फिल्मों का एक बहुत पुराना डायलॉग आप सभी ने सुना होगा, “जिसने मां का दूध पिया है वह सामने आए…” इस डायलॉग में जो वजन है, वाकई उसमें मां के दूध की ताकत शामिल है। क्योंकि मां के दूध में ही वह अमृत है जो बच्चे को ताउम्र मजबूत रखने की ताकत देती है। इसीलिए चिकित्सकों ने भी मदर फीडिंग को संजीवनी करार दिया है। बच्चों की इस जरूरत को ध्यान रखते हुए एक ऐसा Mother Milk Bank चलाया जा रहा है, जहां ममतामई माताएं स्वेच्छा से अपना दूध डोनेट कर सकती हैं, ताकि किसी वजह से जिन माताओं के दूध नहीं आते, या बिन मां के बच्चों को मां का दूध नसीब नहीं होता, उनके लिए यह जरूरी जुगत की जा सके।
यह बाड़मेर के District Hospital में संचालित “आंचल Mother Milk Bank” अब तक 2390 नवजात शिशुओं के लिए आहार और जीने का आधार बन चुका है। ऐसी माताएं, जिन्हें स्वास्थ्य कारणों के चलते दूध नहीं आता, हॉस्पिटल प्रबंधन द्वारा उन बच्चों को भी Mother Milk Bank से दूध उपलब्ध कराया जा रहा है।
इस तरह दान किया जाना वाला दूध माइनस 20 डिग्री में रखा जाता है ताकि गुणवत्ता बनी रहे। इस स्थिति में इसको छह माह में उपयोग में लिया जा सकता है। इस अवधि में दूध खराब नहीं होता है। अपने दूध का दान करने वाली माताओं को भी कई फायदे हैं हैं। स्तन, बच्चेदानी व अंडाशय कैंसर की संभावना बहुत कम हो जाती है। वजन नियंत्रित रहता है तथा मधुमेह होने का खतरा भी कम हो जाता है।
वर्ष 2018 में शुरू इस अनूठे बैंक का आधार वह माताएं है जो समय-समय पर हॉस्पिटल आकार अपना अनमोल दूध Mother Milk Bank में डोनेट कर रही हैं। Mother Milk Bank जोधपुर के अलावा अजेमर में 1000 यूनिट दूध डोनेट किया जा चुका है। अब यहां माताएं खुद मोटिवेट होकर मदर मिल्क बैंक पहुंचकर अपनी इच्छा से दूध डोनेट कर रही है।
आंचल Mother Milk Bank से अब तक करीब 3125 माताओं ने अपने आंचल के दूध से 2390 मासूमों को नया जीवन दे चुकी हैं। Mother मिल्क बैंक प्रभारी और Pediatrician ड़ॉ महेंद्र चौधरी बताते है कि वर्ष 2018 से 2390 बच्चे इस बैंक से लाभ प्राप्त कर चुके हैं और माताओं द्वारा अब तक 803 लीटर दूध दान किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि आवश्यकता होने पर अन्य होस्लिटल्स में भी bank का दूध डोनेट किया जाता है।
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