NKH में न्यूरोसर्जन डॉ. दिविक एच. मित्तल ने सफल आपरेशन कर दी नई जिंदगी, मरीज के परिजन के मुरझाए चेहरे पर भी मुस्कान लौटाई।
कोरबा(thevalleygraph.com)। रीढ़ की हड्डी में ट्यूमर के कारण असहनीय पीड़ा से मरीज गुजर रहा था। मर्ज बढ़ता गया और वह लकवाग्रस्त होकर चलने-फिरने में भी अक्षम हो गया। ऐसी मुश्किल स्थिति से जूझ रहे मरीज को न्यू कोरबा हॉस्पिटल में आकर अपनी पीड़ा से राहत और सफल आपरेशन से नई जिंदगी मिली है। यह केस हाथ में लेते हुए न्यू कोरबा हॉस्पिटल के न्यूरोसर्जन डॉ. दिविक एच. मित्तल ने न केवल अपने चिकित्सा कौशल से हल किया, बल्कि मरीज के परिजन के मुरझाए चेहरे पर भी मुस्कान लौटाई।
नावापारा मड़वारानी निवासी 40वर्षीय राज कुमार को रीढ़ की हड्डी में कई दिनों से दर्द हो रहा था। धीरे-धीरे दर्द बढ़ता गया और अचानक असहनीय दर्द के साथ चक्कर आने की भी शिकायत बढ़ने लगी। परेशान परिजन कई अस्पतालों का चक्कर लगाते रहे, लेकिन मरीज को आराम नहीं मिला। धीरे-धीरे वह काफी कमजोर होने लगा। कमर के नीचे के हिस्से ने काम करना बंद कर दिया और उसके दोनों पैरों को लकवा मार चुका था। नतीजा यह कि वह चलने-फिरने में असहाय हो गया। अनेक जगह चक्कर काटने के बाद थक-हार कर परिजन मरीज को उसी हालत में लेकर न्यू कोरबा हॉस्पिटल पहुंचे। उसकी गंभीर स्थिति को देखते हुए आईसीयू में रखा गया। रीढ़ की हड्डी का एमआरआई करने पर पता चला कि एल-2 व एल-3 के बीचों बीच के हिस्से में 5 सेंटीमीटर के आकार का गांठ बना हुआ था। यह गांठ देखकर परिवार के लोग हैरान रह गए। परिजनों ने तब राहत की सांस ली जब डॉ. मित्तल ने आॅपरेशन से सबकुछ ठीक होने जाने का विश्वास उन्हें दिलाया। डॉ. मित्तल ने एनेस्थेटिस्ट डॉ. रोहित मजुमदार, देवेंद्र मिश्रा, राम कोसले सहित सहयोगी टीम के साथ आॅपरेशन किया। 7 घंटे तक चला आॅपरेशन पूर्णत: सफल रहा और मरीज धीरे-धीरे सामान्य होने लगा। फिजियोथैरेपिस्ट डॉ. यशा मित्तल व डॉ. अमन श्रीवास्तव के प्रयास से मरीज को चलाया-फिराया गया। मरीज को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है और अब वह स्वस्थ है। मरीज के परिजनों ने डॉ. डी.एच. मित्तल सहित उनकी टीम का आभार जताया है।
रीढ़ की हड्डी में ट्यूमर ही पैरों में सुन्नपन की वजह- डॉ.मित्तल
डॉ. मित्तल ने बताया कि शरीर के निचले हिस्से में आने वाले सुन्नपन और कमजोरी को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। कई बार यह सामान्य बीमारी नहीं होती है। रीढ़ की हड्डी व गर्दन में ट्यूमर होने के कारण भी ऐसा हो सकता है। इसके डायग्नोस और इलाज में देरी करने पर लकवा आने का खतरा बढ़ जाता है। रीढ़ की हड्डी और इसकी नस में होने वाला ट्यूमर किसी भी उम्र में हो सकता है। बच्चों में भी यह बीमारी हो जाती है। कभी-कभी यह ट्यूमर हड्डी की नस में हो जाता है। यदि शरीर के दूसरे हिस्से जैसे ब्रेस्ट, दिमाग, लंग्स में ट्यूमर है तो यह रीढ़ की हड्डी तक फैल जाता है। कई बार नस दबने से भी यह हिस्सा कमजोर पड़ने से मरीज सुन्नपन की शिकायत करता है। इसे नजरअंदाज करने पर लकवा आने की संभावना बढ़ जाती है। रीढ़ की हड्डी के ऊपरी और निचले हिस्से में गांठ होने पर लंबे समय तक लकवा, सुन्नपन और कमजोरी की शिकायत रहती है। लकवे से बचने के लिए ये लक्षण आते ही मरीज को बिना देर किए स्क्रीनिंग करवानी चाहिए।
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