महंगाई काबू करने की अपेक्षा पर मध्यम वर्ग की उपेक्षा
कोरबा(thevalleygraph.com)। केंद्र के अंतरिम बजट में आम आदमी को उम्मीद थी कि इस बार कम से कम चुनावी साल होने के चलते उन्हें महंगाई से थोड़ी राहत मिलेगी। सर्विस पेशा कर में रियायत की उम्मीद लगाए बैठे थे। पर इन अपेक्षाओं के विपरीत बजट की उपेक्षा ने लोगों को थोड़ा निराश किया। हालांकि बजट में महिलाओं ने उनकी सेहत के लिए सर्वाइकल कैंसर की नि:शुल्क वैक्सीन की सौगात का स्वागत करते हुए सराहना की है। कृषि और शिक्षा-उच्च शिक्षा में बजट बढ़ाने से यह वर्ग भी हर्षित है। इसके अलावा पर्यटन सेक्टर को ब्याज मुक्त कर्ज की घोषणा से कोरबा व कटघोरा वनमंडल के मनोरम व ख्यातिलब्ध पर्यटन स्थलों में निजी निवेश की उम्मीद की जा रही है, जिससे सैलानियों के साथ क्षेत्र के स्थानीय निवासियों के लिए रोजगार के बेहतर इंतजाम की उम्मीद की जा रही है। राजनीतिक गलियारों से अपनी अलग-अलग प्रतिक्रिया पेश की है। भाजपाइयों ने इस बजट को ऐतिहासिक और विकसित भारत की ओर बढ़ते कदम बताते हुए कहा कि किसानों के लिए भी कई महत्वपूर्ण और बड़े फैसले लिए गए हैं। यह देश के भविष्य के निर्माण का बजट है। दूसरी ओर कांग्रेस ने इसे निराशाजनक करार दिया है। कांग्रेसियों ने कहा कि इस बजट में किसी भी वर्ग के लिए कुछ नहीं हैं। महिला, किसान, युवा, श्रमिक, मजदूर, कर्मचारियों के साथ-साथ शिक्षा, चिकित्सा, बिजली- पानी, सड़क आदि क्षेत्र के लिए इस बजट में कोई विशेष प्रावधान नहीं हैं।
केंद्र के बजट की सराहना करते हुए वाणिज्य, श्रम व उद्योग मंत्री लखन लाल देवांगन ने कहा कि इस बजट से देश निश्चित तौर पर 2047 तक सबसे मजबूत और सबसे विकसित देश बन जाएगा। विश्व का विकास वाहक बनाने की दिशा में आगे ले जाएगा। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने 10 साल पहले लोगों को जो गारंटी दी थी, उसे आज पूरा कर दिया है। देश में जागृति आई है, हर पहलू में विकास दिखाई दे रहा है। नए उद्यमियों को प्रोत्साहन की दिशा में बड़ी घोषणाएं हैं। प्रत्येक नागरिक को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने, अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का सुनहरा अवसर प्रदान करने में बजट की भूमिका पर जोर दिया गया है। समाज के हर वर्ग की जरूरतों का ध्यान रखा गया है। तीन करोड़ नए घरों के निर्माण की घोषणा सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
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अंतरिम बजट को लेकर पूर्व केबिनेट मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कोई भी वर्ग इस बजट से खुश नहीं है। इस बजट में किसी भी वर्ग के लिए न कोई राहत है और न ही कोई विशेष योजना ही दिखाई गई है। धरातल पर बेहतरी के उपायों से कोसों दूर महिला, किसान, युवा, श्रमिक, मजदूर, कर्मचारियों के साथ-साथ शिक्षा, चिकित्सा, बिजली- पानी, सड़क आदि क्षेत्र के लिए इस बजट में कोई विशेष प्रावधान नहीं हैं। इस बजट से देशवासी आस लगाए बैठे थे, जो टूट गई है। आम जनता को उम्मीद थी कि इस बजट से देश में प्रगति आएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
