नूतन वर्ष 2024 में पहली तारीख यानी सोमवार पहली जनवरी की सुबह हम सब के लिए शुभ हो, हो मंगलमय हो। ईश्वर से यही प्रार्थना करते हुए आज के दिन हम उन 24 उम्मीदों की बात करेंगे, जिसे साल 2024 में हासिल कर लिए जाने का लक्ष्य तय किया गया है। आज की शुभ घड़ी में उन मंजिलों की ओर आप और हम मिलकर पहला कदम बढ़ाते हैं और आने वाले 365 दिनों में उन्हें हासिल करने का संकल्प दोहराते हैं।
रविवार की अर्धरात्रि एक और दिन पीछे छोड़कर हमने नए साल में कदम रख दिया है। पर बीती बातों और गुजरे वक्त, यानी इतिहास हमेशा सीखने के लिए होता है, ताकि कल की सीढ़ियों से हम अपने आज और कल को बेहतर राह की ओर सदैव अग्रसर रख सकें। आज वही दिन है, जब हम बेहतर कल के लिए नए संकल्प करेंगे, नई प्लानिंग करेंगे, नई राह बनाएंगे और बीते कल की राहों से जोड़कर और आगे निकल जाएंगे। नववर्ष के पहले दिन हम उन उम्मीदों और योजनाओं का स्मरण कराते हैं, जिनके आगे चलकर मूर्त रूप लेने की कवायद जारी है और ऊर्जा नगरी कोरबा के लिए बेहतर कल के निर्माण में कारगर योगदान बनेंगे। नव वर्ष 2024 के स्वागत के साथ पहली तारीख पर प्रस्तुत हैं, जन-जन की उम्मीदों पर आधारित वे भावी सफलताएं, जिन्हें हम एक एक कर इस साल हासिल करेंगे। तो आइए 24 की गिनती के साथ काउंटडाउन शुरू करते हैं।
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इकोनॉमिक कॉरीडोर को तेजी, बन जाएगा उरगा-कटघोरा हाइवे
नेशनल हाइवे की फोरलेन सड़कों का जाल बिछाने की प्रक्रिया जारी है। प्रदेश और केन्द्र में एक ही दल की सरकार बनने के बाद इसमें गति आने की उम्मीद है। उरगा से कटघोरा के बीच बनने वाली 39.8 किलोमीटर की फोरलेन सड़क के लिए 999 करोड़ की मंजूरी मिल चुकी है, पर जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शेष है। जिले में नेशनल हाइवे के चार प्रोजेक्ट में से तीन प्रोजेक्ट की प्रक्रिया बढ़ पाई है, जिनमें कटघोरा से पतरापाली नेशनल हाइवे का काम पूरा हुआ है पर 10 किमी सड़क नहीं बन पाई है। जिले में कोयला खदानों के साथ ही पॉवर प्लांट होने से भारी वाहनों का सभी मार्गों पर दबाव रहता है। इससे लोगों को भारी परेशानी होती है। केन्द्र सरकार ने चांपा से कोरबा और कोरबा-कटघोरा-बिलासपुर को नेशनल हाइवे घोषित किया तो लोगों को राहत की उम्मीद जागी। वर्ष 2017 में पीडब्लयूडी ने नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया को 152 किमी सड़क सौंप दी थी, लेकिन फोरलेन बनाने जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया समय पर नहीं हुई। अब फिर से नए सर्वे करने की तैयारी की जा रही है।
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उरगा से पत्थलगांव NH 87 km.इस सड़क की लंबाई 87 किमी है। नेशनल हाइवे की इकोनॉमिक कॉरीडोर के तहत इसका निर्माण होगा। इसकी लागत 1955 करोड़ है। इसका काम अब शुरू होने वाला है। ठेका कंपनी को वर्क ऑर्डर जारी कर दिया गया है।
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उरगा से बिलासपुर NH 70 km.नेशनल हाइवे की इकोनॉमिक कॉरीडोर की 70 किमी की लागत 1115 करोड़ है। साल 2024 तक इस सड़क का निर्माण पूरा कर लिए जाने की उम्मीद है।
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कम वक्त में विकसित करेंगे घने वन और उपवन बेहतर पर्यावरण के नए जतन
