यह दुनिया के सबसे लोकप्रिय खेलों में से एक है, जिसके प्रशंसक दुनिया भर में मौजूद हैं। ओलंपिक जैसे मल्टी-स्पोर्ट स्पर्धाओं में मुख्य आकर्षण का केंद्र है। आइए आज हम बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन से निर्धारित इस शानदार खेल को खेलने के नियम, मापदंडों और विधि के बारे में जानने व समझने का प्रयास करते हैं। हम उन नियमों और उपकरणों पर एक निगाह डालते हैं, जिनकी खेल के दौरान एक खिलाड़ी को सबसे ज्यादा जरूरत होती है।
स्पोर्ट्स डेस्क(thevalleygraph.com)। बैडमिंटन का खेल एकल (अकेले), जोड़ी (युगल) अथवा (मिश्रित युगल) में खेला जा सकता है। एकल में, दो खिलाड़ी एक-दूसरे के विरुद्ध प्रतिस्पर्धा करते हैं। इसी तरह युगल या मिश्रित युगल में, खिलाड़ियों की एक जोड़ी दूसरी या प्रतिस्पर्धी जोड़ी के विरुद्ध प्रतिस्पर्धा करती है। बैडमिंटन की युगल और मिश्रित युगल को स्पर्धा में चार खिलाड़ी शामिल होते हैं।
पहले 21 अंक लाने वाला विनर, ये है स्कोर करने की विधि
इस खेल के किसी मैच में स्कोर करने की विधि पर गौर करें तो सभी एकल और युगल मैच में तीन गेम होते हैं। हर गेम में सबसे पहले 21 अंक हासिल करने वाला खिलाड़ी विजेता होता है। अगर कोई खिलाड़ी लगातार दो गेम जीत जाता है तो वह मैच का भी विजेता होता है और तीसरा गेम नहीं होता है। प्रत्येक सर्व पर एक अंक अर्जित किया जाता है और जो भी पक्ष रैली जीतता है, उसे प्रदान किया जाता है। जीतने वाले खिलाड़ी या जोड़ी को अगली सर्विस मिलती है। यदि स्कोर 20-20 है, तो गेम जीतने के लिए एक पक्ष को दो स्पष्ट अंकों से जीतना होगा। यदि स्कोर 29-29 तक पहुंच जाता है, तो सबसे पहले 30वां अंक प्राप्त करने वाला खिलाड़ी जीतेगा।
छोर का परिवर्तन कब होता है, अंक कैसे मिलते हैं…
बैडमिंटन में खेल के दौरान खिलाड़ियों को विशिष्ट परिस्थितियों में छोर बदलना होता है। उन्हें पहले गेम के समाप्त होने के बाद छोर बदलना चाहिए। अगर मैच तीसरे गेम तक पहुंचता है तो उन्हें दूसरे गेम के बाद भी अपना साइड बदलना होगा। तीसरे गेम में, जब भी कोई एक खिलाड़ी या युगल टीम 11 अंकों तक पहुंच जाती है, तब छोर बदला जाता है। अगर बर्डी (शटलकॉक) प्रतिस्पर्धी खिलाड़ी या टीम के कोर्ट के हिस्से में गिरती है तो खिलाड़ी को एक अंक मिलता है। शटलकॉक अगर लाइन पर भी गिरती है तो भी अंक हासिल होता है। लेकिन, जब कोई शॉट कोर्ट की सीमा रेखा के बाहर जाता है तो जिसकी कोर्ट की तरफ शटलकॉक गिरता है, उसे अंक मिलता है। यदि बर्डी नेट से टकराकर प्रतिस्पर्धी खिलाड़ी के पाले में जाती है, या उसके नीचे से गुजरती है, या अगर कोई खिलाड़ी अपने रैकेट से दो बार शटलकॉक को मारता है, तो उसके प्रतिस्पर्धी को अंक दिया जाता है। खिलाड़ियों को शॉट खेलने से पहले शटलकॉक के नेट पार करने की प्रतीक्षा करनी चाहिए। यदि वे अपने शरीर या रैकेट से नेट को छू लेते हैं तो उसके विपक्षी खिलाड़ी या युगल टीम को एक अंक मिल जाता है।
अटलांटा-1996 से मिश्रित युगल की शुरुआत, अब ओलंपिक में पांच स्पर्धाएं
