कर्मचारी भविष्य निधि संगठन से जुड़े कर्मियों के फायदे की वकालत करते हुए सरकार उनके मासिक वेतन सीमा दोगुनी करने की तैयारी कर रही है।इसके साथ ही केंद्रीकृत पेंशन भुगतान प्रणाली भी लागू होगी। ज्यादा से ज्यादा कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाने के लिए सरकार EPFO के तहत मासिक वेतन सीमा दोगुनी यानी 30,000 रुपये कर सकती है।
दिल्ली(theValleygraph.com)। इसके अलावा इस बात पर भी बल दिया गया है कि कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) के अंतर्गत वेतन सीमा भी इतनी ही की जा सकती है। बीते शनिवार को हुई कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) का शीर्ष निकाय केंद्रीय न्यासी बोर्ड की बैठक में इन दोनों मुद्दों पर व्यापक विचार-विमर्श किया गया। केंद्रीय न्यासी बोर्ड के एक सदस्य ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया, ’दोनों योजनाओं के तहत मासिक वेतन सीमा बढ़ाकर 30,000 रुपये की जा सकती है। इस बारे में सकारात्मक चर्चा हुई और बोर्ड के अधिकतर सदस्य और श्रम मंत्रालय वेतन सीमा को दोगुना करने के पक्ष में हैं। इसे लेकर आगामी वर्ष यानी फरवरी 2028 में प्रस्तावित सीबीटी की बैठक में अंतिम निर्णय किए जाने की उम्मीद है।
वेतन सीमा का मतलब यह है कि ईपीएफओ या ईएसआईसी के अंतर्गत आने वाले प्रतिष्ठान में कार्यरत कर्मचारी के लिए उस सीमा तक मासिक योगदान करना अनिवार्य है। फिलहाल ईपीएफओ के तहत मासिक वेतन सीमा 15,000 रुपये है और ईएसआईसी के तहत यह 21,000 रुपये प्रति माह निर्धारित है। मौजूदा नियमों के अनुसार 15,000 रुपये से अधिक कमाने वाले कर्मचारियों के पास ईपीएफ कवरेज से बाहर निकलने और योगदान न करने का विकल्प है। ईपीएफओ के लिए अंतिम बार 2014 में वेतन सीमा बढ़ाई गई थी।
सीबीटी और सीटू के सदस्य आर करुमालयन ने कहा, ’कई राज्यों में सरकार द्वारा अधिसूचित न्यूनतम वेतन मौजूदा ईपीएफ सीमा से अधिक है। ऐसे में ईपीएफ के तहत वेतन सीमा भी बढ़ना चाहिए। इससे ईपीएफ के दायरे में ज्यादा कर्मचारी आएंगे। वित्त समिति इस पर अंतिम निर्णय लेगी।
ट्रेड यूनियन को-ऑर्डिनेशन सेंटर के राष्ट्रीय महासचिव और सीबीटी के सदस्य एसपी तिवारी ने कहा कि बोर्ड ने लोगों को भी सामाजिक सुरक्षा संगठन के दायरे में लाने पर विचार-विमर्श किया जिनका वेतन अनिवार्य न्यूनतम वेतन सीमा से ज्यादा है। उन्होंने कहा कि ईपीएफओ इन लोगों को भी सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाने या कम से कम निर्धारित वेतन सीमा तक अपने हिस्से का योगदान देने के लिए प्रोत्साहित करेगा। साथ ही ज्यादा पेंशन मुद्दे को समयबद्ध तरीके से लागू करने पर भी चर्चा हुई और कर्मचारियों और नियोक्ताओं दोनों की चिंता पर ध्यान दिया गया। मंत्रालय जल्द ही इस संबंध में दिशानिर्देश जारी कर सकता है।
इस बैठक में केंद्रीकृत पेंशन भुगतान प्रणाली को केंद्रीय बोर्ड ने अंतिम मंजूरी दे दी। इससे पेंशनभोगी अपनी सुविधा के अनुसार देश भर में किसी भी बैंक की कोई भी शाखा में अपना पेंशन प्राप्त कर सकते हैं। केंद्रीकृत पेंशन भुगतान प्रणाली 1 जनवरी, 2025 से लागू होगी। वर्तमान में देश में 21 जगहों पर इसे प्रयोगिक तौर पर शुरू किया गया है।
इसके साथ ही बोर्ड ने ईपीएफ योजना, 1952 के पैराग्राफ 60 (2) (बी) में संशोधन को भी मंजूरी दे दी। इसके लागू होने से ईपीएफ सदस्यों को निपटान की तारीख तक के ब्याज का पूरा भुगतान किया जाएगा। फिलहाल महीने की 24 तारीख तक दावे का निपटान होने की स्थिति में पिछले महीने तक के ब्याज का ही भुगतान होता था।
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