अफसर-Minister हों या CM, अब उन्हें सलामी नहीं देगी इस राज्य की Police, सरकार ने प्रथा खत्म कर कहा- अंग्रेजों की याद दिलाती है

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विशेष पुलिस महानिदेशक, पुलिस सुधार, पुलिस मुख्यालय भोपाल शैलेश सिंह ने सलामी समाप्त करने के संबंध में एक सर्कुलर जारी किया है। उन्होंने लिखा है कि संदर्भित पत्र का अवलोकन करें, जिसके माध्यम से राज्य शासन द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि, मुख्यमंत्री, मंत्रीगण एवं पुलिस अधिकारियों को दी जाने वाली सलामी समाप्त की गई है। केवल महामहिम राज्यपाल ही सलामी ले सकेंगे। किंतु देखने में आ रहा है कि उक्त पत्र का कड़ाई से पालन न हो रहा है जिससे परेड में लगे कर्मचारियों की ड्यूटिया प्रभावित होती है। शासन के निर्णय का उल्लंघन किया जाता है। साथ ही यह प्रथा अंग्रेजों की याद दिलाती है। इसतरह सलामी लेना असंवैधानिक है जो कि उपनिवेशवाद (Colonialism ruls) को दर्शाता है। पुलिस जैसे अनुशासित विभाग में रहते हुये इसतरह शासन के निर्णय का उल्लंघन करना अधीनस्थ अधिकारियों/कर्मचारियों पर गलत प्रभाव पड़ेगा जो कि अच्छी बात नहीं है। अतः उक्त आदेश का कड़ाई से पालन किया जाना सुनिश्चित करें।


भोपाल(theValleygraph.com) परेड में शामिल जवान राष्ट्रपति के प्रतिनिधि यानी राज्यपालों को पूर्व की तरह ही पूरे नियम से सलामी देंगे। आइए विस्तार से जानते हैं पूरा मामला। आपने पुलिस परेड और मार्चपास्ट के दौरान देखा होगा कि पुलिस के जवान मंच पर मौजूद अति विशिष्ट लोगों को सलामी देते है।

अमूमन मंच पर मुख्यमंत्री, विभागीय मंत्री, जिले के बड़े प्रशासनिक या पुलिस के अधिकारी मौजूद होते है। हालांकि अब यह दृश्य शायद कभी ना देख पाए। क्योंकि मध्यप्रदेश सरकार ने सलामी से जुड़ी इस प्रथा को पूरी तरह ख़त्म करने का फैसला ले लिया है। हालांकि परेड में शामिल जवान राष्ट्रपति के प्रतिनिधि यानी राज्यपालों को पूरे नियम से सलामी देंगे। इस संबंध में राज्य शासन ने आदेश जारी कर दिया है।


जारी आदेश में बताया गया है कि, “राज्य शासन द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि, मुख्यमंत्री मंत्रीगण एवं पुलिस अधिकारियों को दी जाने वाली सलामी समाप्त की गई है। केवल महामहिम राज्यपाल ही सलामी ले सकेंगे। किंतु देखने में आ रहा है कि उक्त पत्र का कड़ाई से पालन न हो रहा है जिससे परेड में लगे कर्मचारियों की ड्यूटिया प्रभावित होती है। शासन के निर्णय का उल्लंघन किया जाता है। साथ ही यह प्रथा अंग्रेजों की याद दिलाती है।”


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Aakash Pandey

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