मुख्य परीक्षाओं में खराब नतीजे से परेशान हैं कॉलेजों के विद्यार्थी, परीक्षा परिणाम को लेकर कोरबा के एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को अटल यूनिवर्सिटी जाकर किया विरोध प्रदर्शन।
कोरबा(thevalleygraph.com)। बी-कॉम के एक छात्र ने कहा कि उसने हिंदी के पर्चे में एक-दो नहीं, बल्कि 18 पेज का जवाब लिखा था। फिर भी न जाने क्या दुश्मनी थी, जो उसे उत्तरपुस्तिका जांचने वाले ने सिर्फ शून्य अंक दे दिया। कुछ इसी तरह के शिकायतों की भरमार है, जिससे बड़ी संख्या में महाविद्यालयीन छात्र-छात्राएं तनाव से गुजर रहे हैं। उनकी मुश्किलों का हल निकालने एनएसयूआई कोरबा ने गुरुवार को अटल विश्वविद्यालय बिलासपुर जाकर घेराव किया। इस विरोध प्रदर्शन से सकते में आए विश्वविद्यालय प्रबंधन आखिरकार समस्या का निकालने एक विकल्प पर राजी हो गया है। कुलसचिव ने स्टूडेंट लीडर्स को आश्वासन दिया है कि कम अंक से विद्यार्थियों को अनुत्तीर्ण होने पर विवश करने वाली उत्तरपुस्तिकाओं का पुनर्मूल्यांकन जल्द कराया जाएगा।
एनएसयूआई जिलाध्यक्ष (ग्रामीण) मनमोहन राठौर के नेतृत्व में महाविद्यालयीन छात्र-छात्राओं ने अटल बिहारी वाजपेई विश्वविद्यालय के घेराव किया। जिसमें हरदीबाजार, दीपका, पाली, शासकीय पीजी कॉलेज कोरबा से 200 विद्यार्थियों ने सहभागिता निभाई। अटल विश्वविद्यालय बिलासपुर से जारी इस वर्ष का 60 फीसदी परीक्षा परिणाम अत्यंत दयनीय स्थिति दर्शाता है। इस तरह से विद्यार्थियों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है। मनमोहन ने कहा कि तीन साल कोविड-19 के मुश्किलों की वजह से आॅनलाईन परीक्षाएं हुर्इं। मगर हमारे छात्र ऐसे नहीं हैं कि 60 में 30 को एक ही विषय में शून्य मिले। हिंदी जैसे विषय में 60 फीसदी को पूरक या अनुत्तीर्ण कर दिया गया है। इन सभी समस्याओं को उठाते हुए उन्होंने विश्वविद्यालय बिलासपुर का घेराव कर कुलसचिव को ज्ञापन सौंपा। इस प्रदर्शन के माध्यम से विश्वविद्यालय के उन प्राध्यापकों, जिन्होंने युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ करने का प्रयास किया है, उन्हें यह एहसास दिलाने का प्रयास किया गया, कि युवाओें के भविष्य के साथ किसी भी प्रकार की मनमानी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। विश्वविद्यालय प्रबंधन ने छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए सभी विषयों को दोबारा ध्यान पूर्वक जांच कराए जाने की बात कही है। इस प्रदर्शन में शिव यादव, देवेंद्र यादव, विक्रम तिवारी, नंदलाल पटेल, गीत पटेल, कुसुम केवर्ट, पूजा, श्वेता पटेल, दीपा, रानी, सरोजनी, नंदनी, अत्यधिक छात्र रहे। कुलसचिव द्वारा उत्तरपुस्तिकओं का पुनर्मूल्यांकन किए जाने का आश्वासन दिया गया है।
एक-दो नहीं 18 पेज लिखा, फिर भी हिंदी में दे दिया जीरो
खासकर हिंदी विषय के पर्चे में विभिन्न संकाय के छात्र-छात्राओं के लिए जारी नतीजों में खराब प्रदर्शन के मामले सबसे अधिक हैं। कई विद्यार्थियों का कहना है कि हिंदी के पर्चे में उन्होंने इतना जवाब तो लिखा था कि कम से एक-दो अंक मिल ही जाते, पर उन्हें शून्य अंक दे दिया गया है। एक छात्र ने बताया कि उसने हिंदी की उत्तरपुस्तिका में कुल 18 पेज लिखे और उसे भी शून्य दे दिया गया है। अब भला ऐसे में विश्वविद्यालय के मूल्यांकनकर्ता पर कैसे विश्वास किया जा सकेगा।
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