कोयला खनन से पर्यावरणीय दुष्प्रभाव कम करने खुली खदानों के आसपास जापान की मियावाकी तकनीक से पौधे लगाए जाएंगे। इस तकनीक के बारे में एसईसीएल प्रबंधन का मानना है कि कम समय में घना जंगल विकसित कर लिया जाएगा। कोयलाचंल में हरित आवरण को बढ़ावा देने कंपनी की नई पहल है। एसईसीएल गेवरा एरिया से पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत होगी। 2 हेक्टेयर को हरा-भरा करने इस परियोजना में अनुमानित लागत लगभग 4 करोड़ रुपए है। छत्तीसगढ़ वन विकास निगम के साथ साझेदारी की जाएगी। खुली खदानों से कोयला खनन में ब्लास्टिंग के कारण धूल उड़ने से पर्यावरण पर दुष्प्रभाव अधिक पड़ता है। साथ ही खुली खदान खोलने व विस्तार से माइंस आगे बढ़ाने पेड़-पौधे नष्ट कर दिए जाते हैं। एसईसीएल प्रबंधन जापान की मियावाकी पद्धति को अपनाएगी। एसईसीएल गेवरा एरिया से पायलट प्रोजेक्ट की शुरूआत होगी। 2 हेक्टेयर को हरा-भरा करने कंपनी 4 करोड़ रुपए खर्च करेगी। यह पायलट प्रोजेक्ट सफल रहा तो अन्य खुली खदानों में इस तकनीक को आगे बढ़ाया जाएगा। एसईसीएल ने खदानों के आसपास को हरा-भरा करने और हरित आवरण को बढ़ावा देने मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ की वन विकास निगम से समझौता किया है। वित्त वर्ष 2023-24 में कंपनी ने 475 हेक्टेयर क्षेत्र में हरित आवरण का विकास किया है और 10.77 लाख पौधे लगाए हैं। एसईसीएल अगले पांच साल की अवधि में पौधारोपण में लगभग 169 करोड़ रुपए खर्च करेगी।
सतह पर ताप नियंत्रण, डस्ट हवा से सोखने में मददगार
इस तकनीक से घना जंगल विकसित होने पर धूल के कणों को सोनखने और सतह के तापमान को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। दो साल की अवधि में 20 हजार पौधे लगाए जाएंगे हरित आवरण बढ़ाने से फलदार, एवेन्यू और सजावटी पेड़ों की स्वदेशी प्रजातियों से बना जंगल स्थानीय समुदायों और वन्यजीवों के लिए भी लाभकारी सिद्ध होगा। कोयला खनन के प्रभावों को कम करने की यह तकनीक कितनी कारगर होगी, यह जंगल विकसित होने के बाद ही पता चल पाएगा।
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कटघोरा ड्राइ जोन में 3 नए एनीकट, 450 हेक्टेयर की प्यास बुझेगी
जल संसाधन विभाग ने कटघोरा ब्लॉक के तीन स्थानों पर 16 करोड़ 69 लाख 73 हजार रुपए की लागत से एनीकट बनाने के लिए वर्क आर्डर जारी किया जा चुका है। एनीकट बनने से 450 हेक्टेयर असिंचित क्षेत्र के लिए सिंचाई सुविधा सुनिश्चित की जा सकेगी। पीने के लिए साफ पानी मिलेगा। कटघोरा नगर की किनारे से ही अहिरन नदी गुजरी है। इससे जेंजरा पंचायत लगी हुई है। यहां भी अहिरन नदी पर एनीकट का निर्माण कराया जाएगा। गांव में पानी की समस्या गर्मी के समय रहती है। किसान 195 हेक्टेयर में सिंचाई कर सकेंगे। इसकी लागत 6 करोड़ 17 लाख 93 हजार रुपए है। धंवईपुर के डूड़गा में भी अहिरन नदी पर 7 करोड़ 62 लाख 80 हजार से एनीकट बनेगा। इसकी सिंचाई क्षमता भी 135 हेक्टेयर है। तीसरे एनीकट का निर्माण विजयपुर के पास खोलार नदी में कराया जाएगा। लागत 2 करोड़ 89 लाख 10 हजार रुपए है। सिंचाई क्षमता 120 हेक्टेयर है। तीनों एनीकट का निर्माण जून तक पूर्ण करने का लक्ष्य तय किया है। बारिश के पहले निर्माण होने से अगले खरीफ फसल के लिए सिंचाई करने पानी भी मिलेगा। इसके बाद गर्मी में भी फायदा होगा। आसपास के 10 से अधिक गांवों के लोग भी इसका लाभ उठा सकेंगे।
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वर्षों पुराने 15 जलाशयों के उन्नयन की महत्वपूर्ण योजना भी इस साल पकड़ेगी रफ्तार
जल संसाधन विभाग ने अब 15 पुराने जलाशयों के उन्नयन करने और सुधार की योजना बनाई है। इसके लिए शासन से 36 करोड़ की मंजूरी मिली है। नहर की मरम्मत और जलाशयों में सुधार से 903 हेक्टेयर तक सिंचाई क्षमता भी बढ़ जाएगी। जमीन की वजह से नए प्रोजेक्ट पर काम नहीं हो पता। इस वजह से ही पुरानी योजनाओं को सुधारा जा रहा है।
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पर्यटन को मिलेंगे पंख, पोखरी में वाटर स्पोर्ट्स, गोल्डन आईलैंड में जलविहारसाल 2024 में पर्यटन के क्षेत्र में भी नए आयाम जुड़ेंगे। शहर में रेलवे स्टेशन से लगी मानिकपुरी पोखरी को नए पर्यटन स्थल की पहचान मिलेगी। एसईसीएल ने मानिकपुर पोखरी को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का एमओयू भी जिला प्रशासन से किया था। पहली किस्त 5 करोड़ दी, जिसका टेंडर भी हो चुका है।
