छत्तीसगढ़

संसद में सवाल : कोरबा में प्रदूषण की हालत दिल्ली से ज्यादा बदतर, AQI 400 के डेंजर लेवल पर है, तो केंद्र कुछ करेगी? …जवाब : हम मॉनिटरिंग कर सूचित करते हैं, शेष कार्यवाही राज्य सरकार की है…

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Video:- सांसद ज्योत्सना महंत ने पूछा सवाल : कोरबा में प्रदूषण की हालत दिल्ली से ज्यादा बदतर, AQI 400 के डेंजर लेवल पर, सरकार कुछ करेगी, तो पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने दिया जवाब : हम मॉनिटरिंग कर सूचित कर देते हैं, शेष कार्यवाही छग सरकार की है…


दिल्ली/कोरबा(theValleugraph.com)

लोकसभा में चल रहे संसद के शीतकालीन सत्र में सांसद श्रीमती ज्योत्सना चरणदास महंत ने कोरबा में बद से बदतर होती प्रदूषण के मुद्दे को रखते हुए सरकार पर तीखे हमले किए। उन्होंने कहा कि दिल्ली के प्रदूषण की हालत से बदतर स्थिति मेरे लोकसभा क्षेत्र कोरबा की है। यहां का एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (AQI) 400 है, जो गंभीर और डेंजर लेवल का संकेत दे रहा है। ऐसा यहां के पवार प्लांटों की वजह से हो रहा है। SECL, बालको और NTPC के वेस्ट प्रोडक्ट के रूप में उत्सर्जित हो रहे राखड़ से ईंटें तो बनती हैं, लेकिन कई गुना ज्यादा राखड़ होती है, जिसे जहां-तहां फेंक दिया जाता है। जिसके कारण कोरबा में बहुत सी बीमारियां तो हो ही रही हैं, बड़े पैमाने पर वायु और जल प्रदूषण हो रहा है।


कोरबा सांसद ज्योत्सना महंत के सवाल और केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव के जवाब…

सवाल : ओपीडी में रोज प्रदूषण के चलते बीमार हुए 500 मरीज पहुंच रहे, सरकार की कुछ प्लानिंग है ?

SECL के मार्फत कोयला लदान और NTPC से बिजली उत्पादन कर हमारी सरकार कोरबा से लाभ तो ले रही है, पर बदले में हमारी जनता को सिर्फ बीमारी परोसा जा रहा है। इनमें अस्थमा, टीबी, बोन टीबी ही नहीं, कैंसर जैसे भयावह रोगों की चपेट में भी लोग आ रहे हैं। कोरबा के चिकित्सालयों में प्रतिदिन औसतन 500 से ज्यादा मरीज प्रदूषण की वजह से बीमार होकर पहुंच रहे हैं। गंभीर होती इस समस्या और उसके व्यापक निदान को लेकर सरकार क्या सोच रखती है, उससे निपटने की क्या कोई योजना बनाई जा रही है, ताकि प्रदूषण से निजात मिल सके।

जवाब : प्रदूषण की रिपोर्ट जनता को देते हैं और देश कार्यवाही राज्य सरकार की।

संसद में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने छत्तीसगढ़ की कोरबा सांसद श्रीमती ज्योत्सना चरणदास महंत के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि जहां तक वायु प्रदूषण का विषय है, इस पर निगाह रखते हुए लगातार मॉनिटरिंग की जाती है। मॉनिटरिंग के जरिए प्राप्त आंकड़ों की सूचना और जानकारी जनता के समक्ष रखी जाती है और शेष कार्यवाही राज्य सरकार द्वारा की जाती है।

सवाल : मेरे क्षेत्र की जनता के लिए आप क्या कर रहे हैं?

जवाब से असंतुष्टि जताते हुए कोरबा सांसद श्रीमती ज्योत्सना चरणदास महंत ने पुनः अपना सवाल दोहराते हुए कहा कि उन्होंने सदन में पहले भी कई बार यह जानने का प्रयास किया है कि आखिर कोरबा लोकसभा क्षेत्र की आबो हवा और जनता के सेहत की बिगड़ती हालत में सुधार के लिए सरकार कुछ करना चाहती भी है या नहीं, इस पर सीधा और स्पष्ट जवाब पेश किया जाए। श्रीमती महंत ने कहा कि मेरे क्षेत्र की जनता के लिए कुछ करना चाहती है कि नहीं, यह समझ नहीं आ रहा और कुछ करना चाहती है तो उसका जवाब दें।

जवाब : राज्य सरकार को वित्तीय सहायता और सुधार के लिए जागरूकता अभियान चला रहे हैं।

इस पर केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने पुनः कहा कि देश के 130 शहरों में नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम चलाया जा रहा है। इसके अंतर्गत उन जिलों में, जहां वायु प्रदूषण की समस्या है, वहां उसके समाधान के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराते हैं और राज्यों को प्रोत्साहित भी करते हैं। उन्होंने बताया कि उन सभी जिलों में, जहां वायु प्रदूषण के अनेक कारण होते हैं, जिनमें इंडस्ट्रीज, वाहनों का प्रदूषण, डस्ट या वेस्ट मैनेजमेंट जैसे कारणों के लिए, कैपेसिटी बिल्डिंग के लिए कार्यक्रम चलाए जाते हैं और जो अच्छा कार्य करते हैं उन्हें प्रोत्साहित भी किया जाता है।


सांसद श्रीमती ज्योत्सना चरणदास महंत ने ऐसे छोड़े सवालों के तीर…

क्या पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे किः

(क) देश में विशेषतः वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए, कतिपय उ‌द्योगों को अनुमोदन प्राप्त किए जाने से छूट दिए जाने के पीछे क्या तर्काधार है,

(ख) क्या सरकार ने उ‌द्योगों को प्रदूषण नियंत्रण विनियमों से छूट दिए जाने के कारण पड़ने वाले संभावित पर्यावरणीय प्रभाव का पता लगाने के लिए कोई आकलन किया है, यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है;

(ग) वायु और पानी की गुणवत्ता को बचाए रखे जाने की आवश्यकता सहित उ‌द्योगों के लिए अनुपालन की बाध्यता कम किए जाने के स्थिति में संतुलन बनाए रखने हेतु सरकार द्वारा क्या उपाय किए गए हैं:

(घ) क्या सरकार की यह सुनिश्चित करने हेतु वैकल्पिक निगरानी या संपरीक्षा तंत्र लागू करने की योजना है कि इस श्रेणी के तहत वर्गीकृत उ‌द्योग पर्यावरण मानकों का पालन करें; और

(ङ) यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है और यदि नहीं, तो इसके क्या कारण हैं?


देखिए विडियो…


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Aakash Pandey

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