कोरबा(thevalleygraph.com)। नहाय-खाय के साथ शुरू हुए लोक आस्था के महापर्व छठ का आज दूसरा दिन है। चार दिवसीय महापर्व के पहले दिन व्रतियों ने विभिन्न घाटों पर स्नान के बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर महाव्रत का संकल्प लिया। इसके बाद व्रतियों ने अरवा चावल, चने की दाल, कद्दू की सब्जी और आंवले की चटनी समेत कई अन्य व्यंजन तैयार किए। इनका भोग लगाने के बाद व्रती समेत स्वजनों व इष्टमित्रों ने प्रसाद ग्रहण किया।
नहाय-खाय को लेकर नदी, तालाबों समेत ऊर्जाधानी के घाटों पर सुबह से व्रतियों का जमावड़ा लगा रहा। वहीं बुधवार को खरना के बाद 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू होगा। कार्तिक शुक्ल चतुर्थी में ज्येष्ठा नक्षत्र व जयद योग में पहले दिन व्रतियों ने नहाय-खाय के साथ व्रत का शुभारंभ किया। बुधवार को व्रती कार्तिक शुक्ल पंचमी के सुकर्मा योग में खरना करेंगे।
छठ महापर्व की सबसे बड़ी मान्यता है कि भगवान सूर्य को अर्घ्य देने से मानसिक शांति, उन्नति व प्रगति होती है। इस विषय पर छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत कर्मचारी संघ फेडरेशन 01 के अध्यक्ष संतोष सिंह के अनुसार छठ महापर्व, न केवल बिहार, बल्कि भारत और पूरे विश्व में धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह महापर्व धरती पर जीवन एवं ऊर्जा के मुख्य स्त्रोत भगवान सूर्य की पूजा-अर्चना और आराधना का उत्सव है।
छठ घाटों पर व्रतियों की भारी भीड़
सुबह से ही शहर व उपनगरीय क्षेत्रों के छठ घाटों पर व्रतियों और श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी थी। विधिवत स्नान के बाद नहाय-खाय और खरना प्रसाद के लिए पीतल समेत अन्य धातुओं के बर्तन में जल लेकर सभी घर लौटे। चार दिवसीय महाअनुष्ठान में संतान प्राप्ति, स्वास्थ्य, सुख, शांति और समृद्धि के लिए श्रद्धालु नियम धर्म के साथ व्रत करते हैं। छठ व्रत करने से लोगों के स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर पड़ता है।
खरना प्रसाद ग्रहण कर व्रत का लेंगे संकल्प
> कार्तिक शुक्ल पंचमी बुधवार 6 नवंबर को पूर्वाषाढ़ नक्षत्र व सुकर्मा योग में छठ महापर्व के दूसरे दिन व्रती खरना करेंगी। खरना में ईख के कच्चे रस या गुड़ दूध और अरवा चावल से महाप्रसाद खीर बनाया जाएगा।
> पर्व के तीसरे दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी यानि गुरुवार 7 नवंबर को धृति योग, रवियोग व जयद योग में अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। मान्यता है कि अर्घ्य देने से मानसिक शांति, उन्नति व प्रगति होती है।
इसके बाद शुक्रवार 8 नवंबर को कार्तिक शुक्ल सप्तमी उत्तराषाढ़ नक्षत्र के साथ आनंद योग, सर्वार्थ सिद्धि योग व रवियोग के सुयोग में व्रती गंगा घाट, तालाब, पार्क व घरों की छत पर बने कृत्रिम घाटों पर उदीयमान सूर्य को दूध तथा जल से अर्घ्य देकर व्रत का समापन करेंगे। इसके साथ ही 36 घंटे से जारी निर्जला उपवास का पारण हो जाएगा।
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