इसी तरह बांगो डुबान के तीसरे छोर पर टिहरीसराई और गोल्डन आईलैंड में नई पर्यटन सुविधाएं विकसित करने का निर्णय लिया गया है। पहले पर्यटन विभाग ने इसकी प्लानिंग की थी। यहां पर्यटकों के रुकने के लिए कॉटेज का निर्माण कराया जाएगा। साथ ही मोटर बोटिंग की भी सुविधा शुरू होगी। अभी बुका से टिहरीसराई जाने के लिए मोटर बेटिंग की सुविधा मिलती है। साथ ही फूड जोन और आईलैंड में भी पर्यटकों के घूमने के लिए भी योजना बनाई जा रही है। बुका को वन विभाग ने पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित किया है। इसका संचालन ग्रामीण वन समिति ही करती है, लेकिन देखरेख का जिमा का विभाग का ही है। यहां पर्यटकों के रुकने के लिए ग्लास हाऊस, कॉटेज, टेंट की सुविधा है। साथ ही कश्मीर को तर्ज पर शिकारा में बेटिंग करने की सुविधा मिलती है। गोल्डन आईलैंड टिहरीसरई में वन विभाग का विश्राम गृह है, लेकिन पर्यटकों के लिए रुकने की सुविधा नहीं है। यहां अलग-अलग तरह के कैबिन का निर्माण कराया जाएगा। साथ ही फूड जोन बनाए जाएंगे। गोल्डन आइलैंड को छत्तीसगढ़ का मॉरीशस भी कहा जाता है। यह तीन तरफ से पानी से घिरा हुआ है। यह बुका से भी और अच्छा पर्यटन केन्द्र होगा। पर्यटकों को अलग ही अहसास होगा।=08=
नीली झील में 15 से अधिक आईलैंड, क्रूज की भी प्लानिंगबांगो बांध के जल भराव क्षेत्र में 15 से अधिक आईलैंड हैं। इसमें से गोल्डन आईलैंड के अलावा पास के कई द्वीपों में भी पर्यटकों को लुभाने के लिए मोटर बोट की सुविधा देने की भी योजना है। वहां भी पर्यटक घूमने के साथ ही समय बिता सकें, इसके लिए भी योजना बनाई जा रही है। पहले भी इसके लिए योजना बनाई थी। क्रूज आने के बाद नए स्थानों में जाने की सुविधा मिलेगी।
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एल्युमिनियम पार्क, स्थापना से बढ़ेंगे रोजगार के अवसर
अर्से से जिलेवासियों को एल्युमिनियम पार्क का भी इंतजार है। बालको का विनिवेश केन्द्र की अटल सरकार के दौरान 2001 में हुआ। इसके साथ ही बालको द्वारा एल्युमिनियम पार्क में एल्युमिनियम से बनने वाले विभिन्न उत्पादों की इकाइयां स्थापित करने का उल्लेख था। हालांकि यह मामला टलता गया। साल 2010 में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह व बालको की पैरेंट कंपनी वेदांता के प्रमुख अनिल अग्रवाल की उपस्थिति में एक समझौता रायपुर में बालको कैंसर हास्पिटल की स्थापना को लेकर हुआ। वहीं दूसरा एमओयू एल्युमिनियम पार्क के लिए हुआ। किन्तु एल्युमिनियम पार्क अब भी कागजों पर है। एल्युमिनियम पार्क की स्थापना होने से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। सीएसईबी के 200 मेगावाट पावर प्लांट की जगह प्लांट के स्क्रेप हो जाने के बाद खाली है, ऐसे में इसका उपयोग भी किया जा सकता है। राज्य व केन्द्र में एक ही पार्टी की सरकार होने का लाभ कोरबा को मिलने की उम्मीद की जा रही है।
पावर सिटी में भी प्रतिदिन उड़ान भरें हवाई जहाज
ऊर्जानगरी को हवाई सेवा से जोड़ना भी जनता की एक प्रमुख जरूरत है। एक दशक पहले एयर टैक्सी सुविधा के नाम पर ट्रायल किया गया। एयरस्ट्रीप को और अधिक विकसित किए जाने की बात भी आई पर कवायद आगे नहीं बढ़ सकी। बीते वर्ष भी एक सर्वे कराया गया। इस में यह स्पष्ट हो चुका है कि लैंडिंग और टेकआफ एक ही ओर से हो सकेगा। विमान सतरेंगा-अजगरबहार की ओर से लैंड करेंगे और उड़ेंगे। रिपोर्ट में चिमनी और फुटका पहाड़ को लेकर जो अड़चन बताई गई, उसकी वजह से मामला अटका हुआ है। पिछले साल सितंबर माह में ही पीडब्ल्यूडी ने दिल्ली की कंपनी जीओएड कंसल्टेंसी प्राइवेट