न्यू कोरबा हॉस्पिटल में परीक्षण के बाद डॉ.एस चंदानी, हड्डी रोग विषेशज्ञ व सर्जन ने सम्पूर्ण जोड़ प्रत्यारोपण की जरूरत बताई। जिसके बाद स्टेप बाई स्टेप उपचार पूरा किया गया और पिछले 5 माह से परेशान मरीज ठीक हो सजा। अवस्कुलर नेक्रिसिस का इलाज अब सम्पूर्ण जोड़ प्रत्यारोपण से संभव।स्वास्थ्य हुए रवि और परिजन ने सभी डॉक्टरों, नर्सिंग, ओटी स्टाफ का आभार प्रकट किया है।
कोरबा(theValleygraph.com)। एक ऐसी बीमारी जिसमें हड्डियों में खून के संचरण में कमी के कारण हड्डी की रक्त कोशिकाएं मरने लगती हैं,इस वजह से हड्डियां धीरे-धीरे नष्ट होने लगती हैं और कुछ दिन पश्चात (सही समय में इलाज न मिलने से) सम्पूर्ण रूप से नष्ट हो जाती हैं। इस बीमारी को अवस्कुलर नेक्रोसिस कहा जाता है।
जांजगीर-चाम्पा जिले का निवासी रवि कुमार पटेल 23 वर्ष कुछ ऐसी ही बीमारी से विगत 5 महीनों से जूझ रहे थे। 5 महीनों से ठीक से चल नहीं पा रहे थे साथ ही लगभग 3 महीने से दाहिने पैर में बहुत अधिक झुनझुनाहट महसूस कर रहे थे।
इस तकलीफ की मुख्य वजह थी 5 माह पहले रवि के दाहिने जांघ में गंभीर रूप से हुआ आघात, जिसका उपचार उन्होंने बाहर कहीं से कराया था। उपचार के कुछ समय पश्चात् पैर में मवाद भर गया। इसके साथ ही सूजन तथा फोड़े हो गए थे। जिसे सेप्टिक आर्थराइटिस कहा जाता है। इसकी वजह से रवि कुमार के दाहिने पैर की हड्डियों में रक्त का संचरण(प्रवाह) ना के बराबर हो जाने से उन्हे अत्यधिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा था।
इस बीच रवि कुमार को एनकेएच में मिलने वाली आधुनिकतम उपचार सुविधाओं का पता चला। वह परिजन के यहां उपचार कराने पहुँचा। 4 महीने तक ओपीडी में ऑर्थोपेडिक डिपार्टमेंट में मवाद की साफ-सफाई करने तथा इंफेक्शन के कम होते तक इंतजार किया गया। जब पूर्ण रूप से इंफेक्शन कम हुआ तब आवश्यक जांच करवाए गए। जांच में पता चला की अब मरीज का पैर ठीक है परंतु इलाज से दर्द में कोई कमी नहीं आई है। परीक्षण बाद डॉ.एस चंदानी,हड्डी रोग विषेशज्ञ व सर्जन द्वारा सम्पूर्ण जोड़ प्रत्यारोपण की सलाह दी गई।
इसके बाद रवि कुमार के पैर के सूजन को कम करने के लिए उपचार प्रारंभ किया गया। जब मरीज की स्थिति सामान्य हुई तब जा कर उन्हें डॉ. रोहित, डॉ. पूजा एनेस्थेटिस्ट के द्वारा फिटनेस प्रदान किया गया। रवि के दाएं कूल्हे की सम्पूर्ण जोड़ प्रत्यारोपण की सर्जरी स्पाइनल एनेस्थीसिया के देने के बाद की गई। 4 घंटे की सर्जरी के बाद वार्ड शिफ्ट कर रवि की फिजियोथेरेपी शुरू की गई और दो दिन में ही रवि अपने पैरों पर बिना किसी सहारे के चलने लगे। अब वह बिल्कुल भी परेशान नहीं है। मरीज रवि और परिजन ने सभी डॉक्टरों, नर्सिंग, ओटी स्टाफ का आभार प्रकट किया।
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