बार्सिलोना 1992 के बाद से बैडमिंटन, नियमित रूप से ओलंपिक खेल का हिस्सा रहा है। अटलांटा 1996 में मिश्रित युगल की शुरुआत के बाद से अब ओलंपिक खेल में बैडमिंटन की पांच प्रतियोगिताएं शामिल हैं। ओलंपिक खेल की बैडमिंटन स्पर्धा में चाइना ने कुल 20 स्वर्ण, 12 रजत और 15 कांस्य पदक के साथ अपना वर्चस्व बनाए रखा है। इंडोनेशिया 8 स्वर्ण, 6 रजत और 7 कांस्य पदक के साथ दूसरा सबसे सफल देश है। हालांकि, बैडमिंटन का खेल एशिया में सबसे अधिक लोकप्रिय है। लेकिन, यह यूरोप के खिलाड़ी भी इसमें काफ़ी दिलचस्पी रखते हैं। शीर्ष सम्मान के लिए नियमित रूप से अपनी चुनौती पेश करते रहते हैं, जिसमें डेनमार्क के खिलाड़ियों का नाम भी शुमार है।
सर्विस खास है, तब दोनों ओर के खिलाड़ी स्थिर रहते हैं
रैकेट के खेल में खिलाड़ी अपनी कमर की ऊंचाई से सर्विस करता है। शटलर को यह भी ध्यान रखना होता है कि शटलकॉक अपने बॉक्स से सामने वाले खिलाड़ी के बॉक्स में तिरछी जाए। सर्विस के दौरान दोनों ही खिलाड़ी स्थिर रहते हैं। बैडमिंटन की एकल स्पर्धा के नियम के मुताबिक सर्व करने वाला खिलाड़ी कोर्ट के दाईं ओर से सर्विस करता है। सर्विस करने वाले खिलाड़ी के पास अगर इवेन प्वाइंट (सम संख्या में अंक) है तो वह हमेशा दाईं ओर से ही सर्व करेगा। इसके विपरीत अगर गेम के दौरान सर्विस करने वाले खिलाड़ी के पास ऑड प्वाइंट (विषम संख्या में अंक) हैं तो वो बाईं तरफ से सर्विस करेगा। जब तक सर्विस करने वाला खिलाड़ी अंक जीतने में कामयाब रहेगा तब तक वह अपनी सर्विस जारी रखेगा। बैडमिंटन की युगल स्पर्धा में सर्विस करने वाला खिलाड़ी दाईं ओर से अपनी सर्व शुरू करता है और जब तक वह प्वाइंट हासिल करना जारी रखता है तब तक वह अपनी टीम के साथी के साथ बारी-बारी से सर्व करता रहता है। यदि विपक्षी टीम अंक लेने में कामयाब होती है तो फिर सर्विस करने का मौका उन्हें मिल जाता है। मैच में जो खिलाड़ी शुरू में दोनों टीम के लिए सर्व नहीं करता है, उस खिलाड़ी को केवल तभी सर्व करने का मौका मिलता है, जब वह नॉन-सर्विस साइड के रूप में जीत हासिल करते हैं।
अब जानिए कोर्ट की आकार-आकृति और नेट की ऊंचाई
एकल स्पर्धा में बैडमिंटन कोर्ट 13.41 मीटर (44 फीट) लंबा और 5.18 मीटर (17 फीट) चौड़ा होता है। युगल स्पर्धा में कोर्ट की चौड़ाई 6.1 मीटर (20 फीट) होती है, जबकि लंबाई समान ही रहती है। नेट की बात करें तो दोनों ही छोर से इसकी ऊंचाई 1.55 मीटर (5 फीट 1 इंच) होती है, जबकि बीच में नेट की ऊंचाई 1.52 मीटर होती है। खिलाड़ी जब सर्विस करता है तो उसका सर्व शॉर्ट सर्विस लाइन से जरूर पास करना चाहिए जिसकी दूरी नेट से 1.98 मीटर (6.5 फीट) होती है। शॉर्ट सर्विस लाइन के अलावा एक बीच की लाइन भी होती है जो बाएं और दाएं सर्विस कोर्ट को विभाजित करती है। इसके अलावा एक बेसलाइन होती है, जो युगल सर्विस लाइन से 0.76 मीटर (2.5 फीट) की दूरी पर होती है। प्रत्येक सर्विस कोर्ट (कुल चार) 3.96 मीटर (13 फीट) लंबा और 2.59 मीटर (8.5 फीट) चौड़ा होता है।
(सौजन्य से – olympics.com)
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