निर्णायक भूमिका निभाएगी आधी आबादी, सरगुजा लोकसभा सीट के 8 विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर महिला मतदाताओं की संख्या पुरुष वोटर्स से 6340 अधिक, कांग्रेस से महिला उम्मीदवार शशि सिंह और दिग्गज नेता चिंतामणि महाराज पर लगी है भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर। BJP के दिग्गज अनुभवी शख्सियत तो दूसरी ओर कांग्रेस की तेज तर्रार और मुखर युवा नेत्री के बीच भिड़ंत देखना मजेदार होगा। इसमें कोई शक नहीं कि यह मुकाबला काफी रोचक और चैलेंजिंग होने वाला है।
रायपुर(theValleygraph.com)। सरगुजा लोकसभा सीट छत्तीसगढ़ के 11 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। इसमें वर्तमान में 8 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। उनमें से 8,24,441 पुरुष वोटर और महिला मतदाताओं की संख्या 8,30,781 हैं। इन आंकड़ों से साफ होता है कि सरगुजा की सीट पर काबिज होने वाले अगले सांसद के भाग्य का फैसला इस बार महिलाओं के हाथ में है, जो अपने बहुमूल्य वोटों की ताकत से लोकसभा चुनाव 2024 के विजेता खिलाड़ी का चयन करने में अहम भूमिका निभाएंगी। इस क्षेत्र में थर्ड जेंडर के मतदाता 17 हैं। पांच वर्ष पहले की परिस्थितियों पर गौर करें तो साल 2019 में कुल वोटरों की संख्या 12,80,689 थी। जिनमें से कुल पुरुष मतदाता 6,48,612 और महिला मतदाता 6,29,773 थीं। 2019 में कुल मतदान प्रतिशत 77.37 प्रतिशत था। तब भारतीय जनता पार्टी से रेणुका सिंह ने 6,63,711 वोट हासिल कर जीत पाई थी।
शशि को विरासत में मिली राजनीति, बेदाग-मुखर और तेज तर्रार व्यक्तित्व टीएस की साख दांव पर
कांग्रेस ने युवा नेत्री, युवा कांग्रेस की राष्ट्रीय सचिव शशि सिंह को सरगुजा लोकसभा क्षेत्र से मैदान सौंपा है। शशि सिंह सूरजपुर जिले में जिला पंचायत सदस्य हैं। उन्होंने जिला पंचायत का चुनाव बड़े अंतर से जीता है। सूरजपुर जिले में तेजी से उभरीं युवा नेत्री शशि सिंह गोंड़ जनजातीय समाज से हैं। इस कारण उनकी अच्छी सामाजिक पकड़ भी है। राजनीति उन्हें विरासत में मिली है। इनके पिता स्व तुलेश्वर सिंह छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी सरकार में मंत्री थे। पिता तुलेश्वर सिंह तेज तर्रार छवि के थे और उन्हीं की छाप शशि सिंह पर नजर आती है। मुखर होकर शशि अपनी बात रखती हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता राहुल गांधी के भारत जोड़ो यात्रा के प्रथम चरण में शशि सिंह फुल टाइमर यात्री रहीं हैं। यात्रा में शामिल उन 100 युवाओं में शशि भी शामिल थीं, जिन्होंने 3500 किलोमीटर की यात्रा भी राहुल गांधी के साथ तय की थी। शशि सिंह पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव की करीबी मानी जातीं हैं।
क्षेत्र की दूसरी बड़ी जनजाति कंवर समाज का बड़ा चेहरा हैं चिंतामणि महाराज, कई राजनीतिक उतार चढ़ाव देखे
भाजपा ने कंवर जनजाति के चिंतामणि महराज को मैदान में उतारा है जो लोकसभा क्षेत्र में दूसरी बड़ी जनजाति है। इससे पहले, वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के सदस्य थे। 2008 में, उन्होंने सामरी निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा, लेकिन 15 प्रतिशत वोट से सिद्ध नाथ पैकरा के खिलाफ हार गए। चिंतामणि महाराज 2004 से 2008 तक अध्यक्ष राज्य संस्कृत बोर्ड रहें थे। फिर उन्होंने 2008 में बलरामपुर जिले के सामरी विधानसभा से ही निर्दलीय चुनाव लड़ा। जिसमे उन्हें हार का सामना करना पड़ा। फिर 2013 में वे फिर से सामरी विधानसभा से ही चुनाव मैदान में कूदे। पर अंतर सिर्फ इतना था कि वे इस बार निर्दलीय चुनाव न लड़ कर कांग्रेस की टिकट पर खड़े हुए थे और चुनावी मैदान फतह कर पहली बार विधायक बने थे। जिसके बाद 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने फिर से उन पर भरोसा जताया और एक बार फिर वे सामरी विधानसभा से चुनावी मैदान में कूद पड़े। इस बार उन्होंने भाजपा के अपने करीबी प्रत्याशी सिद्धनाथ पैकरा को शिकस्त दी। चिंतामणि महाराज को कुल 80,620 वोट प्राप्त हुए तो वही उनके करीबी प्रतिद्वंदी भाजपा प्रत्याशी सिद्धनाथ पैकरा को 58697 वोट मिले। चिंतामणि महाराज 2014-15 में सदस्य आचरण समिति छतीसगढ़ विधानसभा रहें। फिर 2016- 17 में छतीसगढ़ प्राक्कलन समिति रहे। 2017-18 में सदस्य याचिका समिति छतीसगढ़ विधानसभा रहे। 2018- 19 में सदस्य पुस्तकालय समिति, बने। सन 2020 से संसदीय सचिव बनें।