24 साल देशसेवा की, फौज से विदाई लेकर घर लौटे तो बैंड-बाजे के साथ पूरे गांव ने किया रिटायर्ड बीएचएम गोवर्धन प्रसाद सोनी का अभिनंदन
साहस और शौर्य के लिए जिंदगी समर्पित कर देने की शपथ लेकर एक नौजवान ने भारतीय सेना में अपना भविष्य चुना। कठिन ट्रेनिंग ली और देश की अनेक सरहदों पर सीना ताने हिफाजत का जिम्मा उठाया। इस बीच कई ऐेसी विकट परिस्थितियां आर्इं, जब उन्होंने एक फौजी का कर्तव्य समर्पण के साथ पूरा किया। मुश्किल हालात में जब साथियों के साथ वे अपने ड्यूटी पर पहुंचते, दूसरी ओर गोलियों की बरसात हो रही होती। एंबुश के जरिए उन्होंने कई बार ऐसे साहस का परिचय दिया, जब घुसपैठ कर देश की जमीन पर नापाक कदम रखने की कोशिशें कर रहे दुश्मनों को जवाबी फायरिंग से पीछे हटने और भाग निकलने को विवश कर दिया। 24 साल सैनिक का धर्म निभाने के बाद कोरबा के वीर सपूत की घर वापसी हुई, तो स्वागत के लिए सारा गांव पहुंचा था। बैंड-बाजे के साथ विजयरैली निकाली गई और धूम-धाम से उनका अभिनंदन किया गया।
कोरबा(thevalleygraph.com)। जिले के वनांचल ग्राम कोरकोमा में भारतीय सेना की सेवा पूरी कर रिटायर हुए बैटरी हवलदार मेजर (बीएचएम) गोवर्धन प्रसाद सोनी वापस लौटे। उनके आगमन की सूचना पाकर पूरा गांव रेलवे स्टेशन पहुंच गया। ट्रेन से उतरते ही आतिशबाजी हुई, लोगों ने उन्हें कंधे पर उठा लिया और खुशियां मनाते उन्हें गांव लाया गया। इस वीर सपूत के अभिनंदन के उत्सव में हर कोई पूरे उत्साह के साथ शरीक हुआ। बैंड-बाजे के साथ विजय रैली निकाली गई और लोगों ने उन्हें उठाकर नाचते-गाते घर पहुंचाया। इस दौरान गांव में ऐसा माहौल निर्मित हो गया, जैसे आज घर-घर कोई त्योहार मनाया जा रहा हो। रिटायर्ड फौजी श्री सोनी, कोरकोमा के कृषक स्व. गंगाप्रसाद सोनी व स्व. श्रीमती उत्तमबाई सोनी के सबसे छोटे पुत्र हैं। जब वे सातवीं कक्षा में थे, तभी मां का साथ छूट गया। इस बीच फौजी की वर्दी ने उन्हें आकर्षित किया और उन्होंने सेना में कॅरियर को अपना लक्ष्य बना लिया। इसके लिए कड़ी मेहनत की, तैयारियों में जुटे रहे। अपना सपना तो हासिल किया ही, अब सेवा के चौबीस साल पूरे कर घर वापसी की। सेना की सेवा के दौरान वे कुपवाड़ा और पुंछ-रजौरी जैसे संवेदनशील क्षेत्र में भी रहे।
ईवीपीजी में एनसीसी कैडेट रहे, पुलिस-फौज में एक साथ चयन, उन्होंने चुनी आर्मी
शासकीय इंजीनियर विश्वेसरैया पीजी कॉलेज के स्टूडेंट रहे श्री सोनी ने बताया कि जब वे प्रथम वर्ष में थे, तब एनसीसी कैडेट के रूप में पहली बार सैन्य गतिविधियों को जाना। तभी से उन्हें सेना की वर्दी आकर्षित करने लगी। कोशिशें की, अनेक भर्तियों में शामिल हुए। खास बात यह कि साल 2000 में मध्यप्रदेश पुलिस और थलसेना, दोनों में एक साथ चयन हुआ और दोनों के कॉल लेटर घर पहुंचे। तब उन्होंने अपने सपने के साथ फौज को चुना और आर्मी ज्वाइन की।
जम्मू-कश्मीर में दो बार पोस्टिंग, कहा- युवा नशा छोड़ फौज में जाएं
श्री सोनी ने भारतीय थलसेना में सर्विस के दौरान गुजराज व कश्मीर समेत अलग-अलग स्थान पर देश की सेवा की। जम्मू कश्मीर में के संवेदनशील क्षेत्रों में चुनौतियों के साथ अपनी भूमिका निभाई। उन्होंने बताया कि आपात परिस्थितियों में भी हंसते हुए काम करना सैनिक का कर्तव्य होता है। श्री सोनी ने इस बात पर चिंता जताई कि वर्तमान में युवा बड़ी संख्या में नशे की गिरफ्त में आकर जीवन नष्ट कर रहे हैं। यह देश-समाज के लिए गंभीर मसला है। युवाओं को शारीरिक फिटनेस के साथ भारतीय सेना में आने के लिए कोशिश करनी चाहिए। सैनिक की क्षमता और शारीरिक सेहत की सेना की ताकत है।
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