लिमिटेड से सर्वे कराया था। बहुत कम शहरों में ही ऐसे विमानतल है जहां एक ही ओर से लैंडिंग और टेकआफ होता है। नई सरकार से लोगों को उम्मीद है कि कोरबा में हवाई सेवा जल्द शुरू हो। जितनी भी तकनीकी समस्या है, उसे दूर कर सुविधा दिलाई जाए। उल्लेखनीय है कि कोरबा जिले में एसईसीएल की कोयला खदानें, बाल्को, एनटीपीसी, लैंको, विद्युत उत्पादन कंपनी समेत कई छोटे-बड़े उद्योग संचालित है। इसके साथ ही आम लोगों को व्यापार, पढ़ाई व इलाज के लिए भी बड़े शहर जाना लगा रहता है। ऐसी स्थिति में यदि हवाई सेवा शुरू होती है तो सभी लोगों को इसका फायदा मिलेगा।
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मेडिकल स्टूडेंट को मिलेगा अपना भवन-कैंपस, आईटी कॉलेज की सुधरे दशा
स्व. बिसाहू दास महंत स्मृति मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल के नए भवन का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है और काम तेजी से होने के साथ कुछ ही दिनों में नवीन संरचनाएं आकार लेने लगेगी। भवन के लिए स्वीकृत भुलसीडीह गांव से लगी जमीन में निर्माण कार्य जारी है। निर्माण एजेंसी सीजीएमएससी द्वारा 325 करोड़ की लागत से कॉलेज व अस्पताल भवन के साथ ही स्टाफ कालोनी, हॉस्टल समेत अन्य निर्माण कार्य पूर्ण कराया जाएगा। फिलहाल कर्मचारियों के रहने के लिए कैंप का निर्माण शुरू किया गया है। कोरबा में मेडिकल कॉलेज की स्वीकृति करीब 3 साल पहले मिल गई थी। लेकिन स्वीकृत जमीन का पेंच फंसने की वजह से टेंडर में देरी हुई। मेडिकल कॉलेज और अस्पताल का भवन बनने पर स्वास्थ्य सेवाओं में बढोतरी होगी। हॉस्पिटल में बिस्तर बढ़ने के साथ ही कई बीमारियों का भी यहां इलाज हो सकेगा।
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शहर बनेगा हरित-खूबसूरत, ओक्सीजोन व कई उद्यान बनेंगे
शहरी क्षेत्र में हवा और वातावरण की दशा को स्वच्छ और खूबसूरत बनाने की भी योजना बनाई गई है। अशोक वाटिका में ओक्सीजोन तो लगभग तैयार है, नए उद्यान भी बनेंगे। छत्तीसगढ़ के 3 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों की वायु गुणवत्ता में सुधार लाने कोरबा को भी नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम में शामिल किया गया है। योजना के क्रियान्वयन के लिए एक्शन प्लान तैयार कर लिया है। इस प्लान के तहत अनेक स्थानों पर उद्यान निर्माण किए जाएंगे। जिन स्थानों पर उद्यान निर्माण की योजना है, उनमें वार्ड 33 रामपुर उद्यान का विकास कार्य, वार्ड 28 अंतर्गत डॉ आरपी नगर फेस-1 व फेस-2 दशहरा मैदान के पास, वार्ड 22 कटहल गार्डन का सौंदर्याकरण, बरबसपुर डंपिंग यार्ड में फेंसिंग सहित वृक्षारोपण, गार्डन का निर्माण कार्य, वार्ड 16 कोहड़िया अंतर्गत जल उपचार संयंत्र के सामने उद्यान का निर्माण कार्य भी शामिल है। जिसके अनुमोदन के लिए सिटी लेवल क्रियान्वयन समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जा चुका है।
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इंटरनेट से कनेक्ट होंगे पहाड़ों में पहुंचविहीन रहने वाली संरक्षित आदिम जातियां
जिला प्रशासन ने विशेष पिछड़ी जनजाति समुदाय की बसाहटों को इंटरनेट कनेक्टिविटी से लैस करने की भी योजना बनाई है। जिले में मुख्य रूप से पहाड़ी कोरवा और बिरहोर जनजातियां निवास करते हैं। ज्यादातर बसाहट सुदूर घने जंगल, पहाड़ पर पहुंचविहीन परिस्थितियों में निवास करते हैं। वर्ष 2024 में उन बसाहतों में भी मोबाइल इंटरनेट कनेक्टिविटी पहुंचाने के प्रयास भी शुरू होंगे। जिले में 74 बसाहटों में रह रहे विशेष पिछड़ी जनजाति समुदाय के 1200 परिवारों के करीब 4 हजार से अधिक लोग लाभान्वित होंगे, जिन्हें केन्द्र की विभिन्न योजनाओं के लिए चिन्हित किया गया है।
