कृषि कॉलेज के Students से नींबू और अमरूद में बूटी बांधने की वैज्ञानिक विधि से रूबरू हुए किसान

Share Now

कृषि महाविद्यालय के विद्यार्थियों किया विजयपुर में पौध प्रवर्तन तकनीक का प्रदर्शन
कोरबा(thevalleygraph.com)। कृषि के साथ खेत-बाड़ी की खाली भूमि में बागवानी विकसित कर किसान अपने लिए आर्थिक बेहतरी के द्वार खोल सकते हैं। परंपरागत खेती के अलावा नींबू, अमरूद, कुंदरू-करेला की मौसमी फसल उनके व परिवार की आर्थिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देती है। इसी बात पर फोकस करते हुए किसानों को उन विधियों से रूबरू कराया गया, जिनके माध्यम से उन्हें इस तरह की फसल में भागीदार बनने मदद मिल सकती है। इसी कड़ी में कृषि महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने ग्राम विजयपुर के किसानों को नींबू व अमरूद के पौध तकनीक अंतर्गत बूटी बांधने का प्रदर्शन किया।

बागवानी एक ऐसा प्रकल्प है, जिसमें किसानों को अतिरिक्त आमदनी का जरिया विकसित करने का हौसला मिलता है। इस दिशा में शासन और विभाग की ओर से भी सतत प्रोत्साहन प्रदान किया जा रहा है। प्रयास किया जा रहा है कि किसान अपने परिवार समेत इस दिशा में भी आगे बढ़ते हुए आय के उम्दा विकल्प की ओर कदम बढ़ाएं। कृषि महाविद्यालय व अनुसंधान केंद्र लखनपुर कटघोरा के मार्गदर्शन व दिशा-निर्देश में यह कार्यक्रम रखा गया था। महाविद्यालय व केंद्र के अधिष्ठाता एसएस पोर्ते, महाविद्यालय के प्राध्यापक योगेंद्र सिंह, चंद्रेश धुर्वे के मार्गदर्शन पर चतुर्थ वर्ष के छात्राओं द्वारा ग्रामीण कृषि कार्य अनुभव कार्यक्रम के तहत में ग्राम विजयपुर के किसानों को नींबू व अमरूद के पौध तकनीक अंतर्गत बूटी बांधने का प्रदर्शन किया गया। इसके महत्व के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। जिसमें प्रमुख रूप से वैशाली डिक्सेना, ममता पटेल, महेश पटेल, विनय कुमार, गीता लहरे, रामरतन ,प्रिया साहू, सविता टोप्पो, निर्मला राठिया, दुर्गेश, कैलाश अविनाश ,गुंजा, ऋषिता, आकाश ग्रुप में उपस्थित रहे। विद्यार्थियों ने बताया कि इस विधि द्वारा अधिक पौधे जल्दी तैयार किए जाते है। वारिश के मौसम में यह प्रक्रिया अधिक अपनाई जाती है। इस विधि को तैयार करने में कम खर्च में अधिक पौधे जल्द तैयार हो जाते हैं।

और 15 से 30 दिन में जड़ निकलना शुरू
फलदार पौधों की नर्सरी के लिए पौधे तैयार करती है। उसकी सीधी टहनियों को एक से दो फीट नीचे चाकू से चारों तरफ करीब 3 इंच की दूरी से मार कर छिलके उतार दिए जाते हैं। इसके बाद छिलके की जगह पर मिट्टी गोबर खाद रूटिंग हार्मोन लगाई जाती है। इसको पॉलिथीन से लपेटते हुए जूट की रस्सी से कस कर बांध दिया जाता है। 15 से 30 दिन के भीतर जड़ निकलना शुरू हो जाता है। जड़ के पास गाड पड़ जाता है। तना के ऊपर हिस्से को काटकर जमीन में लगा देते है। कुंदरू, परवर, बेल, अमरूद, बेर ये पौधे जल्दी तैयार होते है। पौधे कलम करने से समय पैसे की बचत होती है।


Share Now
Aakash Pandey

Recent Posts

कहने को बहाने बन रहे नशे की लत और मामूली विवाद, पर इन्हीं के चलते इस शहर में हर तीसरे दिन हत्या और दूसरे दिन रेप जैसे बड़े वारदात

बढ़ती आपराधिक घटनाओं ने बढ़ाई अपने बच्चों की सुरक्षा के प्रति फिक्रमंद पेरेंट्स की चिंता…

19 hours ago

लोकमाता अहिल्याबाई के व्यक्तित्व-समर्पण, न्यायधर्मिता एवं संयम जैसे मानवीय गुणों को जीवन में धारण करें विद्यार्थी : लक्ष्मीनारायण सोनी

शासकीय EVPG महाविद्यालय कोरबा में पुण्यश्लोका लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर की जन्म त्रिशताब्दी वर्ष के…

22 hours ago

CM विष्णुदेव के मुख्य आतिथ्य में रायगढ़ में होगी मुख्यमंत्री कप किकबॉक्सिंग स्पर्धा, चैंपियनशिप जीतने भिड़ेंगे प्रदेशभर के फाइटर

छत्तीसगढ़ किकबॉक्सिंग संघ के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से मुलाकात की। आगामी माह…

22 hours ago

इसी तरह अपनी प्रतिभा में निखार लाते हुए अपने खेल कौशल से कोरबा और छत्तीसगढ़ को गौरवान्वित करते रहें : मंत्री लखनलाल देवांगन

एशियन थाई बॉक्सिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण और रजत विजेता खिलाड़ियों को उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन…

23 hours ago

BEML ने सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड से हासिल किए उच्च प्रदर्शन वाले 48 रियर डंपिंग ट्रक के 246.78 करोड़ के ऑर्डर

BEML ने सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड से उच्च प्रदर्शन वाले 48 रियर डंपिंग ट्रक के 246.78…

2 days ago