गणतंत्र दिवस पर निर्मला स्कूल के पूर्व छात्र डॉ. आफताब सिद्दिकी ने ध्वजारोहण किया, अपने संघर्ष के अनुभव साझा किए, कहा- बच्चों के दोस्त बनें और वहां लेकर जाएं, जहां वे अपने कॅरियर की राह खोज रहे हैं। उन्होंने पैरेंट्स और टीचर्स से गुजारिश की, कि बच्चों के दोस्त बनें, उनके सपनों को जानने और समझने की कोशिशें करें, ताकि उनके लिए सही राह ढूंढने में मदद की जा सके। हाई व हायर सेकेंडरी कक्षाओं में आकर भी कई बच्चे कॅरियर के अनेक क्षेत्र, असीमित स्कोप व संभावनाओं से अनभिज्ञ रह जाते हैं। उन्हें ऐसी जगह लेकर जाएं, जहां अपनी रूची और क्षमता के अनुरूप भविष्य की राह मिल सके, उन्हें कठिनाइयों को पारकर अपनी मंजिल हासिल करने की प्रेरणा मिल सके।
कोरबा(thevalleygraph.com)। देश के 75वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर कोसाबाड़ी चौक स्थित निर्मला स्कूल में इस बार एक ऐसी शख्सियत को राष्टÑध्वज फहराने का सर्वोच्च गौरव मिला, जिन्होंने इस विद्यालय ने पढ़ाई कर एक मुकाम हासिल किया है। वर्ष 2000 बैच के होनहार विद्यार्थी रहे डॉ आफताब सिद्दिकी ने अपने विद्यालय में 26 जनवरी को बतौर मुख्य अतिथि तिरंगा फहराया। इस अवसर पर उन्होंने बच्चों और विद्यालय परिवार से अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने पैरेंट्स और टीचर्स से गुजारिश की, कि बच्चों के दोस्त बनें, उनके सपनों को जानने और समझने की कोशिशें करें, ताकि उनके लिए सही राह ढूंढने में मदद की जा सके। हाई व हायर सेकेंडरी कक्षाओं में आकर भी कई बच्चे कॅरियर के अनेक क्षेत्र, असीमित स्कोप व संभावनाओं से अनभिज्ञ रह जाते हैं। उन्हें ऐसी जगह लेकर जाएं, जहां अपनी रूची और क्षमता के अनुरूप भविष्य की राह मिल सके, उन्हें कठिनाइयों को पारकर अपनी मंजिल हासिल करने की प्रेरणा मिल सके।
डॉ सिद्दिकी ने इस गौरवशाली अवसर के लिए प्राचार्य, अपने शिक्षकों और विद्यालय परिवार का आभार जताया। उन्होंने कहा कि बच्चों से बातें करें, उनके दोस्त बनें। बातचीत का दौर जारी रहने से ही उनके भीतर की प्रतिभा का पता चलता है, उनके सपने समझने में मदद मिलेगी और उनकी आकांक्षाओं के अनुरूप उनके लिए सही राह का चुनाव किया जा सकेगा। पैरेंट्स हो या टीचर, दोनों को मिलकर बच्चों को एक्सप्लोर करने की जरूरत है। उन्हें केवल बताना ही नहीं, दिखाना भी चाहिए कि कॅरियर की संभावनाएं कितनी असीम हैं। स्कूल के वक्त मैं खुद नहीं जानता था कि अभिनय में कॅरियर बनाने का सपना देखने वाले युवाओं के लिए नेशनल स्कूल आॅफ ड्रामा भी है। किसी को विधि की पढ़ाई में रूची होती है, कोई एक्टिंग में, किसी को गीत-संगीत या पेंटिंग सीखकर आर्टिस्ट बनने का सपना देखता है। बच्चों को प्रशासनिक अकादमी लेकर जाएं, मेडिकल कॉलेज, नेशनल स्कूल आॅफ ड्रामा या लॉ कॉलेज का भ्रमण कराएं, जहां उन्हें अपने भविष्य के लिए क्या करना है, कैसे करना, यह जानने की राह मिल सकती है। बहुत से बच्चों को हाई स्कूल तक पहुंचकर भी नहीं पता होता कि इंजीनियरिंग, मेडिकल और सरकारी सेवाओं के अलावा भी कॅरियर के कितने सारे स्कोप हैं। यही उन्हें बताने की जरूरत है, ताकि वे अपनी क्षमता और रूची के अनुरूप अपनी मंजिल चुन सकें, उसके लिए सही रास्तों का चुनाव कर सकें। इसमें विद्यालय और परिवार, दोनों का संयुक्त सहयोग महत्वपूर्ण है।
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