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नई जगह पर शिफ्ट होगा कोरबा शहर के लोगों के लिए भार बन चुका ट्रांसपोर्ट नगर
वर्ष 2024 में कल पुर्जों के शोर, भारी वाहनों की आवाजाही और धूल धुएं से परेशान कोरबा शहर को एक बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। संभावना है कि इस साल शहर बीच स्थित ट्रांसपोर्ट नगर नई जगह पर शिफ्ट हो जाएगा। इसके पहले नगर निगम ने बरबसपुर के पास ट्रांसपोर्टनगर का स्थल चयनित किया और 33 लाख रुपए भी शासन के पास जमा कराकर पूरी योजना का खाका भी खींच लिया गया। इस जमीन का निगम को अग्रिम आधिपत्य देने के पहले ही विवाद शुरू हो गया। बाद में मेडिकल कॉलेज व हॉस्पिटल के लिए मंजूर भुलसीडीह के पास जमीन प्रस्तावित की। जगह जो भी उचित होगी, इसका निर्णय तो सरकार करेगी पर लोगों की मंशा सिर्फ इतनी है कि जितनी जल्दी हो सके शहर के इस भार को बाहर शिफ्ट कर हल्का कर लिया जाए।
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ट्रैफिक के दबाव को हल्का करेगा वाय शेप ओवर ब्रिज
शहर के बढ़ते यातायात के दबाव को कम करने और भविष्य के लिए सीएसईबी चौक में वाय शेप फ्लाईओवर ब्रिज निर्माण की योजना भी अब तक अधूरी है।फरवरी 2023 में पीडब्ल्यूडी सेतु निगम ने सर्वे के बाद इसे फाइनल किया था। एक छोर घंटाघर मार्ग पर गर्ल्स कॉलेज के पास तो दूसरा छोर अशोक वाटिका से शुरू होने और तीसरा छोर दर्री मार्ग पर अप्पू गार्डन के पास होने की योजना बताई गई थी। ओवर ब्रिज के दोनों ओर सर्विस रोड होने से लोगों को आवाजाही में परेशानी नहीं होगी। सीएसईबी चौक पर 15 साल पहले से ही ओवरब्रिज बनाने कई बार सर्वे हुआ, लेकिन प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाई। यहां फ्लाई ओवर ब्रिज बनाने के लिए राज्य शासन पहले से ही बजट में शामिल कर चुकी है। पहले बुधवारी बाजार के पास से चौक तक ओवरब्रिज बनाने सर्वे किया, लेकिन सेतु निगम ने नए सिरे से प्लानिंग की है। इसके लिए बोरिंग का काम भी करा लिया है। दर्री की ओर से आने वाले वाहन टीपी नगर या घंटाघर जाने के लिए सीधे जा सकेंगे। यह फ्लाईओवर ब्रिज महाराणा प्रताप नगर चौक बुधवारी बाजार होते हुए जैन मंदिर चौक के पास से सीधे पंचवटी विश्राम गृह चौक होते हुए अशोक वाटिका के पास निकलेगी। जिस तरह रायपुर समेत अन्य शहरों में सड़क पर फ्लाई ओवर ब्रिज बन रहा है, उसी तर्ज पर यह भी बनेगी। सड़क के दोनों ओर सर्विस रोड होने से नीचे में कॉलोनी और बस्ती के लोग आवाजाही कर सकेंगे। पूर्व निर्धारित वर्क प्लान के अनुसार फ्लाई ओवर ब्रिज की लंबाई 2000 मीटर तक रहेगी। इसकी चौड़ाई 12 मीटर की होगी। फ्लाईओवर चौड़ी होने से लोगों को आवाजाही में परेशानी नहीं होगी। शहर से बाहर निकलने के लिए लोगों को आसान हो जाएगा। आने वाले दिनों में भारी वाहनों का प्रवेश बंद होने से लोगों को समस्या नहीं रहेगी।
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सीधे रायगढ़ के लिए नए ट्रैक पर दौड़ेगी नई ट्रेन, पुरानी गाड़ियों में भी बढ़ेगी सुविधारेल प्रशासन ने कोरबा से रायगढ़ के बीच सीधी ट्रेन चलाने का निर्णय लिया है। इस ट्रेन के शुरू होने से कोरबा के यात्रियों को बिना गाड़ी बदले रायगढ़ तक सीधी रेल सेवा प्राप्त हो सकेगी। इससे उनकी रायगढ़ तक सीधी यात्रा कम समय में पूरी होगी। वर्तमान में कोरबा से रायगढ़ जाने वाले यात्रियों को चांपा स्टेशन में गाड़ी बदलकर जाना पड़ता है। इसी तरह अमृतसर से कोरबा तक सीधी यात्रा सुविधा सुनिश्चित करने छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस का विस्तार कोरबा तक करने का निर्णय लिया गया। अमृतसर से बिलासपुर आने के बाद कोरबा के यात्री ट्रेन बदलने की परेशानी से मुक्त होंगे। वर्तमान में यह गाड़ी बिलासपुर तक ही आती है। रायपुर-कोरबा-रायपुर हसदेव एक्सप्रेस में अतिरिक्त कोचों का प्रावधान करने का भी निर्णय लिया गया। यात्री बड़ी संख्या में प्रतिदिन इस ट्रेन में सफर करते हैं, जिन्हें अब सीट के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। इन सौगातों के धरातल पर आने और उनका लाभ जिलेवासियों को जल्द मिलने की उम्मीद की जा रही है।
