देखिए video…मुड़ापार कोरबा में आयोजित गरबा उत्सव कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहे भाजयुमो महामंत्री एवं पार्षद नरेंद्र देवांगन ने समिति के सदस्यों के साथ प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया।
कोरबा(thevalleygraph.com)। नवरात्रि के दौरान गरबा-डांडिया में माता शक्ति की भक्ति की अभिव्यक्ति के साथ-साथ भारतीय संस्कृति का वैभव भी झलकता है। देवी दुर्गा के नौ रुपों की पूजा के इस महापर्व में भक्त अपने-अपने तरीके से माता की आराधना में लीन हैं। गरबा-डांडिया भी भक्ति और उत्साह के चरम पर पहुंचने की एक महान परंपरा है। मिनी भारत कहे जाने वाले कोरबा के लोगों ने भी गुजरात प्रांत की इस महान विरासत को न केवल अपनाया है, बल्कि इन दिनों पूरा जिला ही गरबा-डांडिया में रच-बस गया हो, ऐसा प्रतीत हो रहा है। यही तो अनेकता में एकता के मार्ग का अनुसरण करने वाले इस राष्ट्र की संस्कृति है, जो दुनिया में भारत को महान बनाता है।
…यह बातें मंगलवार को शहर के मुड़ापार में आयोजित गरबा उत्सव कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में शिरकत करते हुए भाजयुमो महामंत्री एवं पार्षद नरेंद्र देवांगन ने कहीं। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित गरबा प्रेमियों, क्षेत्र के नागरिकों और समिति के सदस्यों को भीड़ में नजर आ रही इस आयोजन की सफलता पर बधाई दी। श्री देवांगन ने समिति के पदाधिकारियों व सदस्यों के साथ उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले गरबा-डांडिया प्रतिभागियों को पुरस्कृत भी किया।
गरबा नृत्य को नारीत्व का सम्मान व सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है: नरेंद्र देवांगन
भाजयुमो महामंत्री एवं पार्षद नरेंद्र देवांगन ने ने आगे कहा कि गरबा नृत्य को सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। देवी शक्ति को प्रसन्न करने के लिए डांडिया-गरबा की परंपरा पौराणिक काल से ही चली आ रही है। ऐसा माना जाता है कि डांडिया नृत्य के माध्यम से महिषासुर पर देवी दुर्गा ने विजय हासिल की थी, जिसकी याद में आज भी यह नृत्य उत्सव की तरह मनाने की परंपरा है। गरबा-डांडिया नृत्य करने से नकारात्मकता समाप्त होती है और मन-शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। गरबा को नारीत्व का सम्मान और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।