रायपुर/कोरबा(thevalleygraph.com)। सूबे के बड़े-बड़े नेताओं के साथ उठना-बैठना, उनके लिए तांत्रिक पूजा करना और सियायी गलियारों को अमरबेल की तरह पकड़कर छत्तीसगढ़ के हाई प्रोफाइल लिस्ट में शुमार होना। पर अब छत्तीसगढ़ पुलिस को ऐसी बड़ी शख्सियत की तलाश कर रही है, जो भगोड़ा करार दिया गया है। छत्तीसगढ़ के बड़े नेताओं का खुद को करीबी बताने वाले बिलासपुर निवासी केके श्रीवास्तव पर 15 करोड़ की ठगी का आरोप लगा है। यूपी के रावत एसोसिएट के एडमिन मैनेजर अजय कुमार ने शिकायत दर्ज कराई है। कारोबारी अजय के मुताबिक केके श्रीवास्तव ने उनके मालिक अर्जुन रावत को 500 करोड़ का काम दिलाने का सब्जबाग दिखाया और फिर फर्जी दस्तावेज भेजकर ठगी की। श्रीवास्तव के साथ उसके बेटे कंचन श्रीवास्तव के खिलाफ भी शिकायत दर्ज की गई है। श्रीवास्तव के खातों की जांच में 300 करोड़ का लेन-देन मिला है। ये खाते म्ॅै मकानों में रहने वालों के नाम पर हैं। पुलिस ने इसकी जांच आयकर विभाग को सौंप दी है। ईडी भी जल्द इस मामले की जांच शुरू कर सकती है। गौर करने वाली बात होगी कि ईडी पूर्व में केके श्रीवास्तव के यहां दबिश दे चुकी है। कोयला में लेवी वसूली के मामले की जांच करने ईडी की टीम पहुंची थी। श्रीवास्तव कोयला और राख परिवहन से जुड़े हैं। ईडी की टीम उनके बिलासपुर आवास और कोरबा कार्यालय में 28 मार्च को पहुंची थी।
उल्लेखनीय होगा कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आई, तो केके श्रीवास्तव ने ब्लैकस्मिथ कंपनी खड़ी की और राजनितिक रसूख का इस्तेमाल करते हुए बालको के पॉवर प्लांट से निकलने वाले फ्लाई एश (राखड़) के परिवहन का काम लिया। रसूख के चलते केके को राखड़ के परिवहन के काम में खुली छूट मिली। आलम यह रहा कि इस काम के दौरान राखड़ ढोने वाले कहीं भी उसे फेंकने लगे और पूरा कोरबा शहर राखड़ से प्रदूषित हो गया। इसके बावजूद ब्लैकस्मिथ कंपनी के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं हुई। वहीं हसदेव नदी के किनारे राखड़ फेंकने और लोगों की जमीन को प्रदूषित करने के खिलाफ आंदोलन के बाद भी इसका कोई बाल-बांका नहीं हुआ।
प्रदेश के अलग-अलग जिलों में दबिश, पिता-पुत्र भगोड़ा करार
एफआईआर में यह दर्ज किया गया है कि प्रदेश के सबसे बड़े नेता भगोड़े ठग केके श्रीवास्तव से तांत्रिक पूजा करवाते थे। ये नेता भाजपा के हैं या कांग्रेस के, ये नहीं लिखा गया है। लेकिन ठग पर आरोप है कि वो पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में सबसे बड़े नेताओं के करीबी थे। पुलिस ने आरोपी पिता-पुत्र की गिरफ्तारी के लिए बिलासपुर समेत प्रदेश के अलग-अलग जिलों में दबिश दी। इस दौरान वे नहीं मिले, तो दोनों को भगोड़ा साबित कर दिया गया। आरोपियों का पता बताने वाले को इनाम देने की भी घोषणा की गई है। पुलिस का दावा है, कि आरोपियों के खिलाफ जांच जारी है। रायपुर पुलिस ने आरोपी केके श्रीवास्तव और उसके बेटे कंचन श्रीवास्तव के बिलासपुर स्थित मकान में छापेमारी की थी। टीम ने अज्ञेय नगर स्थित उनके घर पर छापा मारा, लेकिन श्रीवास्तव वहां मौजूद नहीं था। बता दें कि, बीते तीन महीने में रायपुर पुलिस ने कई बार बिलासपुर के कई ठिकानों पर छापेमारी की, लेकिन अभी तक दोनों का कोई सुराग नहीं मिला है।
काम के सिलसिले में कारोबारी अर्जुन रावत जून 2023 में रायपुर आए हुए थे। रायपुर में आचार्य प्रो. कृष्णम के माध्यम से उनकी केके श्रीवास्तव से जान पहचान हुई। केके श्रीवास्तव ने कारोबारी रावत से मुलाकात के दौरान कहा, कि राजनेता के भाई असगर को रायपुर स्मार्ट सिटी में 500 करोड़ का प्रोजेक्ट मिला है। वो प्रोजेक्ट को सबलेट (पेटी कॉन्ट्रैक्ट देना) करना चाहता है, जिसके लिए सरकार को 15 करोड़ रुपए सिक्योरिटी मनी जमा करना है। कारोबारी को झांसे में लेने के लिए ठग ने उसे प्रोजेक्ट के दस्तावेज भी दिखाए। श्रीवास्तव की बातों में आकर कारोबारी रावत प्रोजेक्ट में काम करने के लिए तैयार