Categories: कोरबा

लाडले को सीने से लगाते ही जेल में बंद पिता ने कहा- अब मैं कोई ऐसा काम नहीं करूंगा, जो मुझे फिर सलाखों में ले आए

Share Now

कारावास की कठोर दीवारें भी उस वक्त रो पड़ीं, जब पिता-पुत्र के बीच सलाखें आ गई। अपने पिता की गोद में जाने तरस रहे तीन साल के मासूम की करुण पुकार गूंज रही थी, पर बेबस पिता एक कदम दूर अपने लाडले को सीने से भी नहीं लगा सकता था। यह दृश्य देख वहां मौजूद जेलर का भी दिल। भर आया और उन्होंने दो पल के लिए बंदिशों से आजाद कर भावनाओं को खुला छोड़ दिया। पलक झपकते ही बालक अपने पिता की गोद में था, जिसे सीने से लगाते ही बंदी ने कहा- शपथ लेता हूं…इस पल से मैं ऐसा कोई काम नहीं करूंगा, जिसकी सजा मुझे फिर से सलाखों के पीछे ले आए और मैं अपने बेटे के प्यार से महरूम हो जाऊं।

कोरबा(theValleygraph.com)। जिला जेल में इन दिनों कोतवाली थाना क्षेत्र में रहने वाला अमर सिंह बंद है। ‏आरोप है कि उसने नशे के कारोबार को कमाई का जरिया बनाया और लंबे वक्त से शराब के धंधे में संलिप्त था। इसकी सूचना पुलिस को लगातार मिल रही थी। करीब तीन माह पहले वह रंगे हाथ पकड़ा गया। आबकारी एक्ट के तहत कार्रवाई की गई और तभी से आरोपी जिला जेल में निरूद्ध है। हर बार की तरह बुधवार को भी परिजन तीन साल के मासूम को लेकर अमर से मुलाकात करने पहुंचे हुए थे। वे अपनी बारी आने तक जेल के बाहर इंतजार करते रहे। जैसे ही बारी आने पर पिता की झलक खिड़की के पीछे दिखाई दी, तीन वर्षीय मासूम ने मिलने की जिद्द पकड़ ली। वह पिता की गोद में जाने रोने लगा। दूसरी ओर अपने कलेजे के टुकड़े को बिलखते देख पिता की आंखें भी भर आई, लेकिन दोनों के बीच जेल की चार दिवारी थी, जिसे पार कर पाना संभव नही थी। इस मार्मिक दृश्य पर जेलर विजयानंद सिंह की नजर भी पड़ी। उन्होंने संवेदनशीलता का परिचय देते हुए पिता पुत्र को मिलाने की व्यवस्था की। मासूम को कुछ पल के लिए जेल के भीतर प्रवेश दिया गया। जैसे ही बेटा पिता के गोद में पहुंचा, दोनों एक दूसरे के गले से लिपट गए। उनकी आंखों से आंसुओं की धार बहने लगी। इस दौरान पिता को मुख से एक ही बात बार बार निकल रहे थे कि वह अब नशे के धंधे को ही जीविकोपार्जन का साधन समझ रहा था, लेकिन इस अवैध धंधे ने परिवार को ही जुदा कर दिया। अब वह किसी भी सूरत में नशे का कारोबार नही करेगा। उसे अपने बेटे और परिवार के साथ ही रहना है। यह सारा नजारा देख कुछ पल के लिए जेल के भीतर सन्नाटा छाया रहा। बहरहाल परिवार से दूरी और मासूम बेटे की जिद्द ने एक युवक को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का काम किया है।

बुरे काम से तौबा कर लें, जेलों का यही तो लक्ष्य है
बड़े से बड़ा अपराधी सजा पाकर सुधर जाए, यही जेल का लक्ष्य होता है। आमतौर पर कहा जाता है कि घृणा अपराध से करें, अपराधी से नही। यदि लोग इस बात को आत्मसात कर लें तो अपराधी काफी हद तक अपराध से तौबा कर सकते हैं। जिला जेल में बंदियों को समाज के मुख्यधारा से जोड़ने विभिन्न योजनाएं चलाई जाती है। उन्हें जेल के भीतर ही शिक्षा के प्रति जागरूक करने पढ़ाया जाता है। इसके अलावा जेल से बाहर आने के बाद आत्मनिर्भर बन सकें, इसके लिए कौशल विकास की पहल की जाती है।


Share Now
Aakash Pandey

Recent Posts

शहर के नामचीन कारोबारी पर अपने ही भाई ने लगाया था धोखाधड़ी का आरोप, 8 साल पुराने मामले में अदालत ने किया दोषमुक्त

कोरबा(theValleygraph.com)। लगभग 8 साल पूर्व शहर के एक प्रतिष्ठित व्यवसायी पर उनके ही भाई ने…

2 days ago

शिक्षकों से मिला ज्ञान का वरदान ही है जो देश के अच्छे कल के लिए योग्य नागरिकों का निर्माण सुनिश्चित होता है: आकाश शर्मा

देखिए वीडियो ... कमला नेहरु महाविद्यालय में शिक्षक दिवस समारोह आयोजित भारतीय स्टेट बैंक ने…

3 days ago

अपनी शक्ति और क्षमताएं पहचानें और शत-प्रतिशत मतदान के लक्ष्य को प्राप्त करने आगे आएं युवा: अपर आयुक्त विनय मिश्रा

देखिए वीडियो ...कमला नेहरु महाविद्यालय में मतदाता जागरुकता कार्यक्रम आयोजित, आगामी नगरीय निकाय चुनावों में…

3 days ago

एनीकट पचरा में लूट करने वाले आरोपियों को गिरफ्तार कर भेजा गया जेल

कोरबा। जिले की पुलिस ने एसपी सिद्धार्थ तिवारी (IPS) के निर्देश पर, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक…

3 days ago