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आज के डिजिटल युग में “लाइब्रेरी फॉर रिसर्च” जैसे विषय अत्यंत प्रासंगिक हैं, क्योंकि गुरु और ग्रंथ दोनों समाज निर्माण के आधार हैं : प्रो. वीके सारस्वत

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अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय, बिलासपुर में “शोध के लिए ग्रंथालय’ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित


बिलासपुर। ‘लाइब्रेरी फॉर रिसर्च’ जैसे विषय आज के डिजिटल युग में अत्यंत प्रासंगिक हैं, क्योंकि गुरु और ग्रंथ दोनों समाज निर्माण के आधार हैं। शोध कार्यों में ग्रंथालयों की भूमिका और उपयोगिता को रेखांकित करने की यह पहल निश्चित तौर पर दूरगामी नतीजे पेश करेगी।

यह बातें ‘शोध के लिए ग्रंथालय’ विषय पर अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय, बिलासपुर में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि रहे पं. सुंदरलाल शर्मा ओपन यूनिवर्सिटी, बिलासपुर के कुलपति प्रो. वीके सारस्वत ने कहीं।


अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय, बिलासपुर में माधवराव सप्रे सेंट्रल लाइब्रेरी के तत्वावधान में 14–15 अक्टूबर 2025 को दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का सफल आयोजन किया गया। संगोष्ठी का मुख्य विषय था ‘शोध के लिए ग्रंथालय’ (Library for Research), जिसने शोध कार्यों में ग्रंथालयों की भूमिका और उपयोगिता को केंद्र में रखा।

पहला दिन : उद्घाटन सत्र और विचार-विमर्श

संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि प्रो. वी. के. सारस्वत (कुलपति, पं. सुंदरलाल शर्मा ओपन यूनिवर्सिटी, बिलासपुर) उपस्थित रहे, जिनका स्वागत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ए. डी. एन. बाजपेई ने किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता स्वयं प्रो. बाजपेई ने की, जबकि विशिष्ट अतिथि डॉ. अरुण कुमार शर्मा (ग्रंथपाल, गुरु घासीदास विश्वविद्यालय, बिलासपुर) एवं कुलसचिव डॉ. तारणिश गौतम की उपस्थिति ने आयोजन की गरिमा को बढ़ाया।

मुख्य अतिथि प्रो. सारस्वत ने कहा कि ‘लाइब्रेरी फॉर रिसर्च’ जैसे विषय आज के डिजिटल युग में अत्यंत प्रासंगिक हैं, क्योंकि गुरु और ग्रंथ दोनों समाज निर्माण के आधार हैं।
डॉ. अरुण शर्मा ने ग्रंथालय को शोधार्थियों के लिए ज्ञान, प्रेरणा और नवाचार का केंद्र बताया।

इस अवसर पर प्रोफेसर भास्कर मुखर्जी (विभागाध्यक्ष, पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय) भी वर्चुअल रूप से जुड़े और प्रतिभागियों के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एवं पुस्तकालय सेवाओं में उसके प्रयोग पर अपने विचार साझा किए।

कोलकाता से राजा राममोहन राय फाउंडेशन के महानिदेशक प्रो. अजय प्रताप सिंह ने भी वर्चुअल माध्यम से सहभागिता की। अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो. बाजपेई ने कहा कि विश्वविद्यालय का उद्देश्य ज्ञान सृजन और अनुसंधान को प्रोत्साहित करना है, और इसी भावना से इस संगोष्ठी का आयोजन किया गया।


पहले दिन कुल 40 शोध पत्र प्रस्तुत हुए एवं लगभग 70 प्रतिभागियों ने पंजीयन कराया।

दूसरा दिन : ज्ञानवर्धक व्याख्यान, पैनल चर्चा और पुरस्कार वितरण

संगोष्ठी के दूसरे दिन 15 अक्टूबर को विविध ज्ञानवर्धक सत्रों का आयोजन हुआ। प्रातः सत्र में कृषि महाविद्यालय, रायगढ़ के पुस्तकालयाध्यक्ष श्री सुनील कुमार गौतम ने “साहित्यिक चोरी और शोध पत्र लेखन के वैज्ञानिक तरीके” विषय पर विशेष व्याख्यान प्रस्तुत किया।

दोपहर सत्र में ONOS विषय पर पैनल चर्चा आयोजित की गई, जिसमें प्रो. ब्रजेश तिवारी, डॉ. एच. एस. होता, डॉ. अतुल दुबे, प्रो. कलाधर, डॉ. सीमा बेलोरकर, डॉ. सुमोना भट्टाचार्य एवं संयोजक डॉ. शालिनी शुक्ला सहित कई विद्वानों ने अपने विचार साझा किए। चर्चा में पुस्तकालयों के एकीकरण की संभावनाओं और चुनौतियों पर सार्थक विमर्श हुआ।

समापन सत्र में मुख्य अतिथि डॉ. निराला सर (प्राचार्य, शा. जमुना प्रसाद कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय) उपस्थित रहे, जिसकी अध्यक्षता प्रो. ब्रजेश तिवारी ने की। इस अवसर पर कुलसचिव डॉ. तारणिश गौतम की उपस्थिति में प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया।


पुरस्कार प्राप्तकर्ता सूची (Awards 2025)

LIS Ratna Lifetime Achievement Award – डॉ. ब्रजेश त्रिपाठी
Best Practicing University Librarian Award – डॉ. अरुण कुमार शर्मा
Best Library User Award (Faculty) – डॉ. यशवंत कुमार पटेल
Digital Transformation Award for Library Innovation – श्री बी. आर. चौधरी
Best Practicing College Librarian Award – डॉ. रेखाराज साहू
Best Young Librarian Award (2025) – श्री सुनील कुमार गौतम
Professional Excellence Award – श्री प्रकाश सिंह ठाकुर
Best Library User Award (Student) – दिव्या पटेल


इस राष्ट्रीय संगोष्ठी की संयोजक की भूमिका निभा रहीं डॉ. शालिनी शुक्ला ने जताया आभार

कार्यक्रम के अंत में संगोष्ठी की संयोजक डॉ. शालिनी शुक्ला ने आयोजन की सफलता में सहयोग देने वाले सभी अतिथियों, सदस्यों और प्रतिभागियों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया। यह संगोष्ठी शोध, नवाचार और पुस्तकालय विज्ञान के क्षेत्र में नई सोच, दृष्टि और प्रेरणा प्रदान करने में अत्यंत सफल रही।

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