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धर्मांतरण के बाद जनजातीय पहचान बदल जाए तो व्यक्ति को आरक्षण से अमान्य किया जा सकता है : उइके

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रायपुर में संगोष्ठी, जनजातीय समाज की चुनौतियों पर चर्चा,  कल्याण आश्रम में जनजाति सुरक्षा मंच की संगोष्ठी आयोजित।

रायपुर: वनवासी विकास समिति कल्याण आश्रम रायपुर महानगर में रविवार को जनजाति सुरक्षा मंच द्वारा “जनजाति समस्या, चुनौती और समाधान” विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि केसी पैकरा (सेवानिवृत्त संयुक्त सचिव, कृषि विभाग, छत्तीसगढ़ शासन), मुख्य वक्ता प्रकाश उइके (पूर्व न्यायाधीश एवं विशेष सलाहकार, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग, नई दिल्ली) और अध्यक्ष रवि भगत (पूर्व शासकीय अधिवक्ता, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय) मौजूद थे।

मुख्य वक्ता प्रकाश उइके ने आदिवासी समाज की महिलाओं, शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़ी चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि धर्मांतरण के कारण आदिवासी समाज अपने अधिकारों से वंचित हो रहा है। उन्होंने कहा कि अब चर्च में शादी करने वाले जनजाति व्यक्तियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि यदि व्यक्ति ने अपना नाम, अपनी परंपराएं या पहचान बदल दी हो और वह अब उस जनजाति के तौर पर नहीं माना जाता हो तो आरक्षण का फायदा लेने के लिए अमान्य हो सकता है । श्री उइके ने यह भी कहा कि धर्मांतरण के बाद आरक्षण का लाभ लेने के लिए जन जातीय पहचान और सामाजिक स्वीकृति को भारत के उच्चतम न्यायालय ने भी महत्वपूर्ण माना है, और अगर धर्मांतरण के बाद व्यक्ति की जनजातीय पहचान बदल जाती है तो उसे आरक्षण से अमान्य किया जा सकता है ।

मुख्य अतिथि केसी. पैकरा ने जनजातीय समस्याओं और उनके समाधान पर आयोजित इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि कल्याण आश्रम आदिवासी समाज के हित में उल्लेखनीय कार्य कर रहा है। वनवासी कल्याण आश्रम द्वारा जनजातीय समुदाय के लिए संचालित शिक्षा, रोजगार, कौशल उन्नयन और स्वास्थ्य के कार्यक्रम अन्य समुदायों के लिए भी प्रेरणा स्रोत है । इस संगोष्ठी में बड़ी संख्या में जनजाति समाज के प्रतिनिधि, गणमान्य नागरिक और शहर के बुद्धिजीवी लोग मौजूद रहे और उन्होंने समस्याओं एवं समाधानों पर अपने विचार साझा किए।

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