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उपभोग व निवेश में वृद्धि जरूरी, कोई इंतजाम नहीं : दीपेश मिश्रा
एटक नेता के दीपेश मिश्रा ने कहा कि चुनावी साल के अनुरूप सत्ताधारी पार्टी ने चित भी मेरी, पट भी मेरी वाली युक्ति अपनाई है। वित्त मंत्री ने इस सर्दियों के मौसम में देश की जनता को ठंडा बजट पेश किया है। आर्थिक सुस्ती के माहौल में पेश यह एक निराशावादी बजट है। आर्थिक मंदी को दूर करने के लिए उपभोग व निवेश में वृद्धि आवश्यक है, पर बजट मे ऐसा कोई प्रोत्साहन नहीं है। सर्विस क्लास के लिए कोई राहत नहीं। आयकर जस का तस है। न स्लैब बदला और न कोई छूट दी गई। आम जनता व मजदूरों के लिए कुछ भी नहीं है। नतीजा यही कि अपेक्षाओं की कसौटी पर पूर्णत: निराशाजनक बजट है। बड़ी चिंता यह कि 18 लाख करोड़ रुपए बजट में घाटा है। यानी सरकार अपने खर्च के लिए उधार ले रही है और अगले साल यह बढ़ने वाला है।
इंफ्रास्ट्रक्चर को दी गई सबसे ज्यादा प्राथमिकता : न्याज नूर आरबी
भाजपा जिला सह संयोजक मोहम्मद न्याज नूर आरबी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को दुनिया में तीसरी क्रम की अर्थव्यवस्था बनाने का जो संकल्प लिया है, उसमें यह बजट महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इसी संकल्प को फोकस करते हुए केंद्रीय वित्तमंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने यह बजट पेश किया है। यह अंतरिम देश के आर्थिक क्षेत्र को मजबूत करने वाला है। उद्योग की तरक्की करने वाला और रोजगार की नई संभावनाओं की रचना करने वाला है। इस बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर को सबसे ज्यादा प्राथमिकता दी गई है।
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बजट में अच्छी शिक्षा की जरूरत पूरा करने की कारगर जुगत : डॉ प्रशांत बोपापुरकर
कमला नेहरू कॉलेज के प्राचार्य डॉ प्रशांत बोपापुरकर ने कहा कि शिक्षा-उच्च शिक्षा में युवाओं और विद्यार्थियों के लिए गुणवत्तापरक अध्ययन-अध्यापन की दिशा में विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं। खासकर नई शिक्षा नीति के रूप में जो बदलाव लाया जा रहा है, वह आने वाले समय में उम्दा परिणाम पेश करेगा। तकनीकी शिक्षा के केंद्रीकरण के लिए नई व्यवस्थाएं तैयार की जा रही हैं, जो अच्छी शिक्षा की जरूरत को पूरा करने कारगर साबित होगा। ये बजट गरीबों और मध्यम वर्ग के सशक्तिकरण और उनके लिए रोजगार के नए अवसर पैदा करने पर जोर देता है। यह देश के भविष्य के निर्माण का बजट है। अभावग्रस्त व मध्यम वर्ग को सशक्त करने, आय के नए अवसरों की जगुत पर भी काफी जोर दिया गया है।
किसानों के लिए बेहतरी की जुगत, प्रगतिशील बजट : अजय मिश्रा
