिए ब्लड की व्यवस्था करनी पड़ती है। इसके अलावा खून की कमी या एनीमिया के केस में ब्लड की जरूरत पड़ती है। जिला ब्लड बैंक के अलावा ज्यादातर मामलों में इसकी पूर्ति निजी संस्थाओं द्वारा संचालित ब्लड बैंक से होती है। इनमें घंटाघर चौक स्थित बिलासा ब्लड बैंक काफी पुराना ब्लड बैंक है। बावजूद इसके लाइसेंस नवीनीकरण की जरूरी प्रक्रिया बिना पूर्ण किए ही ब्लड मरीजों को दिए जा रहे हैं। इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि बिलासा ब्लड बैंक की ओर से आवेदन किया गया है और लाइसेंस नवीनीकरण की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। दूसरी ओर ब्लड बैंक प्रबंधन का कहना है कि उनकी ओर से 2023 में ही एप्लाई कर दिया गया था और उनकी ओर से किसी भी प्रकार की देरी नहीं की गई। अलबत्ता केन्द्रीय लाइसेंस अनुमोदन प्राधिकरण, खाद्य एवं औषधि प्रशासन नई दिल्ली द्वारा ही प्रक्रिया आगे बढ़ाने में लगातार विलंब किया जाता रहा।


हर 5 साल में कराना होता है रिन्यू

ब्लड बैंक का संचालन खाद्य एवं औषधि प्रशासन के मापदंडों के अनुसार किया जा रहा है, इसकी पुष्टि करते हुए हर 5 साल में विधिवत इनस्पेक्शन के बाद लाइसेंस नवीनीकरण किया जाता है। अफसरों की टीम समय-समय पर यहां निरीक्षण करती है और वे यह जांचते हैं कि यहां मानव के शरीर से खून निकालने वाली मशीनें ठीक तरह से चल रही है या नहीं। स्टरलाइज करने वाले संसाधन साफ सुथरे है या नहीं? इसके अलावा निरीक्षण के दौरान कई ऐसे बिंदु होते हैं जो महत्वपूर्ण होते हैं। ड्रग विभाग को इसकी जांच हर माह करता है और इसकी रिपोर्ट उच्च अधिकारियों भी भेजता है। वर्ष 2023 से इंस्पेक्शन और जरूरी जांच कर लाइसेंस नवीनीकरण की यह प्रक्रिया लंबित है और ऐसे में बिलासा ब्लड बैंक की मौजूदा व्यवस्था कैसी है, यह जानने किसी में रुचि नहीं।


बिलासा कोरबा व जिला अस्पताल गरियाबंद समेत प्रदेशभर के 10 ब्लड बैंक का यही हाल

कोरबा के बिलासा ब्लड बैंक के अलावा प्रदेशभर के कुल दस ब्लड बैंक के लाइसेंस एक्सपायर्ड हो चुके हैं। खास बात यह है कि इस लिस्ट में जिला अस्पताल ब्लड बैंक, गरियाबंद का नाम भी शामिल है। इसी माह 16 मई को इस संबंध में खाद्य एवं औषधि प्रशासन छत्तीसगढ़, नवा रायपुर के नियंत्रक दीपक कुमार अग्रवाल ने एक पत्र डॉ. राजीव सिंह रघुवंशी औषधि महानियंत्रक भारत (केन्द्रीय लाइसेंस अनुमोदन प्राधिकरण) खाद्य एवं औषधि प्रशासन भवन कोटला रोड, नई दिल्ली को पत्र भी लिखा है। इसमें श्री अग्रवाल ने निवेदन किया है कि छत्तीसगढ़ के इन दस ब्लड बैंकों का लाइसेंस एक्सपायर्ड हो जाने संबंधी फाइलों को ऑफलाइन मोड के माध्यम से विचार करने या सीडैक को पोर्टल खोलने का आदेश जारी करने आग्रह किया गया है। पत्र में यह भी अवगत कराया गया है कि फर्मों ने निर्धारित समय के भीतर ऑफ़लाइन मोड के माध्यम से नवीनीकरण के लिए आवेदन किया था। उन्होंने ओएनडीएलएस पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करने का बहुत प्रयास किया, पर वे ऐसा नहीं कर सके। सीडैक टीम से संपर्क करने पर उन्होंने कहा कि मामले को आपके कार्यालय तक पहुंचाएं। अतः इन ब्लड बैंकों के लाइसेंस नवीनीकरण आवेदन को ऑफलाइन माध्यम से करने पर विचार करें अथवा सीडैक टीम को ओएनडीएलएस पोर्टल खोलने का आदेश दें, ताकि समाप्त हो चुके लाइसेंसों के लिए आवेदन किया जा सके।


अफसरों का ये कहना है…

हमारी ओर से समय पर लाइसेंस नवीनीकरण के लिए आवेदन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी। पर दिल्ली से ही लगातार विलंब किया जाता रहा। इस संबंध में प्रक्रिया जारी है और यह समस्या सिर्फ बिलासा की ही नहीं, बल्कि एक सरकारी ब्लड बैंक समेत प्रदेशभर के दस ब्लड बैंक परेशान हैं। उम्मीद है कि जल्द ही प्रक्रिया पूर्ण हो जाएगी।

– डॉ मिथलेश प्रसाद, प्रभारी, बिलासा ब्लड बैंक कोरबा


पांच साल में एक बार विधिवत इनस्पेक्शन और अन्य विधि के जरिए पुनः पांच वर्ष के लिए यह जारी किया जाता है। यह काफी भी और पेचीदा प्रक्रिया होती है, जिसमें वक्त लगता है। कोरबा जिले में केवल बिलासा ब्लड बैंक का लाइसेंस एक्सपायर्ड हो चुका है और उसके नवीनीकरण के लिए निर्धारित नियमों के अनुसार आवेदन भी कर दिया गया है और उसकी प्रक्रिया जारी है।

– भीष्मदेव सिंह कंवर, सहायक औषधि नियंत्रक, कोरबा


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Aakash Pandey

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