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एसईसीएल के सीएसआर मद से 200 करोड़ की लागत से सर्वमंगला चौक से इमलीछापर चौक, हरदीबाजार से तरदा व तरदा से सर्वमंगला चौक तक करीब 27 किलोमीटर सड़क का निर्माण होना है। तरदा से सर्वमंगला चौक तक बनने वाले टू-लेन सड़क सर्वमंगला मंदिर के पीछे तक बन चुका है। जहां नई रेलवे लाइन आ जाने से टू-लेन सड़क का रूट परिवर्तित हो गया है, जिसका निर्माण कार्य चल रहा है। वहीं शहर के सर्वमंगला चौक से कुसमुंडा के इमलीछापर चौक तक 5 किलोमीटर लंबी सड़क को 80 मीटर चौड़ी सीसी सड़क बनाते हुए बीच में डिवाइडर देकर फोरलेन बनाया गया है। निर्माण महाराष्ट्र के नागपुर की एक फर्म कर रही है। फोरलेन का निर्माण एक साल पहले ही पूरा हो जाता, लेकिन फंड समय पर जारी नहीं होने व निर्माण गति धीमी होने की वजह से अब तक बरमपुर के पास नहर के ऊपर ब्रिज व कई जगह सीसी सड़क व डिवाइडर निर्माण बाकी है।
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मल्टी विलेज प्रोग्राम में शामिल किए गए 245 गांव में पानी पहुंचाने बनेगा बांगो इंटेकवेल
मल्टी विलेज में शामिल तीन ब्लॉक के 245 गांवों के ग्रामीणों को पानी देने बांगो के एतमानगर में इंटेकवेल, वाटर ट्रीटमेंट प्लांट और पाइप लाइन बिछाने का काम जनवरी से शुरू हो जाएगा। 345 करोड़ के टेंडर को मंजूरी मिल चुकी है। 12 प्रतिशत कम दर पर ठेका कंपनी को काम आवंटित किया जाएगा। 6 महीने से टेंडर की प्रक्रिया चल रही थी। एक टेंडर निरस्त होने के बाद फिर से टेंडर मंगाया था। ग्रामीण क्षेत्रों में पानी टंकी बनाने और घरों में पाइप लाइन देने के साथ नल कनेक्शन देने का काम चल रहा है। योजना का काम पूरा होने में एक साल का समय लगेगा। जल जीवन मिशन के तहत पाली, पोड़ी-उपरोड़ा, कटघोरा ब्लॉक के 245 गांवों को मल्टी विलेज गांव में शामिल किया है। इसके लिए एतमानगर समूह जल प्रदाय योजना बनाई गई है। इसकी लागत 668.85 करोड़ रुपए है। गांव में साफ पानी पहुंचाने के लिए हसदेव बांगो बांध से पानी की आपूर्ति की जाएगी। बांगो के पास एतमानगर में इंटेकवेल, वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण होगा। यहां से गांव तक 891 किलोमीटर पाइप लाइन बिछायी जाएगी। इसके लिए ही 345 करोड़ का टेंडर जारी किया गया था। लेकिन अधिक रेट आने की वजह से अगस्त में टेंडर को निरस्त कर दिया गया। रि-टेंडर जारी तो हो गया लेकिन चुनाव आचार संहिता की वजह से रेट नहीं खुला था। आचार संहिता हटने के बाद रेट खुलते ही मंजूरी भी मिल गई है। अब समिति की बैठक कर वर्क ऑर्डर जारी किया जाएगा। इस योजना में खदान प्रभावित क्षेत्र के 42 गांव भी शामिल हैं, उन्हें पानी के लिए एक साल इंतजार करना पड़ेगा।
6 नए सब स्टेशन बनेंगे, विद्युत वितरण व्यवस्था में सुधार
आरडीएसएस स्कीम से दूसरे चरण का काम पूरा कराने बिजली वितरण कंपनी कोरबा सर्किल को 28 करोड़ 74 लाख रुपए की मंजूरी मिली है। इस राशि में 6 नए बिजली सब स्टेशन का निर्माण कराया जाएगा। साथ ही चार सब स्टेशनों में अतिरिक्त ट्रांसफार्मर लगाए जाएंगे। इसके अलावा तीन सब स्टेशन की क्षमता बढ़ाई जाएगी। इस स्कीम के पहले फेस में 104 करोड़ रुपए की राशि मिली थी। इसमें खुली तार की जगह केबल लगाने, लाइन छोटी करने समेत अन्य काम कराए जा रहे हैं। बिजली वितरण कंपनी कोरबा सर्किल के अधीक्षण अभियंता पीएल सिदार ने बताया कि आरडीएसएस स्कीम के दूसरे चरण में 28 करोड़ 74 लाख रुपए मंजूर किए गए