अमरैयारापारा में रहने वाले केएन कॉलेज में भूगोल विभागाध्यक्ष अजय मिश्रा ने कहा कि हम भी एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं और केंद्र के बजट में किसानों के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण और बड़े निर्णय लिए गए हैं। यह बजट प्रगतिशील और देश के विकास वाला होगा। चाहे वह युवा हों, महिलाएं या कृषक, हर वर्ग का ध्यान रखा गया है, यह नजर आता है। जरूरतमंद वर्ग के लिए सोचा जा रहा है, वह इस बजट में परिलक्षित होता है। एक तरफ जहां कल्याणकारी योजनाएं हैं, वहीं दूसरी तरफ बुनियादी ढांचे के विकास के लिए व्यय योजनाएं भी शामिल की गई हैं। इस बजट में आम आदमी, महिलाओं, कृषि और रोजगार के लिए काफी कुछ है। पर टैक्स के में कुछ रियायत मिलने की उम्मीद पूरी नहीं हो सकी।
रेंग रही ट्रेनों की गति दुरुस्त करने कुछ नहीं किया : अंकित सावलानी
रेल संघर्ष समिति के सदस्य व युवा व्यवसाई अंकित सावलानी ने कहा कि बजट से व्यापारी वर्ग बिलकुल भी संतुष्ट नहीं है। हमें उम्मीद थी, कि इनकम टैक्स के स्लैब में गिरावट मिले या अतिरिक्त छूट का कोई प्रावधान लाया जाएगा। मध्यम आय वर्ग को सरकार हमेशा से नजरंदाज करती आई है। इस बार के बजट में यही किया गया है। तेल की कीमतों में कोई कमी नहीं की गई है और न ही इलेक्ट्रिक वाहनों का कर घटाया गया। 40 हजार वंदे भारत के डिब्बों में बदलने की एक अच्छी पहल है, पर उसके अलावा रेल सुविधा को लेकर भी बजट में कोई विशेष बात शामिल नहीं है। जोन की यात्री गाड़ियों को समय पर चलाने के लिए किसी प्रकार का जोर नहीं दिया गया, जो काफी जरूरी हो गया है।
सर्वाइकल कैंसर से जूझ रही महिलाओं के लिए संजीवनी : श्रीमती टीएम नरसिंहम
डीएव्ही पब्लिक स्कूल एसईसीएल कोरबा में पीजीटी (अंग्रेजी) श्रीमती टीएम नरसिंहम ने कहा कि सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम कर महिलाओं की सेहत पटरी पर लाने का जो इंतजाम केंद्र की मोदी सरकार के बजट में किया गया है, वह ऐतिहासिक है। आम होती जा रही इस खास बीमारी से बड़ी संख्या में महिलाएं जूझ रहीं हैं। इसके प्रिवेंशन के लिए वक्त रहते टीका लगवाना कारगर है, जिसकी सुविधा नि:शुल्क प्रदान किए जाने की पहल स्वागतेय है। इसके लिए देश की महिलाएं आभारी हैं। इसी तरह किराए के मकान में जिंदगी गुजार देने वाले असंख्य परिवारों के लिए खुद के आशियाने का सपना पूरा करने में बैंक से रियायत पर लोन की सहूलियत एक बड़ी राहत है, जो मध्यम वर्ग के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं।
कर में राहत की टूटी आस, जरूरी चीजों की महंगाई भी नजरंदाज : सीए अमोल कुमार
सीए अमोल कुमार ने कहा कि अंतरिम बजट में आम आदमी को आयकर से कोई राहत नहीं दी गई। मध्यम आय वर्ग और नौकरीपेशा नागरिकों ने उम्मीदें लगा रखी थी, पर अपेक्षा के बिलकुल विपरीत केंद्र के बजट में ऐसा कोई इंतजाम नजर नहीं आया। उन्होंने कहा कि रियायत दी जानी चाहिए थी, बल्कि दस लाख तक टैक्स फ्री कर दिया जाना चाहिए था। जीएसटी में भी जो हायर स्लैब है, 28 प्रतिशत का, उसे भी कम किए जाने की जरूरत सभी महसूस कर रहे हैं। जरूरतों की चीजें, जिनमें जीएसटी अभी भी लगाया जा रहा है, बढ़ी कीमतों, उसे या तो कम करने या हटा दिए जाने की आस थी। आम नागरिक के नजरिए से केंद्र के इस बजट में इन चीजों को ध्यान दिए जाने की उम्मीद चकनाचूर हो गई। कुछ चीजें जो 18 प्रतिशत में हैं, उन्हें अगर 12 प्रतिशत में लाया जाए, तो काफी राहत मिल सकती थी।
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