बारिश थमा और इंद्रदेव की बेरुखी जारी, कोरबा जिले में अब तक 719.0 मिलीमीटर औसत वर्षा हुई दर्ज, जबकि अब तक हो जाना था 1319.5 मिलीमीटर।
कोरबा(thevalleygraph.com)। बारिश थम जाने के कारण जहां खेतों के सीने में पड़ रही दरार नजर आने लगी हैं, वहीं किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें भी बढ़ती जा रही हैं। जरूरत के विपरीत इंद्रदेव का यूं रूठ जाना, कहीं किसानों की आंखें छलकने की वजह न बन जाएं, उन्हें अब इस बात का डर सता रहा है। कोरबा जिले में अब तक 1319.5 मिलीमीटर बारिश हो जाना चाहिए था, एक जून से एक सितंबर तक की स्थिति में केवल 719.0 मिलीमीटर औसत वर्षा दर्ज हुई है। जिले में अब तक 77.9 प्रतिशत बारिश हुई है, जबकि धान की फसलों को बचाए रखने अभी और 22 फीसदी बारिश की दरकार है। उधर प्यास से बेहाल खतों में जगह-जगह दरारें नजर आने लगी हैं।
इस बार दो सावन गुजर गए, पर अपेक्षा और आवश्यकता के अनुरूप बारिश नहीं होने से किसान निराश हो चले हैं। बारिश होने के बजाय तापमान 32 डिग्री सेल्सियस पर जा चढ़ा है। थोड़ी बहुत बूंदा-बांदी जरूर देखने को मिली, जो उमस के रूप में न केवल फसलों, बल्कि आम जनजीवन को भी प्रभावित कर रहा है। मौसम की मार अनेक गांवउ के किसानों पर आफत बन कर बरस रही है। हालत यह है कि किसान जिन खेतों में धान की फसल लगाएं हैं, उसमें दरार दिखने लगी है। ज्यादातर गांव में रहने वालों के लिए उनकी आजीविका का मुख्य साधन खेती ही है। साल भर से धान की फसल लेने का इंतजार करने वाले इन किसानों ने यह नहीं सोचा था जिस खेत में वे फसल लगा रहे हैं उसकी हालत यह हो जाएगी। पर जरूरत के अनुसार बारिश नहीं होने के कारण इन खेतों में धान की फसल के बजाय दरारें दिखने लगी हैं। प्रभावित किसानों को अब चिंता सताने लगी है। किसानों का कहना है कि शासन मदद करने सामने आए। जहां सुविधा है, वहां के गांव में किसान तालाबों व अन्य स्त्रोतों से अपने सूख रहे खेतों में पानी जरूरत पूरी करने का प्रयास कर रहे हैं, हालांकि यह पानी भी खेतों के लिए पर्याप्त नहीं, फिर वे इस उम्मीद में प्रयास कर रहे हैं कि शायद उनकी फसल बच जाए। पर जहां तालाब, कूएं जैसी कोई व्यवस्था नहीं है, ऐसे क्षेत्रों के किसानों को भय सता रहा है कि अगर जल्दी की इंद्रदेवता प्रसन्न न हुए, तो उनके लिए खेती का यह सीजन बड़े नुकसान का सबब बन सकता है।
भू-अभिलेख शाखा से शुक्रवार को जारी जानकारी पर गौर करें तो जिले में 1 जून से अब तक 719.0 मिलीमीटर औसत वर्षा हो चुकी है। यह आंकड़े जिले में बीते 10 वर्षों की तुलना में 31 अगस्त तक औसत वर्षा 922.6 मिलीमीटर हुई है। 1 जून से अब तक तहसील कोरबा में 727.0 मिलीमीटर, भैंसमा में 813.6 मिलीमीटर, करतला में 755.0 मिलीमीटर, कटघोरा में 818.6 मिलीमीटर, दर्री में 798.2 मिलीमीटर, पाली में 651.4 मिलीमीटर, हरदीबाजार में 570.4 मिलीमीटर, पोड़ी-उपरोड़ा में 692.0 मिलीमीटर व पसान में 645.0 मिलीमीटर वर्षा हो चुकी है। अब तक सर्वाधिक वर्षा कटघोरा तहसील में दर्ज की गई है।
एक हफ्ते और देरी तो छुरी में सैकड़ों हेक्टेयर बर्बाद
खासकर पाली और हरदीबाजार क्षेत्र में अल्प व खंड वर्षा के कारण किसानों को सूखे की चिंता सताने लगी है। कटघोरा विकासखंड के अंतर्गत नगर पंचायत छुरीकला क्षेत्र में पिछले 20 दिनों से बारिश नहीं होने से तथा तेज धूप उमस भरी गर्मी से खेतों के पानी सूखने लगे हैं। बीच में हुए बारिश से रोपाई-बियासी किया गया। कुछ में अभी भी पानी के अभाव में बियासी का कार्य रुका हुआ है। यहां बड़ी संख्या में किसान खेती पर निर्भर हैं, जो ऋण लेकर कृषि कार्य करते हैं। बारिश दगा दे गई, तो किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़गा। क्षेत्र के किसानों का कहना है अल्पवर्षा बारिश के कारण धान लगे खेतों मे दरारें पड़ने लगे हैं। अगर एक सप्ताह में जम कर बारिश नहीं हुई, तो खेतों में लगे सैकड़ों हेक्टेयर धान की फसल नष्ट हो जाएगी। जिससे किसानों को बड़ी हानि हो सकती है। वहीं शासन प्रशासन अब तक क्षेत्र को इस समस्या को लेकर किसी प्रकार की कवायद पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
छुरी मेंं नहरों की दशा को लेकर किसान नाराज
क्षेत्र के किसानों का कहना है, कि नगर में सिंचाई के लिए शासन द्वारा नहर बनाई गई है, पर जल संसाधन विभाग की हठधर्मिता से नहर की मरम्मत व आवश्यक सुधार कार्य भी नहीं हो सका है। इसकी वजह से जरूरत के अनुरूप खेतों तक पानी पहुंचाने जरिया ठप पड़ा है। सिंचाई सुविधा होते हुए भी क्षेत्र के किसानों के लिए यह दुर्भाग्य की बात है। जिसके जिम्मेदार जल संसाधन विभाग है। वहीं विभाग के अधिकारी मद में राशि नहीं होने की अलाप रहे हैं। नहर की समय पर मरम्मत व नियमित देख-रेख की जाती, तो क्षेत्र के किसानों को इस तरह की स्थिति में बेचैन न होना पड़ता। किसानों का कहना है अगर हफ्ते भर में अच्छी बारिश नहीं हुई तो नगर क्षेत्र के लोगों को सुखे की मार झेलनी पड़ सकती है। अभी तक जिला प्रशासन व राजस्व विभाग द्वारा सूखे को लेकर कोई अवलोकन नहीं किया गया है।
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