सेवानिवृत्ति के बाद आंखों के इलाज और चश्मे की अधिक जरूरत होती है। ऐसे में CIL के मौजूदा कर्मियों की तरह सेवानिवृत्त कोयला अफसरों को भी चश्मे की प्रतिपूर्ति मिलना चाहिए।
धनबाद। यह मांग वरिष्ठ समाजसेवी हरे राम पंडित ने रखी। उन्होंने कहा कि कोल इंडिया लिमिटेड ने कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए आंखों के इलाज में इस्तेमाल होने वाले चश्मे की लागत की प्रतिपूर्ति करने का निर्णय लिया है और उन्हें एमएटी नियमों के तहत यह सुविधा भी मिल रही है। इसके लिए कोल इंडिया प्रबंधन बधाई का पात्र है। बोर्ड मीटिंग संख्या 461, 31 जनवरी 2024 में संशोधन पारित किया गया और चश्मे की प्रतिपूर्ति को MAT नियमों में शामिल किया गया। इसके अनुसार गैर कार्यपालकों को दो वर्ष में एक बार अधिकतम 10 हजार रुपये तक चश्मे की लागत की प्रतिपूर्ति की जाएगी। कार्यपालक श्रेणी में ई-1 से ई-3 को बीस हजार रुपये, ई-4 व ई-5 को तीस हजार रुपये, ई6-ई7 को पैंतीस हजार रुपये, ई8-ई9 को चालीस हजार रुपये तथा बोर्ड स्तर के अधिकारियों को दो वर्ष में एक बार अधिकतम पचास हजार रुपये चश्मे की प्रतिपूर्ति मिलेगी। सेवानिवृत्त कोयला अधिकारियों व कर्मचारियों को आंखों के इलाज व चश्मे की अधिक जरूरत है। यह कहना है वरिष्ठ नागरिक व समाजसेवी हरे राम पंडित का। श्री पंडित का कहना है कि कोल इंडिया प्रबंधन को चाहिए कि जिस तरह मैट नियम के तहत कार्यरत अधिकारियों व कर्मचारियों को दी जा रही है, उसी तरह सीपीआरएमएसई व सीपीआरएमएसएनई के तहत सेवानिवृत्त कोयला अधिकारियों व कर्मचारियों को भी दो वर्ष में एक बार चश्मे की प्रतिपूर्ति (चश्मा की लागत का भुगतान) की सुविधा प्रदान करे। पेंशनभोगी कोयला कर्मचारी और अधिकारी आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। ऐसे में आंखों के इलाज में इस्तेमाल होने वाले चश्मे की कीमत की प्रतिपूर्ति से उन्हें कुछ राहत मिलेगी। उम्मीद है कि कोल इंडिया प्रबंधन सेवानिवृत्त कोयला अधिकारियों और कर्मचारियों को यह सुविधा जरूर देगा।