विश्व ऊदबिलाव दिवस पर विशेष : Korba में हुए ताजा शोध से पता चला है कि इन खूबसूरत पर शर्मीले प्राणियों के साथ मत्स्याखेट में मछुआरों के लिए भी फायदेमंद हो सकती है ऊदबिलावों से दोस्ती, कोरबा समेत छग के 5 जिलों में बचाव एवं संरक्षण के लिए जुटे विज्ञानविदों की रिसर्च, वन विभाग एवं छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा की मदद से किया जा रहा मछुआरों को जागरुक…
कोरबा। भले ही ऊदबिलाव http://(World Otter Day) बेहद शर्मीले और छुपकर रहने वाले खूबसूरत जीव होते हैं। पर मछुआरों की दोस्ती उन्हें काफी प्रिय है। खास बात यह है कि मछुआरे भी अगर उनकी ओर मित्रता का हाथ बढ़ाएं, तो दोस्ती का यह सौदा दोनों के लिए काफी फायदेमंद हो सकता है। यह हम नहीं कह रहे, बल्कि कोरबा समेत छत्तीसगढ़ के पांच जिलों में ऊदबिलाव http://(World Otter Day) के संरक्षण और बचाव के लिए कार्य कर रहे विज्ञानविदों की ताजा शोध से पता चलता है।
ऊदबिलाव को IUCN की संकटग्रस्त प्रजातियों की लाल सूची में संकटग्रस्त के रूप में वर्गीकृत किया गया है। अन्य जलीय स्तनधारियों की तरह उनके शरीर में चर्बी की परत नहीं होती है और वे गर्म रहने के लिए अपने घने फर में फंसी हवा की परत पर निर्भर रहते हैं। मनुष्य की उपस्थिति ऊदबिलाव के व्यवहार को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। इसके संरक्षण की बेहद आवश्यकता है ताकि जलीय पारिस्थितिकी की गुणवत्ता बनी रहे। ऊदबिलाव http://(World Otter Day) संरक्षण के लिए और अधिक शोध और प्रयासों की आवश्यकता है। लोगों को इसके महत्व और संरक्षण के बारे में जागरूक करना आवश्यक है। इसी कड़ी में खासकर मछुआरों पर फोकस कर उन्हें जागरुक करने सतत अभियान चलाए जा रहे हैं। जहां एक ओर ऊदबिलाव मछली के लालच में मछुआरों के नाव का पीछा करते हैं, तो उन्हें पसंद करने वाले मछुआरों को भी यह पता होता है कि जिस क्षेत्र में ऊदबिलाव का बसेरा होता है, वहां मछलियां भी बहुतायत में पाई जाती हैं। यही समन्वय ऊदबिलावों के संरक्षण, सुरक्षा के साथ मछुआरों की आजीविका के लिए बेहद अहम हो जाती है। हाल ही में छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले स्थित उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व में यूरेशियन ऊदबिलाव http://(World Otter Day) की पहली बार कैमरा ट्रैप के माध्यम से देखने को मिला। साथ ही मरवाही, कोरबा, केशकाल व कांकेर से भी जीव की उपस्थिति के साक्ष्य मिले हैं। यह राज्य की जैव विविधता एवं वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
प्रदूषण से कोरबा में ज्यादा दिक्कत, सिकुड़ते जल स्त्रोतों को संवारने सार्थक प्रयास की जरूरत
प्रोजेक्ट के साइंटिफिक एडवाइजर एवं जूलाॅजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ZSI) http://(Zoological Survey of India) साइंटिस्ट प्रत्यूष पी महापात्रा के अनुसार प्रदूषण के चलते ऊदबिलावों के अस्तित्व के लिए कोरबा में ज्यादा दिक्कत देखी जा रही है। कोरबा में संरक्षण के लिए कार्य कर रहीं निधि सिंह ने बताया कि हमारे जंगलों में यह शोध नाॅन इनवेसिव स्टडी है, जिसमें प्राणी को बिना डिस्टर्ब किए अध्ययन (गैर आक्रामक अध्ययन) किया जाता है। इंफ्रारेड कैमरे से तस्वीर ली जाती है, जिसमें ओटर को बिना डिस्टर्ब किए, बिना उसकी दिनचर्या, आवास या क्रियाकलापों को प्रभावित किए यह शोध किया जाता है। ऊदबिलाव संरक्षण एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है, क्योंकि यह जलीय पारिस्थितिकीय तंत्र के स्वास्थ्य का संकेतक है। इसकी उपस्थिति किसी भी जैव विविध क्षेत्र की स्थिरता और पारिस्थितिकीय संतुलन का प्रमाण मानी जाती है। कीस्टोन प्रजाति के इन जीवों को संरक्षण की विशेष आवश्यकता है। ऊदबिलाव वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 2022 के तहत अनुसूची 1 में वर्गीकृत है, और पकड़ कर रखने और शिकार करने पर कठोर सजा का प्रावधान है। जलीय जीवों के संरक्षण के लिए प्राकृतिक जल स्रोत और नदियों के संरक्षण की अत्यंत आवश्यकता है।
