1804 एकड़ राजस्व वनभूमि पर बालको के कब्जे को अवैध माने जाने हेतु जिला प्रशासन ने केंद्रीय सशक्त कमेटी के समक्ष मजबूती से रखा शासन का पक्ष


बालको द्वारा 1804 एकड़ भूमि पर वन संरक्षण अधिनियम 1980 के उल्लंघन में किए गए अवैध कब्जे की जांच के लिए माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित केंद्रीय सशक्त कमिटी के दो सदस्य जांच के लिए कोरबा पहुंचे थे। इस विषय पर हुई बैठक में 1804 एकड़ राजस्व वनभूमि पर बालको के कब्जे को अवैध माने जाने हेतु जिला प्रशासन ने केंद्रीय सशक्त कमेटी के समक्ष मजबूती से शासन का पक्ष रखा।


कोरबा कलेक्टर अजीत वसंत ने कहा – राज्य शासन से जारी प्रोटोकॉल का किया गया पालन


कोरबा। रविवार 29 दिसंबर की सुबह जिला प्रशासन से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार बालको द्वारा 1804 एकड़ भूमि पर वन संरक्षण अधिनियम 1980 के उल्लंघन में किए गए अवैध कब्जे की जांच के लिए माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित केंद्रीय सशक्त कमिटी के सदस्य माननीय चंद्र प्रकाश गोयल भारतीय वन सेवा (सेवानिवृत्त) तथा माननीय सुनील लिमये भारतीय वन सेवा (सेवानिवृत्त) दो दिवसीय कोरबा प्रवास पर (दिनांक 26 दिसंबर तथा 27 दिसंबर 2024) को पहुंचे थे ।

कार्यालय राज्य शिष्टाचार अधिकारी छत्तीसगढ़ द्वारा जारी पत्र क्रमांक 907/उसं /तारिख/ 2024 के तहत माननीय सदस्य द्वय को वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग का राजकीय अतिथि घोषित किया गया था।

उक्त पत्र के निर्देशों के तहत कलेक्टर/ पुलिस अधीक्षक कोरबा को सदस्यों की सुरक्षा एवं कानून व्यवस्था सुनिश्चित करने हेतु निर्देशित किया गया था। प्रतिलिपि क्रमांक 1 के तहत वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग को आवास, परिवहन सहित अन्य आवश्यक सुविधाएं सुनिश्चित करने हेतु निर्देशित किया गया था।

पत्र में जारी निर्देशों के अनुसार माननीय सदस्य द्वय के आगमन पर वनमण्डलाधिकारी कोरबा तथा जिला प्रशासन की ओर से अपर कलेक्टर कोरबा द्वारा उन्हें एनटीपीसी विश्राम गृह में रिसीव किया गया। जिला प्रशासन द्वारा सुरक्षा एवं कानून सम्बंधी व्यवस्था सुनिश्चित किया गया तथा वनमंडलाधिकारी के साथ समन्वय कर आवास तथा परिवहन की व्यवस्था प्रोटोकॉल शाखा द्वारा प्रदान की गयी।

प्रस्तावित बैठक जिसमें कलेक्टर एवं वनमण्डलाधिकारी दोनों उपस्थित होने वाले थे, उक्त बैठक की पूरी तैयारी जिला प्रशासन द्वारा सुनिश्चित की गई थी। बैठक से पहले वनमण्डलाधिकारी कोरबा के माध्यम से माननीय सदस्य द्वय को कलेक्टर के द्वारा अपने चेंबर में आमंत्रित किया गया था। माननीय सदस्य द्वारा सीधे ही मीटिंग कक्ष पहुंचकर यह सार्वजनिक आपत्ति व्यक्त की गई की कलेक्टर क्यों रिसीव करने नहीं आये।

आपत्ति व्यक्त कर माननीय सदस्य द्वय के द्वारा कलेक्टर को एनटीपीसी गेस्ट हाउस में मीटिंग हेतु निर्देशित किया गया। विश्राम गृह में पहुंचने के साथ ही माननीय सदस्य को यह अवगत कराया गया कि विभागीय अतिथियों को कलेक्टर द्वारा रिसीव करने के शासन से कोई निर्देश प्राप्त नहीं है, और जिले में ऐसी कोई परंपरा नहीं रही है।

माननीय सर्वोच्च न्यायालय में उक्त प्रकरण में ओआईसी अपर कलेक्टर कोरबा है तथा उन्होंने एवं वनमण्डलाधिकारी ने महोदय को रिसीव किया तथा पूरे प्रवास के दौरान हुए सदस्यों के साथ थे।

छत्तीसगढ़ राज्य अतिथि नियम 2003 की श्रेणी चार की कंडिका 6 में यह स्पष्ट है कि विभागीय राज्य अतिथियों के लिए सभी प्रकार के प्रबंध एवं व्यय का वहन राज्य सरकार का संबंधित विभाग करेगा। साथ ही कलेक्टर द्वारा किन अतिथियों को रिसीव किया जाएगा, इस संबंध में सुस्थापित परम्पराएं एवं निर्देश हैं, जिनका पालन आज दिनाँक तक होता रहा है।

प्रस्तावित मीटिंग में कलेक्टर द्वारा राज्य शासन के पक्ष को पूरी दृढ़ता से रखें जाने हेतु उचित तैयारी की गई थी। कलेक्टर के स्पष्टीकरण को सुनने के बाद मीटिंग संपन्न हुई तथा कमिटी के एक माननीय सदस्य द्वारा उक्त प्रकरण में शासन के हित में जिला प्रशासन की तैयारी की प्रशंसा की गई। उक्त मीटिंग में जिला प्रशासन के द्वारा 1804 एकड़ राजस्व वनभूमि पर बालको के कब्जे को अवैध माने जाने हेतु जिला प्रशासन ने केंद्रीय सशक्त कमेटी के माननीय सदस्य द्वय के समक्ष मजबूती से शासन का पक्ष रखा।


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