बिलासपुर। शाला समायोजन से प्रभावित प्राथमिक प्रधानपाठको की बड़ी बैठक बीते दिनों कोन्हेर गार्डन बिलासपुर में आयोजित हुई। बैठक की अध्यक्षता छत्तीसगढ़ प्राथमिक प्रधानपाठक संघ के प्रदेश अध्यक्ष त्रिभुवन वैष्णव ने की। प्रांत सचिव कमलेश सिंह बिसेन, महिला मोर्चा प्रभारी श्रीमति किरण राजपुत एवं संघ के विभिन्न जिला और ब्लॉक पदाधिकारी उपस्थित रहे। उक्त बैठक में शासन द्वारा युक्तियुक्तकरण के तहत एक ही परिसर में स्थित प्राथमिक शालाओं का मिडिल स्कूल और हाई स्कूलो में समायोजन किए जाने के कारण उत्पन्न हो रही विभिन्न समस्याओं पर व्यापक चर्चा कर समाधान के प्रयास पर रणनीति बनाई गई। प्रदेश अध्यक्ष त्रिभुवन वैष्णव ने बताया कि शासन की मंशा एक परिसर में स्थापित विभिन्न स्तर के विद्यालय का समायोजन कर संसाधनों का उचित सदुपयोग करने से था।परंतु इस प्रक्रिया से प्राथमिक प्रधानपाठको के अधिकारों का हनन हो रहा है।शाला की चल,अचल संपत्ति,दस्तावेज और वित्तीय अधिकार समायोजित उच्च शालाओं के संस्था प्रमुख के पास चले जाने से प्राथमिक प्रधानपाठक केवल नाम और वेतन के प्रधानपाठक रह गए है और काम सहायक शिक्षक का कर रहे है। छत्तीसगढ़ सेवा भर्ती नियम 2019 में प्रधानपाठक का पद प्रशासकीय पद है लेकिन इन्हें शिक्षकीय पद बताकर प्राथमिक प्रधानपाठको को शोषित और प्रताड़ित किया जा रहा है।प्रदेश में 10465 शालाओं का मर्ज किया गया है जहां अनेक स्थानों से मिडिल स्कूल के प्रधानपाठकों और प्राचार्यों द्वारा तानाशाही करने और प्रताड़ित करने की सूचना आ रही है।युक्तियुक्तकरण के आदेश में शाला मर्ज के पश्चात प्राथमिक प्रधानपाठक की क्या भूमिका, अधिकार और कर्तव्य होंगे स्पष्ट नहीं है।जिसके कारण प्रधानपाठक असमंजस और भ्रम की स्थिति में है।20 से अधिक वर्षों से निष्ठापूर्वक कार्य करते हुवे वरिष्ठता के आधार पर प्रधानपाठक बने लोगों के साथ इस प्रकार का अन्याय और अत्याचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।उपस्थित प्राथमिक प्रधानपाठको द्वारा बताया गया कि शासन के नियम के विरुद्ध अनेक स्कूलों को अलग अलग परिसर में होने और ऐतिहासिक महत्व के स्कूल होने के बाद भी अधिकारियों द्वारा मनमर्जी से मर्ज किया गया है।संगठन द्वारा सर्वसम्मति से प्रस्तावित किया गया कि प्राथमिक प्रधानपाठको के हितों पर कोई आंच नहीं आने दिया जाएगा। शासन,प्रशासन स्तर पर इस विषय पर मांग उठाया जाएगा।यदि हमारी मांगों की अनदेखी की गई तो माननीय न्यायालय में याचिका दायर कर अपने अधिकार को वापस लेने का प्रयास किया जाएगा।संगठन सभी प्रभावित प्राथमिक प्रधानपाठक साथियों को एकजुट होकर संघर्ष की तैयारी को आह्वान करती है और सहयोग की अपील करती है।






