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जीवन के पहले माह में ही मर जाते हैं 20 लाख से अधिक नवजात, इतने ही मृत पैदा होते हैं, ये करीब हर 7 सेकण्ड में रोकी जा सकने वाली एक मौत है

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एक अनुमान के अनुसार भारत में हर साल करीब 300000 महिलाएं गर्भावस्था या प्रसव के कारण अपनी जान गंवाती है, जबकि 20 लाख से अधिक बच्चे अपने जीवन के पहले महीने में ही मर जाते है। इतना ही नहीं, लगभग 20 लाख बच्चे मृत पैदा होते हैं। यह लगभग हर 7 सेकण्ड में रोकी जा सकने वाली एक मौत है।


News – theValleygraph.com


कोरबा। शासकीय इंजीनियर विश्वेश्वरैया स्नातकोत्तर महावि‌द्यालय कोरबा में 7 अप्रैल 2025 को विश्व स्वास्थ्य दिवस का आयोजन मनोविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डा. ए कौशिल के मार्गदर्शन में किया गया। डॉ ए कौशिल ने बताया कि स्वास्थ्य दिवस का आयोजन 1992 से किया जा रहा है और प्रत्येक वर्ष इसकी एक थीम होती है। इस वर्ष यह स्वस्थ शुरुआत, आशापूर्ण भविष्य पर केन्द्रित है, जिसका विषय मातृ एवं नवजात शिशु स्वास्थ है। माताओं और शिशुओं का स्वास्थ स्वस्थ परिवारों और समुदायों की नींव है जो हम सभी के लिए आशाजनक भविष्य सुनिश्चित करने में मदद करता है। युवा वर्ग को इस विषय से अवगत कराने हेतु एवं स्वास्थ्य समाज की स्थापना के लिए युवाओं को इस दिशा में कार्य करने की प्रेरणा देने हेतु यह आयोजन किया गया।

कार्यक्रम के अगले चरण में कालेज के विद्यार्थियों के द्वारा हस्ताक्षर अभियान का शुभारंभ किया, जिसमें उन्होंने अपने परिवार माता-पिता तथा अपने आस-पास गर्भावस्था, प्रसव और प्रसवोतर अवधि से संबंधित माताओं और बहनों की देखभाल करने की सकारात्मक सोच के साथ हस्ताक्षर किए।


मनोविज्ञान विभाग के विद्यार्थियों ने भी इस कार्यक्रम में डब्ल्यूएचओ के द्वारा दी गई जानकारियों को साझा किया। हर महिला और बच्चे को जीवित रहने और फलने-फूलने में मदद करना। भारत में यह कार्य महत्वपूर्ण है। दुखद रुप से, वर्तमान में प्रकाशित अनुमानों के आधार पर भारत में हर साल करीब 300000 महिलाएं गर्भावस्था या प्रसव के कारण अपनी जान गंवाती है, जबकि 20 लाख से अधिक बच्चे अपने जीवन के पहले महीने में ही मर जाते है और लगभग 20 लाख, बच्चे मृत पैदा होते है। यह लगभग हर 7 सेकण्ड में एक रोकी जा सकने वाली मौत है।


महिलाओं की बात सुनना और परिवारों को सहयोग देना

हर जगह महिलाओं और परिवारों को उच्च गुणवत्ता वाली देखभाल की आवश्यकता होती है जो उन्हें जन्म से पहले जन्म के दौरान और जन्म के बाद शारीरिक और भावनात्मक रूप से सहायता प्रदान करें। कार्यक्रम के पश्चात मनोविज्ञान परिषद के पदाधिकारियों के द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया गया। कार्यक्रम में अतिथि व्याख्याता श्रीमती हेमलता पटेल व छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे।


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