वेदांता ग्रुप को बिलासपुर हाई कोर्ट से नोटिस जारी किया गया है। कंपनी पर आरोप है कि बालको प्रबंधन द्वारा नियम विपरीत शासकीय वन भूमि के पेड़ों को बिना किसी वैध अनुमति के सफाया करते हुए अवैध तरीके से अतिक्रमण कर लिया गया। 85 एकड़ वानभूमि पर कब्जा तो किया ही गया, बिना अनुमति बड़े झाड़ के जंगल का सफाया कर दिया गया। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिला में संचालित वेदांता ग्रुप के द्वारा शासकीय वन भूमि पर अतिक्रमण की शिकायत को लेकर उच्च न्यायालय बिलासपुर में जनहित याचिका दायर की गई थी। उच्च न्यायालय ने याचिका स्वीकार करते हुए नोटिस जारी किया है।
कोरबा। जिले के बालको में संचालित बालको पावर प्लांट और वेदांता मैनेजमेंट की मनमानी कोई नई बात नहीं। शासकीय भूमि पर कब्जा और प्रबंधन की मनमानी और नियम विपरीत कार्य कंपनी का खुला आचरण बन गया है।
वेदांता ग्रुप की मनमानी का एक और उदाहरण सामने आया है। आरोप है कि बालको प्रबंधन द्वारा नियम विपरीत शासकीय वन भूमि के पेड़ों को बिना किसी वैध अनुमति के सफाया करते हुए अवैध तरीके से अतिक्रमण कर लिया गया। पहले वन भूमि पर उगे बड़े झाड़ के जंगल काटे गए और फिर उसी भूमि में अपने निजी स्वार्थ को सिद्ध करने करते हुए निर्माणाधीन विस्तार परियोजना के लिए पार्किंग और पक्का निर्माण कराया जा रहा है।
आपको बता दे बड़े झाड़ के जंगल के पेड़ों को काटने के लिए केंद्रीय पर्यावरण के साथ-साथ राज्य सरकार के भी दर्जन भर से अधिक नियमों का पालन किया जाता है। पर तमाम नियमों को दरकिनार करते हुए वेदांता ग्रुप के द्वारा बड़े झाड़ के जंगलों के पेड़ों को बर्बरता पूर्वक अपने निजी स्वार्थ के लिए काट दिया गया और संयंत्र को स्थापित करने की दिशा में सभी प्रशासनिक नियमों को भी ठेंगा दिखा दिया गया।
छत्तीसगढ़ के कोरबा जिला में संचालित वेदांता ग्रुप के द्वारा शासकीय वन भूमि पर अतिक्रमण की शिकायत को लेकर उच्च न्यायालय बिलासपुर में जनहित याचिका दायर की गई थी। उच्च न्यायालय ने याचिका स्वीकार करते हुए नोटिस जारी किया है।
जानकारी के अनुसार वेदांता ग्रुप के द्वारा वन विभाग के लगभग 85 एकड़ बड़े झाड़ के भूमि को अतिक्रमण कर लिए गया है जिसे लेकर स्थानीय स्तर पर कई बार शिकायत किया गया लेकिन कार्रवाई के अभाव में हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा इसके बाद माना जा रहा है अब कार्रवाई के आसार बढ़ गए हैं।
इस मामले को लेकर उच्च न्यायालय के अधिवक्ता बृजेश सिंह ने बताया दस्तावेजों के आधार पर लगभग बालको नगर में संचालित संयंत्र वेदांता ग्रुप के द्वारा 85 एकड़ बड़े झाड़ के जंगल की जमीन को अतिक्रमण किया गया है जो वन संरक्षण अधिनियम की धारा 1980 का खुला उल्लंघन है वन क्षेत्र के अंतर्गत किसी भी प्रकार की गतिविधि बिना भारत सरकार के अनुमोदन के संभव नही है। लेकिन वेदांता ग्रुप ने इन नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए जमकर मनमानी किया जा रहा है उन्होंने बताया कि माननीय उच्च न्यायालय के नोटिस के बावजूद अवैध अतिक्रमण वाले स्थान पर कार्य वर्तमान में भी निर्माणाधीन है जो वेदांता ग्रुप की मनमानी को दर्शाता है।
अधिवक्ता ने बताया अनुच्छेद 48 (A) पर्यावरण का संरक्षण तथा संवर्धन और वन तथा वन जीवों की रक्षा
राज्य को पर्यावरण के संरक्षण तथा संवर्धन का और वन जीवों की रक्षा करने का कार्य करेगा ।
इसी तरह भाग 4 (क) मूलकर्तव्य – 51 क (छ) के अनुसार प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा जिसके अंतर्गत वन झील नदी और वन्य जीव है की रक्षा और उसका संवर्धन करना तथा प्राणी मात्र के लिए दया का भाव रखना है।
पूर्व में नगर पालिक निगम कोरबा ने भी कम्पनी पर लगाया था लगभग 7 करोड़ का जुर्माना
अधिवक्ता ने यह भी बताया कि पूर्व में नगर पालिक निगम कोरबा के द्वारा लगभग 7 करोड़ का पेनल्टी वेदांता ग्रुप पर लगाया था लेकिन उनके द्वारा इस पेनाल्टी को कही चेलेंज नही किया गया जिससे स्पष्ट होता है कि उसने पेनल्टी को स्वीकार कर लिया है। बड़ा सवाल है क्या वेदांता ग्रुप के द्वारा पेनाल्टी को चेलेंज नही करना उनके विधि विपरीत कार्य को दर्शाता है।
क्या वेदांता ग्रुप द्वारा अपने निजी स्वार्थ को सिद्ध करने के लिए तमान नियम और निर्देशो की धज्जियां उड़ाई जा रही है।
बड़े झाड़ के 85 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण से जहां एक और स्थानीय लोगों के साथ वन जीवों और पर्यावरण को जो नुकसान हुआ है उसकी पूर्ति किया जाना संभव प्रतीत कतई नही होता ।