राष्ट्रीय महिला फुटबॉल टूर्नामेंट में अव्यवस्था, ठहरने की जगह बदहाल, खिलाड़ियों में नाराज़गी

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प्रतिभागी टीमों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि उन्हें तत्काल बेहतर आवासीय व्यवस्था मुहैया कराई जाए और लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

कोरबा। मुख्यमंत्री राष्ट्रीय महिला फुटबॉल प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए देशभर से कोरबा पहुंचीं महिला फुटबॉल टीमों को ठहरने के लिए उपयुक्त सुविधा नहीं मिल पाई है। आयोजन की गरिमा के अनुरूप इंतज़ाम किए जाने के वादे के बावजूद खिलाड़ियों को मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है।

प्रतिभागी टीमों को स्वामी आत्मानंद शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय जैसे सुविधा युक्त स्थान पर ठहराने की बात कही गई थी, लेकिन उन्हें प्राथमिक शाला एन.सी.डी.सी. (डायस कोड: 22051028503) में रुकवाया गया, जहां न तो पर्याप्त सफाई है और न ही बिजली-पंखे जैसी बुनियादी सुविधाएं।

खिलाड़ियों ने बताया कि कमरे गंदे, जर्जर और असुरक्षित हैं। बाथरूमों में पानी नहीं है और अधिकांश शौचालय या तो बंद हैं या बदहाल हालत में हैं, जिससे महिला खिलाड़ियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

विद्यालय की प्राचार्य अल्का फिलिप्स और जिला शिक्षा अधिकारी ताम्रेश्वर उपाध्याय को इस संबंध में कई बार सूचित किया गया, लेकिन कोई राहत नहीं मिली। शिकायत के बावजूद प्राचार्य ने फोन उठाना बंद कर दिया है और शिक्षा अधिकारी “मीटिंग में व्यस्त” होने का हवाला दे रहे हैं।

हैरानी की बात यह है कि वीडीओ कार्यालय से खिलाड़ियों को पूरी सहायता देने के स्पष्ट निर्देश पहले ही जारी किए जा चुके थे, बावजूद इसके स्कूल प्रशासन ने इन निर्देशों की अनदेखी की। वर्ष 2023-24 में बालिका शौचालय निर्माण के लिए ₹42,000 की राशि स्वीकृत होने के बाद भी स्थिति जस की तस है, जिससे सवाल खड़े हो रहे हैं कि यह राशि कहां खर्च हुई।

प्रतिभागी टीमों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि उन्हें तत्काल बेहतर आवासीय व्यवस्था मुहैया कराई जाए और लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। खिलाड़ियों का कहना है कि एक राष्ट्रीय आयोजन में इस प्रकार की अव्यवस्था न केवल उनके मनोबल को प्रभावित करती है, बल्कि कोरबा की छवि और आयोजन की साख को भी नुकसान पहुंचाती है।

देशभर से आई महिला खिलाड़ी इस प्रतियोगिता में हिस्सा ले रही हैं, लेकिन इस प्रकार की व्यवस्थाएं कोरबा जैसे ज़िले की प्रतिष्ठा के विपरीत हैं। ठहराव की असुविधा से नाराज़गी बढ़ती जा रही है और यदि समय रहते समाधान नहीं किया गया, तो आयोजन पर विपरीत असर पड़ सकता है।


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Aakash Pandey

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