हो गया और ठग के बताए अकाउंट में 8 दिन में 15 करोड़ रुपए ट्रांसफर कर दिए। पैसा लेने के बाद तय समय पर श्रीवास्तव कारोबारी को प्रोजेक्ट नहीं दिलवा पाया, तो कारोबारी ने अपने पैसे मांगे। जब कारोबारी लगातार पैसों की मांग करने लगा तो श्रीवास्तव उसे गुमराह करने के लिए कंचन श्रीवास्तव समेत कुछ फर्मों के चेक दिए। कारोबारी ने पैसे निकालने के लिए जब बैंक में चेक लगाए, तो पता चला, कि आरोपी ने चेक देने के बाद उसे स्टॉप श्रेणी में डाल दिया है। इस हरकत के बाद कारोबारी ने श्रीवास्तव को फोन लगाया, तो उसने नक्सली और राजनैतिक रसूखदारों से जान पहचान होने की बात बोलकर उसे और उसके परिवार को जान से मारने की धमकी दी। आरोपी की इस हरकत के बाद कारोबारी ने मामले की शिकायत पुलिस में की, तो पुलिस ने केस दर्ज करके जांच शुरू की।
शिकायतकर्ता अजय कुमार ने पुलिस को बताया, कि ग्रेटर नोएडा में रावत एसोसिएट का ऑफिस है। एक ऑफिस रायपुर लाभांडी में भी है। रावत एसोसिएट हाईवे कंस्ट्रक्शन, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट, रोड कंस्ट्रक्शन और सरकारी बिल्डिंग निर्माण का काम करती है। शिकायत करने वाले कारोबारी अजय कुमार ने पुलिस को बताया, कि आरोपी केके श्रीवास्तव ने रावत एसोसिएट का पैसा गबन करने के लिए उनकी कंपनी ग्लोमैक्स इंडिया और छत्तीसगढ़ सरकार का एक फर्जी दस्तावेज बनाकर भेजा था। इस दस्तावेज को देखने के बाद श्रीवास्तव के बताए अकाउंट में पैसे ट्रांसफर किए गए। पुलिस के अनुसार आरोपी श्रीवास्तव के अकाउंट्स की जांच के दौरान पता चला, कि आरोपी ने पैसा 80 से ज्यादा बार में अलग-अलग अकाउंट्स में ट्रांसफर किया है। जिन अकाउंट्स में पैसा ट्रांसफर किया गया, उनकी जांच भी जारी है।
ऐसा बढ़ा रसूख और बढ़ता गया कारोबार का दायरा
केके श्रीवास्तव ने गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट की शरण ली है। उन्होंने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत आवेदन लगाया था। उनकी पैरवी करने वाले एडवोकेट ने कोर्ट को बताया कि यह आपसी लेनदेन का मामला है। याचिकाकर्ता ने कोई धोखाधड़ी नहीं की है। लिहाजा, उन्हें अग्रिम जमानत दी जाए। वहीं, चीफ जस्टिस सिन्हा ने इसे गंभीर मामला बताते हुए जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है।
निलंबित होने के बाद केके श्रीवास्तव ने लाइजनिंग का काम शुरू किया। जमीन की अच्छी जानकारी होने के कारण अधिकारियों के करीबी रहे और एक माइंस के लिए लाइजनिंग का काम किया। काम के दौरान रसूखदारों के संपर्क में आए और तांत्रिक क्रिया का दायरा बढ़ाया। बिलासपुर के महाराणा प्रताप चैक इलाके में श्रीवास्तव का काफी बड़ा बंगला है। उनका निवास तंत्र-मंत्र का केंद्र बना हुआ है। कांग्रेस सरकार में उनके निवास में बड़े-बड़े बाबा, अधिकारी और राजनेताओं का आना-जाना लगा रहता था। लोग उनके पास अपनी समस्या और काम लेकर आते थे।
प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आई, तो केके श्रीवास्तव ने ब्लैकस्मिथ कंपनी खड़ी की और राजनितिक रसूख का इस्तेमाल करते हुए बालको के पॉवर प्लांट से निकलने वाले फ्लाई एश (राखड़) के परिवहन का काम लिया। रसूख के चलते केके को राखड़ के परिवहन के काम में खुली छूट मिली। आलम यह रहा कि इस काम के दौरान राखड़ ढोने वाले कहीं भी उसे फेंकने लगे और पूरा कोरबा शहर राखड़ से प्रदूषित हो गया। इसके बावजूद ब्लैकस्मिथ कंपनी के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं हुई। वहीं हसदेव नदी के किनारे राखड़ फेंकने और लोगों की जमीन को प्रदूषित करने के खिलाफ आंदोलन के बाद भी इसका कोई बाल-बांका नहीं हुआ।
सीएसपी अजय कुमार ने बताया कि केके श्रीवास्तव और उसके बेटे कंचन श्रीवास्तव के खिलाफ नोएडा के कारोबारी ने शिकायत दी है। आरोपियों के बैंक अकाउंट्स से बड़ी रकम का ट्रांजेक्शन मिला है। तलाश और जांच जारी है।
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