मेडिकल कॉलेज अस्पताल के पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट में सफल इलाज कर छह साल के एक बच्चे की जिंदगी और माता-पिता के चेहरे पर मुस्कान लौटाई गई। बच्चे के सफल इलाज में पीडियाट्रिक्स विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. राकेश वर्मा के नेतृत्व में वरिष्ठ शिशु रोग चिकित्सकों की टीम डॉ. धर्मवीर सिंह, डॉ. आशीष सोनी, डॉ. अनन्या, डॉ. स्मिता, डॉ. हेमा की अहम भूमिका रही।
कोरबा। कोमा की हालत में भर्ती कराए गए 6 साल के बच्चे को पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट में 20 दिन तक इलाज के बाद नई जिंदगी मिली है। बच्चे के स्वस्थ होते ही उसके माता-पिता की मुस्कान लौट आई।
पोड़ी-उपरोड़ा ब्लॉक के जलके गांव निवासी अजय कुमार ने अपने 6 वर्षीय बेटे नीरज को 3 सप्ताह पहले गंभीर चिकित्सकीय स्थिति में शहर के निजी अस्पताल में भर्ती कराया था। आर्थिक परेशानी से परिजन उसे लेकर मेडिकल कॉलेज संबद्ध अस्पताल के इमरजेंसी विभाग पहुंचे। यहां जांच के बाद बच्चे की हालत गंभीर मिली। वह कोमा में था और उसकी धड़कन व नब्न कमजोर थी। सांस लेने में भी तकलीफ थी। बच्चे के फेफड़ों में एंडोट्रेकियल ट्यूब लगी थी, उसे अंबु बैग से सांस देते हुए लाया गया था। बच्चे की धड़कन को बनाए रखने वाली दवाइयां पहले से चल रही थी। किडनी भी कमजोर हो चुकी थी। बच्चे की बीमारी के लक्षण जटिल वायरल इन्सेफेलाइटिस की तरह थे। ऐसे में इमरजेंसी विभाग ने मेडिकल कॉलेज अस्पताल प्रबंधन को सूचना दी। इसके बाद प्रबंधन से पीडियाट्रिक विभाग को त्वरित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के निर्देश मिले। चिकित्सकों ने इमरजेंसी वार्ड में ही वेंटिलेटर पर बच्चे को रख इलाज शुरू किया। 3 दिन तक इलाज के बाद हालत में सुधार होने पर उसे वेंटिलेटर से बाहर निकाला। हालांकि बच्चे को बीच-बीच में खून की उल्टी हो रही थी, उसके दिल की धड़कन भी कमजोर थी। दिमाग में सूजन व आंतरिक दबाव बढ़ने से बच्चे का शरीर सुन्न था और उसे झटके भी आ रहे थे। जांच में उसके शरीर में रक्त में सोडियम की मात्रा भी बढ़ी मिली। बच्चे के सफल इलाज में पीडियाट्रिक्स विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. राकेश वर्मा के नेतृत्व में वरिष्ठ शिशु रोग चिकित्सकों की टीम डॉ. धर्मवीर सिंह, डॉ. आशीष सोनी, डॉ. अनन्या, डॉ. स्मिता, डॉ. हेमा की अहम भूमिका रही।
छह दिन नेजल ऑक्सीजन के सहारे सांस लेता रहा बच्चा
जांच में बच्चे को सिकल सेल एनीमिया, हेपेटाइटिस और किडनी फेल्योर की बीमारी का भी पता चला। सभी बीमारी का साथ-साथ इलाज किया। 6 दिन बच्चा नेजल ऑक्सीजन के सहारे सांस लेता रहा। स्थिति में सुधार होने पर उसे फीडिंग ट्यूब की मदद से पानी पिलाना व तरल भोजन देना शुरू किया। बच्चे के शरीर में कमजोरी से वह बोल नहीं पा रहा था। ऐसे में फिजियोथेरेपी देकर उसकी कमजोरी दूर की। लगातार 20 दिन तक इलाज के बाद बच्चा स्वस्थ होकर खुद से बैठना और बात करने लगा। बच्चे को स्वस्थ देखकर उसके माता-पिता की मुस्कान लौट आई।
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