कीट-पतंगों के लिए कैसी है हमारी आबो-हवा, खेती-प्रकृति और मानव जीवन पर क्या है उनका प्रभाव, स्टडी करेंगे students और science expert

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राष्ट्रीय मोथ सप्ताह आज से प्रारंभ, छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा से जुड़े विज्ञान विशेषज्ञ अपने अपने जिला इकाईयों में करेंगे विभिन्न आयोजन, सर्वेक्षण कर जुटाए जाएंगे नए आंकड़े, स्कूल-कॉलेज के शिक्षक, शोधार्थी और छात्र देंगे भागीदारी।

रायपुर(thevalleygraph.com)। तितलियों की तरह दिखने वाले कीट-पतंगें यानि मोथ भले ही उनकी तरह खूबसूरत नहीं होते, पर पारिस्थितिकी तंत्र में उनकी भूमिका भी महत्वपूर्ण है। फिजा को महकाने वाले फूलों का खिलना हो या फिर हरे-भरे पेड़ की पत्तियों को गायब कर देना, अच्छे और बुरे दोनों तरह के प्रभाव के लिए इन्हें जाना जाता है। कोरबा की आबो-हवा इनके लिए कैसी है, किस-किस प्रजाति के मोथ यहां पाए जाते हैं, पेड़-पौधों, जीवों, खेती और मानव जीवन में इनका क्या असर है, जैसे सवालों का जवाब ढूंढ़ने विज्ञान विशेषज्ञ इन नन्हें जीवों पर सर्वे करेंगे। ताकि मानव व प्रकृति के मित्र और खतरे का सबब बनने वाले दोनों तरह के मोथ का एक वैज्ञानिक डाटा तैयार किया जा सके।

छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा के बेनर तले प्रदेशभर में रविवार से राष्ट्रीय मोथ सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है, जो 30 जुलाई तक चलेगा। इस बीच विज्ञान विशेषज्ञ कोरबा समेत अलग-अलग जिलों में सर्वेक्षण कर अपनी टीम के साथ वहां के वातावरण में पनपने वाले कीट-पतंगों से संबंधित आंकड़ा जुटाएंगे। इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा कोरबा इकाई में भी सर्वे के साथ आम लोगों, स्कूल-कॉलेज के शिक्षकों, शोधार्थियों और छात्र-छात्राओं को विज्ञान से जोड़ने का उद्देश्य लेकर विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम व आयोजन करेंगे। विज्ञान विशेषज्ञ व खासकर प्राणीशास्त्र से जुडेÞ सभा के सदस्य कोरबा जिले के वातावरण में पाए जाने वाली कीट-पतंगों, उनकी प्रकृति, हमारी प्रकृति और वातावरण में उनका प्रभाव व खासकर खेती-किसानी पर असर को लेकर भी महत्वपूर्ण जानकारियां जुटाएंगे। इस सर्वे में स्कूलों के विद्यार्थियों से लेकर स्कूल-कॉलेज के शिक्षक, सहायक प्राध्यापक और शोध छात्र भी शामिल होकर न केवल अपना योगदान प्रदान करेंगे, बल्कि इन नन्हें जीवों के बारे में खुद भी कुछ नया जानेंगे, सीखेंगे और वैज्ञानिक तथ्यों को सूचीबद्ध कर अपने ज्ञान का विकास करेंगे। इस सर्वे के अलावा आॅफलाइन व आॅनलाइन मोड में मोथ सप्ताह के दौरान कार्यशाला, व्याख्यान्न और चर्चा-परिचर्चा का दौर भी जारी रहेगा।

रातरानी, पारिजात जैसे रात्रि के फूलों के खिलने में अहम भूमिका
इस संबंध में छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा की संयुक्त सचिव व राष्ट्रीय मोथ सप्ताह की जिला समन्वयक निधि सिंह ने बताया कि कुछ मोथ दिन के वक्त नजर आते हैं तो कई रात्रिचर होते हैं। कई ऐसे पौधे हैं, जिनके फूल रात के समय ही खिलते हैं। इन रात्रि वाले फूलों के खिलने में भी मोथ की अहम भूमिका होती है। इनमें हनीसकल, धतूरा, फूलदार तम्बाकू, और प्रिमरोज जैसे फूलों के पॉलिनेशन की प्रक्रिया पूर्ण कराने में मोथ का महत्वपूर्ण योगदान होता है। ये रात्रिचर मौथ हर श्रृंगार, पारिजात जैसे रात्रि में खिलने वाले फूलों के परागण की प्रक्रिया पूरी करते हैं। इसी तरह कुछ मोथ दिनचर होते हैं, जैसे हॉकमौथ आदि। इन्हीं की तरह मोथ से जुड़ी रोचक बातों का आंकड़ा मोथ सप्ताह के दौरान सर्वेक्षण कर जुटाया जाएगा।

सभी को याद होगा गुलमोहर की सारी पत्तियां चट करने वाला लूपर मोथ
संभवत: यह बात सभी को याद होगी, कि कुछ साल पहले बारिश के ही मौसम में सड़क किनारे जहां-तहां नजर आने वाले गुलमोहर पेड़ों की पत्तियां अचानक साफ हो गर्इं। मानों पतझड़ का मौसम आ गया हो और सारी पत्तियां एकाएक झड़ सी गर्इं। इस तरह की स्थिति ने पहले तो लोगों को हैरत में डाल दिया और बाद में उद्यानिकी विशेषज्ञों ने इसके पीछे की वजह का पता लगाया। तब जाकर यह बात सामने आई कि गुलमोहर की गायब होती पत्तियों के पीछे लूपर मोथ (सेमीलूपर) नामक कीट था। यह अचानक से गुलमोहर के पेड़ों में तेजी से पनपने लगा और इनक संख्या एक दिन में ही कई गुना बढ़ जाती। नए कैटरपिलर के आहार की खुराक पूरी करने पूरा का पूरा पेड़ ही सफाचट हो जाता। इस तरह के मोथ प्रकृति के लिए बड़ा खतरा बन सकते हैं।

फसल चौपट करने वाले मोथ की लिस्टिंग, तितली से अंदर व नए डाक्युमेंटेशन
मोथ सप्ताह में तितलियों व मोथ में अंतर क्या है, इस पर भी फोकस करते हुए अध्ययन किया जाएगा। विज्ञान विशेषज्ञों के माध्यम से सूचीबद्ध किए जाने वाले मोथ की पहचान, विविधता, उनका वर्गीकरण, रात्रि में उनके अध्ययन की प्रक्रिया व संख्या के आंकड़े एकत्र किए जाएंगे। जन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित होंगे। 

छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा के कार्यकारी अध्यक्ष विश्वास मेश्राम ने बताया कि इस सप्ताह के दौरान जैव विविधता के डॉक्युमेंटेशन के लिए सदस्यों को प्रोत्साहित किया जाएगा। विद्यार्थियों को विज्ञान के क्षेत्र में प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके अलावा खास तौर पर उन कीट-पतंगों या मोथ को सूचीबद्ध किया जाएगा, जो किसानों के लिए हानिकारक है। ऐसे मोथ, जो खेती या फसलों को बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं। ऐसे मोथ का डाटा होने पर विपरीत स्थिति में उनसे निपटने के उपाय पहले से ही तैयार रखने मदद मिलेगी।


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Aakash Pandey

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