कोरबा/रायपुर। छत्तीसगढ़ वैज्ञानिक समुदाय मधुमेह अनुसंधान में एक महत्वपूर्ण प्रगति और हर्ष की बात है। क्योंकि डॉ. ज्योति दीवान को उनके अभूतपूर्व कार्य “कुछ N-एरिल प्रतिस्थापित हाइड्रॉक्सामिक एसिड की मधुमेह-रोधी गतिविधि” के लिए प्रतिष्ठित डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (पीएचडी) की उपाधि से सम्मानित किया गया है। उनका शोध मधुमेह मेलेटस (डीएम) के प्रभावी औषधीय प्रबंधन के लिए एक आशाजनक नई दिशा प्रदान करता है – जो विशेष रूप से भारत में तेजी से बढ़ती स्वास्थ्य चिंता है।
अपने डॉक्टरेट अध्ययन में, डॉ. दीवान ने नए N-एरिल-प्रतिस्थापित हाइड्रॉक्सैमिक एसिड व्युत्पन्न विकसित किए और दो प्रमुख कार्बोहाइड्रेट-हाइड्रोलाइजिंग एंजाइमों -Alpha-Amylase और Alpha-Glucosidase के शक्तिशाली और चयनात्मक अवरोधकों के रूप में उनकी क्षमता का मूल्यांकन किया। ये एंजाइम भोजन के बाद रक्त शर्करा के स्तर में वृद्धि, जो मधुमेह चिकित्सा में एक केंद्रीय लक्ष्य बना हुआ है, के नियमन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
उनके शोध के परिणाम इस बात की ओर स्पष्ट संकेत देते हैं कि N–एरिल-प्रतिस्थापित हाइड्रॉक्सैमिक अम्ल मधुमेह प्रबंधन के लिए चिकित्सीय अणुओं का एक अत्यंत आशाजनक वर्ग बनाते हैं। उनके भौतिक-रासायनिक गुणों और एंजाइम अवरोधक क्रियाशीलता के बीच स्पष्ट सहसंबंध उन्हें अगली पीढ़ी के मौखिक हाइपोग्लाइसेमिक एजेंटों के डिज़ाइन के लिए एक मज़बूत अग्रणी ढाँचे के रूप में स्थापित करता है।
डॉ. दीवान के अग्रणी योगदान से मधुमेह से निपटने के लिए भविष्य में वैश्विक दवा खोज प्रयासों को प्रभावित करने की उम्मीद है। उनकी सफलता, श्री रावतपुरा सरकार विश्वविद्यालय, रायपुर (छत्तीसगढ़) के रसायन विज्ञान विभाग के डॉ. आर. पी. राजवाड़े और शूलिनी विश्वविद्यालय, सोलन, हिमाचल प्रदेश के डॉ. दीपक कुमार के सम्मानित मार्गदर्शन में हो रहे अनुसंधान की असाधारण गुणवत्ता को उजागर करती है।
डॉ ज्योति दीवान ने इस महत्वपूर्ण शोध कार्य के चयन के लिए अपने मार्गदर्शक डॉ आर.पी.राजवाड़े को बहुत धन्यवाद प्रेषित किया है।
डॉ ज्योति दीवान ने अपने अपने पिता जनक दास कुलदीप माता श्रीमती धनबाई कुलदीप ,बहनों, परिवार के सभी लोगों एवं सभी मित्र गणों को हार्दिक धन्यवाद दिया है जो उनके शोध कार्य के दौरान उनके साथ उनकी हिम्मत बनकर खड़े रहे।
डॉ ज्योति दीवान ने अपनी इस महत्वपूर्ण शोध कार्य को अपने नाना जी स्वर्गीयश्री दीपक दास दीवान जी को समर्पित किया है।।