हैं। बिजली सप्लाई व्यवस्था में सुधार के लिए यह राशि खर्च की जाएगी। आने वाले समय में बिजली उपभोक्ताओं को इसका लाभ मिलेगा। बिजली उपभोक्ताओं की संख्या में इजाफा होने से लोड ग्रोथ के हिसाब से बिजली कंपनी के प्लानिंग डिपार्टमेंट ने पाड़ीमार जोन के परसाभांठा, झगरहा, दरीं जोन के गोपालपुर, करतला क्षेत्र के कुदमुरा, नोनबिर्रा और सतरेंगा गढ़-उपरोड़ा में नए सब स्टेशन के निर्माण की कार्ययोजना बनाई थी। चूंकि अब राशि की मंजूरी मिल गई है तो निर्माण विभाग प्रोजेक्ट डिपार्टमेंट के साथ मिलकर इन स्थानों पर सब स्टेशन का निर्माण कराएगी।
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प्राइवेट लुक में दिखेगा मेडिकल कॉलेज से संबद्ध हमारा सरकारी चिकित्सालय
पहले जिला अस्पताल में आईपीडी के जनरल वार्ड में घुसने से पहले कई बार सोचना पड़ता था। यहां पर टॉयलेट के साथ ही अन्य कई जगहों में गंदगी पसरी रहती थी। इसका साथ ही बदबू उठता रहता था। मेडिकल कॉलेज से संबद्ध होने के बाद अस्पताल में चिकित्सा सुविधा के साथ अन्य मूलभूत सुविधाओं में भी सुधार होने लगा। इससे अब यहां के वही पुराने जनरल वार्ड अलग लुक में नजर आने लगे हैं। दीवारों के साथ ही बेड व मेडिसिन बॉक्स का रंग-रोगन हो चुका है। आर्कषक लाइटिंग से वार्ड चकाचक दिख रहे हैं। वार्ड के सभी टॉयलेट में पीवीसी सीट से अलग-अलग कक्ष बनाए गए हैं। यहां इंडियन व वेस्टर्न कमोड लगाए गए हैं। नहाने के लिए भी एक कक्ष बनाया गया है। साथ ही डिजाइनिंग वाले वॉश बेसिन लगाए गए हैं। इस तरह रिनोवेशन से हुए बदलाव के बाद जनरल वार्ड ऐसे नजर आ रहे हैं कि जैसे प्राइवेट अस्पताल हों। करीब 2 साल पहले कोरबा में मेडिकल कॉलेज खुलने के बाद जिला अस्पताल को अस्थाई रूप से मेडिकल कॉलेज के अस्पताल के रूप में चलाने संबद्ध किया गया। संचालन की जिम्मेदारी मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के जिम्मे होते ही सुधार के लिए जरूरी कवायद शुरू हुए। प्रबंधन ने प्रशासन को अस्पताल के रिनोवेशन की जरूरत बताई। तब डीएमएफ फंड से करीब 3 करोड़ की लागत से अस्पताल के मुख्य द्वार समेत आंतरिक हिस्से में रिनोवेशन कार्य को मंजूरी मिली। क्रियान्वयन एजेंसी नगर निगम द्वारा एक साल पहले रिनोवेशन का कार्य शुरू कराया गया। अब रिनोवेशन का 50 फीसदी हो चुका है। कार्य पूर्ण हो जाने पर वहां का लुक प्राइवेट अस्पताल की तरह नजर आने लगा है।
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सौर ऊर्जा से बूझेगी 498 पारा-मोहल्लों की प्यास
वनांचल क्षेत्रों के 498 पारा और मोहल्ले में सोलर पंप से पानी देने की योजना बनाई गई है। अभी तक 162 स्थानों में पानी दिया जा रहा है। 149 स्थानों में पानी देने के लिए क्रेडा विभाग को 30 करोड़ की राशि दी गई है। 187 स्थानों के लिए मंजूरी लेने की प्रक्रिया चल रही है। जहां सौर ऊर्जा पर आधारित योजनाएं हैं, वहां के लोगों को मुफ्त में पानी दिया जा रहा है। इसके साथ ही जिले के 703 में से 573 गांवों में पानी टंकी का निर्माण के साथ पाइप लाइन और नल कनेक्शन देने का काम चल रहा है। जिन गांवों में पुरानी योजनाएं थी, वहां पानी आपूर्ति भी शुरू कर दी गई है। 804 करोड़ रुपए की मंजूरी इन योजनाओं के लिए मिली थी। जल जीवन मिशन में 1 लाख 97 हजार 798 नल कनेक्शन लगाने का लक्ष्य है। इसमें से 70 हजार से अधिक कनेक्शन लग चुके हैं।