प्रोजेक्ट के साइंटिफिक एडवाइजर हैं जूलाॅजिकल सर्वे आफ इंडिया के साइंटिस्ट
छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा कोरबा इकाई और वन विभाग के संयुक्त सहयोग के साथ ऊदबिलावों (Otter) के संरक्षण के इस अभियान का नेतृत्व विज्ञानं सभा के अध्यक्ष विश्वास मेश्राम कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ राज्य जैव विविधता बोर्ड का यह प्रोजेक्ट विज्ञान सभा द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है। इसके माध्यम से ऊदबिलाव के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई है। कोरबा जिले में चल रहे शोध एवं संरक्षण कार्य में छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा की राज्य संयुक्त सचिव निधि सिंह द्वारा महत्वपूर्ण डेटा कलेक्शन किया जा रहा है। प्रोजेक्ट के साइंटिफिक एडवाइजर एवं जूलाॅजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ZSI) साइंटिस्ट प्रत्यूष पी महापात्रा के अनुसार कोरबा में ऊदबिलाव (Otter) सहित अन्य जैव विविधता किया उपस्थिति है और इनका संरक्षण किया जाना चाहिए वन मंडल द्वारा उदबिलाव (Otter) सहित अन्य विविध जीवों के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए जा रहे हैं।
यह संवेदनशील प्राणी हैं, जागरुक बनें, जाल में फंस जाए तो आजाद करें मछुआरे: SDO आशीष खेलवार
कोरबा वनमंडल अंतर्गत उत्तर कोरबा के एसडीओ आशीष खेलवार ने कहा कि ऊदबिलाव काफी संवेदनशील प्राणी होते हैं। उनका आवास सीमित क्षेत्र में होता है और वे बहुत ही शर्मीले मिजाज के होते हैं। ऐसे में उनके संरक्षण की विशेष आवश्यकता है। खासकर मछुआरों के आस-पास मंडराने के कारण उनकी सुरक्षा प्रभावित होती है। श्री खेलवार ने अपील की है कि मछुआरे जागरुक बनें और इनके संरक्षण में मदद करें। अगर कभी उनके जाल में यह फंस जाएं, तो बिना देर आजाद करें। वह परिवार के साथ ही रहते हैं। ऐसे में एक की जिंदगी पूरे परिवार को प्रभावित करती है। उनके प्राकृतिक आवास को सुरक्षित बनाने योगदान दें।
संरक्षण की आवश्यकता
ऊदबिलाव वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 2022 के तहत अनुसूची 1 में वर्गीकृत है, और पकड़ कर रखने और शिकार करने पर कठोर सजा का प्रावधान है। जलीय जीवों के संरक्षण के लिए प्राकृतिक जल स्रोत और नदियों के संरक्षण की अत्यंत आवश्यकता है।
महत्वपूर्ण उपलब्धि
हाल ही में छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले स्थित उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व में यूरेशियन ऊदबिलाव की पहली बार कैमरा ट्रैप के माध्यम से देखने को मिला। साथ ही मरवाही कोरबा केशकाल कांकेर से भी जीव की उपस्थिति के साक्ष्य मिले है यह राज्य की जैव विविधता एवं वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
ऊदबिलाव के बारे में रोचक तथ्य
– संकटग्रस्त स्थिति: आईयूसीएन की संकटग्रस्त प्रजातियों की लाल सूची में संकटग्रस्त के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
-: अन्य जलीय स्तनधारियों की तरह उनके शरीर में चर्बी की परत नहीं होती है, और वे गर्म रहने के लिए अपने घने फर में फंसी हवा की परत पर निर्भर रहते हैं।
चुनौतियाँ और आगे की राह
– मनुष्य की उपस्थिति ऊदबिलाव के व्यवहार को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है।
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– इसके संरक्षण की बेहद आवश्यकता है ताकि जलीय पारिस्थितिकी की गुणवत्ता बनी रहे।
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– ऊदबिलाव संरक्षण के लिए और अधिक शोध और प्रयासों की आवश्यकता है।
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– लोगों को इसके महत्व और संरक्षण के बारे में जागरूक करना आवश्यक है।
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