कोरबा। कटघोरा वनमंडल क्षेत्र में बढ़ते मानव-हाथी संघर्ष (HEC) की घटनाओं को रोकने के लिए वनमंडलाधिकारी कुमार निशांत (भा.व.से.) ने एक विशेष ‘Spearhead (Rapid Response) Team’ का गठन किया है। यह दल संघर्ष की स्थिति में तुरंत मौके पर पहुंचकर राहत, बचाव और समन्वय की जिम्मेदारी निभाएगा। इस टीम में विभागीय अधिकारियों के साथ पत्रकार, विशेषज्ञ और सामाजिक कार्यकर्ता भी शामिल किए गए हैं।
जारी आदेश के अनुसार, दल की कमान उपवनमंडलाधिकारी संजय त्रिपाठी को दी गई है, जबकि टीम में 15 सदस्य रखे गए हैं जिनमें परिक्षेत्र अधिकारी, सहायक, रक्षक, पशुचिकित्सक, वन क्षेत्र के सक्रिय
पत्रकार और हाथी मित्रदल के सदस्य शामिल हैं। जिसमें कोरबा प्रेस क्लब के सचिव नागेन्द्र श्रीवास को भी सदस्य के रूप में अहम जिम्मेदारी दी गई है।
हरिभूमि के पत्रकार सदैव रहते हैं सक्रिय
कोरबा प्रेस क्लब के सचिव एवं प्रतिष्ठित दैनिक अखबार हरिभूमि के वरिष्ठ पत्रकार नागेन्द्र श्रीवास को मानव-हाथी संघर्ष नियंत्रण टीम का सदस्य बनाया गया है जो कोरबा प्रेस जगत के लिए गौरव की बात है। नागेन्द्र श्रीवास करीब 25 वर्षों से पत्रकारिता करते हुए दैनिक संवाद साधना, नवभारत और अब हरिभूमि में अपनी सेवा दे रहे हैं। इस दौरान उन्होंने केवल क्राइम बीट में ही बेहतर कार्य नहीं किया बल्कि वन क्षेत्र के रिपोर्टिंग में भी सक्रिय रहते हुए वन्य जीव जंतुओं की सुरक्षा को प्राथमिकता देते आ रहे हैं। उनकी सक्रियता से कई बार वनांचल में समय रहते मानव-हाथी द्वंद रोकने से बड़ी घटना टल चुकी है।
वन विभाग का मानवीय प्रयास
वनमंडलाधिकारी कटघोरा कुमार निशांत ने आदेश में कहा है कि यह दल किसी भी संघर्ष की सूचना पर तुरंत मौके पर पहुंचेगा, घायलों को सुरक्षित करेगा और हाथियों को बिना नुकसान पहुंचाए सुरक्षित दिशा में मोड़ेगा। साथ ही, प्रत्येक घटना की फोटो-वीडियो व GPS लोकेशन सहित रिपोर्ट तैयार की जाएगी और मुआवजा प्रकरणों को प्राथमिकता से निपटाया जाएगा।
दल के सदस्यों को समुदाय से संवाद, भीड़ नियंत्रण, जनजागरूकता और ग्रामीणों को प्रशिक्षण देने का दायित्व भी सौंपा गया है।
कटघोरा मॉडल बन सकता है उदाहरण : नागेन्द्र श्रीवास
मानव-हाथी संघर्ष नियंत्रण टीम’ में सदस्य नियुक्त किए गए कोरबा प्रेस क्लब के सचिव नागेन्द्र श्रीवास ने कहा कि पत्रकारों, विशेषज्ञों और विभागीय अधिकारियों की यह संयुक्त पहल न केवल संघर्ष की घटनाओं को कम करेगी बल्कि एक संवेदनशील और सहभागी प्रशासनिक मॉडल के रूप में उभर सकती है। ग्रामीण भी इसे स्वागत योग्य कदम बता रहे हैं, क्योंकि इसमें उन लोगों को जोड़ा गया है जो वास्तव में मैदान पर सक्रिय और विश्वसनीय हैं।