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एक लाख पीएम आवास, तेज होगी आशियाने सजाने की कवायदजिले में प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत 1 लाख 2864 आवास बनाने का लक्ष्य है, जिसमें से अभी तक 64837 आवासों की मंजूरी ही मिली है। इसमें से 50 हजार 78 आवास ही पूर्ण हो पाए हैं। 14759 आवासों का निर्माण चल रहा है। धीमी गति से निर्माण का मुख्य कारण 2 साल तक फंड नहीं मिलना है। साथ ही वर्ष 2021-22 में तो आवास की मंजूरी ही नहीं मिल पाई, जिसमें अब गति आएगी और जरूरतमंद वर्ग के लिए आशियाने की जुगत की जा सजेगी। पीएम आवास योजना की शुरुआत वर्ष 2016-17 में शुरू हुई थी। उस समय 2011 की जनगणना के आधार पर 1 लाख 2864 को ही पात्र बताया था। इसी सूची के आधार पर ही लक्ष्य मिलने पर हितग्राहियों को राशि जारी की जाती है। जब शुरुआत हुई उस वर्ष 12501 आवासों की मंजूरी मिली थी, लेकिन 7 साल बाद भी 376 आवास अधूरे हैं। आवास योजना में हितग्राहियों को चार किस्तों में राशि जारी होती है। पहली किस्त 25 हजार रुपए, दूसरी किस्त 40 हजार, तीसरी किस्त 40 हजार और अंतिम किस्त 15 हजार रुपए है। अभी 12746 को पहली, 11521 को दूसरी, 10178 को तीसरी और 4329 को चौथी किस्त जारी की गई है।
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=23= जनता का आम रास्ता व भारी वाहनों के लिए पृथक मार्ग: मंत्री लखन लाल
प्रदेश के वाणिज्य, उद्योग और श्रम मंत्री लखनलाल देवांगन ने कहा कि वर्ष 2024 के लिए उनका यही पहला संकल्प होगा कि सड़क हादसों और सड़क होने वाली लोगों की परेशानी को खत्म किया जा सके। इसके लिए आम जनता के आने जाने और भारी वाहनों की दौड़ लगाने का मार्ग पृथक करना होगा। इस तरह आम राजगीर और परिवहन कार्य में लगे बेतहाशा दौड़ते भारी वाहनों में अपेक्षित दूरी तय हो सकेगी। दूसरी ओर औद्योगिक जिला होने के अनुरूप अपेक्षित संसाधनों की कमी भी दूर की जाएगी, ताकि सड़क पर आए दिन निर्मित होने वाली जाम की समस्या से निजात दिलाया जा सके। श्री देवांगन ने कहा कि श्रम और उद्योग की जिम्मेदारी मिली है, तो जिले के उद्योगों और श्रमिक बंधुओं के लिए बेहतर भविष्य के लिए हर संभव प्रयास मेरा लक्ष्य रहेगा। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मेहनत मशक्कत कर अपने पसीने की कमाई में अभिमान से घर-परिवार पालने वाले श्रमिक बंधुओं के हक पर डाका डालने वालों पर सख्त कारवाई भी की जाएगी।
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सबसे पहले बदहाल हो चली सड़कों को दुरुस्त करना है: विधायक प्रेमचंद
कटघोरा विधायक प्रेमचंद पटेल ने कहा कि बीते पांच वर्षों में कटघोरा क्षेत्र विकास से पूरी तरह अछूता रहा है। अब कटघोरा से दिल्ली तक जनता के हित को सर्वोपरि रखकर कार्य करने वाली भाजपा की जन हितैषी सरकार काबिज हो चुकी है। उन्होंने कहा कि खासकर सड़क संसाधनों की कमी की भारी मुश्किलों से कटघोरा की जनता जूझ रही है। जर्जर और बदहाल हो चुके मार्गों में हादसे भी बढ़े हैं और ऐसे में सबसे पहले कटघोरा की सड़कों को दुरुस्त करना ही उनकी पहली प्राथमिकता होगी, ताकि जनता को हो रही परेशानी से राहत की जुगत जल्द से जल्द की जा सके। इसके साथ ही सरकार द्वारा किए गए जनता से वादों को भी एक एक कर पूर्ण करना भी उनका लक्ष्य होगा।
कलेक्टर सौरभ कुमार ने जिलेवासियों को दी नववर्ष की शुभकामनाएं
कोरबा कलेक्टर सौरभ कुमार (IAS) ने जिले के समस्त अधिकारियों, कर्मचारियों सहित जिलेवासियों को नववर्ष की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं दी है। उन्होंने सभी के लिए मंगल कामना करते हुए कहा की नववर्ष 2024 सबके लिए खास हो और सभी लोगों के जीवन में सुख समृद्धि, सद्भाव, शांति, विकास और खुशहाली आए। एक नए विचार और नए ऊर्जा के साथ सब प्रगति करें। उन्होंने कामना की नव वर्ष में जिला विकास के पथ पर अग्रसर रहें, चल रहे निर्माण कार्यों से जिले को नए आयाम प्राप्त हों। कलेक्टर श्री कुमार ने जिलेवासियों को अपनी जिम्मेदारियों के प्रति सदैव सजग रहने एवं जिले के विकास के लिए कड़ी मेहनत, लगन के साथ सहयोग करने का आग्रह भी किया है।
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