छत्तीसगढ़

काला सागर और यूरोप-अफ्रीका की खूबसूरती छोड़ सर्दी की छुट्टियां मनाने कोरबा चले आते हैं ये खूबसूरत परिंदे

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विश्व प्रवासी पक्षी दिवस पर पेश है DPS NTPC की स्टूडेंट और बाल पक्षी विज्ञानी सर्वज्ञा सिंह की स्टडी: 17 से 20 तरह के प्रवासी पक्षियों को है कोरबा जिले की फिजा से प्यार, आखिर यहां की आबोहवा की ओर वे क्यों होते हैं आकर्षित, कर रहीं हैं अध्ययन…

आमतौर पर स्वदेश से ज्यादातर लोग अपनी हाॅलिडे सेलिब्रेट करने यूरोप, अफ्रीका और अन्य देशों की सैर पर जाने की प्लानिंग करते हैं। आपको यह जानकर काफी हैरत होगी कि इन्हीं देशों से उड़ान भरकर 17 से 20 तरह के शानदार प्रवासी पक्षी हर साल कोरबा का रुख करते हैं। यूरोप, मंगोलिया, अफ्रीका और काला सागर की खूबसूरती छोड़ वे 5000 से 6000 किलोमीटर की लंबी यात्रा तय कर यहां आ जाते हैं और परिवार संग अपनी छुट्टियां कोरबा में व्यतीत करते हैं। आइए हम आपको कुछ ऐसे ही खूबसूरत परिंदों से रुबरु कराते हैं, जिन्हें महज 12वीं कक्षा में पढ़ रही कोरबा की बाल पक्षी विज्ञानी सर्वज्ञा सिंह ने अपने कैमरे में कैद किया और इस छोटी सी आयु में उन प्रवासी पक्षियों पर शोध भी कर रही हैं।


News – theValleygraph.com


कोरबा। वर्तमान में बॉम्बे नेचरल हिस्ट्री सोसाइटी (BNHS) से पक्षी विज्ञान में एक कोर्स कर रहीं सर्वज्ञा ने बताया कि वर्ष 2023 में पक्षी अवलोकन के लिए उन्हें स्वयं का कैमरा मिला और उन्होंने एशियन ओपनबिल स्टॉर्क (Anastomus Oscitans) पर विशेष रूप से अध्ययन करना शुरू किया, जो एक स्थानीय प्रवासी पक्षी है। उनका मानना है कि पक्षियों का प्रवास जैव विविधता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और पर्यावरण स्वास्थ्य के महत्वपूर्ण संकेतक हैं। कोरबा की दुर्लभ Biodiversity एक बड़ा अहम कारक है, जो इतने सारे प्रवासी पक्षी यहां हर साल आकर्षित होते हैं।

Asian Openbill Stork
सर्वज्ञा वर्तमान में कोरबा के आसमान में स्वच्छंद विचरण करने वाले परिंदों का अवलोकन कर पक्षी चेकलिस्ट पर भी व्यापक शोध कर रही हैं। इस शोध में यहां प्रवास पर आने वाली सभी पक्षी प्रजातियाँ शामिल हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि भविष्य में यह चेकलिस्ट संरक्षण योजनाओं और अध्ययनों में उपयोगी साबित हो सकती है। सर्वज्ञा का कहना है कि कोरबा में पक्षियों का अध्ययन अभी तक नहीं हुआ है, लेकिन मेरे अब तक के अध्ययन के अनुसार, यहाँ पक्षी विविधता बहुत अधिक है। प्रवासी पक्षियों के अवलोकन के लिए सितंबर से जनवरी तक का समय सबसे अच्छा होता है। मेरा उद्देश्य कोरबा में पक्षी विविधता और अद्वितीय पक्षी व्यवहार को पक्षीविज्ञान समुदाय के सामने लाना है, ताकि भविष्य में उनके संरक्षण के लिए योजनाएं बनाई जा सकें। मैं पक्षियों पर अधिक शोध करने के लिए उत्साहित हूँ और उम्मीद करती हूँ, कि मेरी खोजें पक्षीविज्ञान समुदाय के लिए उपयोगी साबित होंगी। मैं अपने इस कार्य को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हूँ और उम्मीद करती हूँ कि कोरबा की पक्षी विविधता को विश्वभर में पहचान मिलेगी।


जानिए इन प्रवासी परिंदों के बारे में…

रेड क्रेस्टेड पोचार्ड:

रेड क्रेस्टेड पोचार्ड, एक प्रवासी पक्षी है, जो सर्दियों में छत्तीसगढ़ के कोरबा में आते हैं। ये पक्षी सर्दियों के दौरान आते हैं और गर्मियों में चले जाते हैं। भारतीय उपमहाद्वीप इन पक्षियों के लिए सर्दियों का ठिकाना है। ये पक्षी अपने प्रजनन स्थल यूरोप, काला सागर, मध्य एशिया और मंगोलिया से आते हैं। ये पक्षी कोरबा आते हैं और भारतीय उपमहाद्वीप में रहते हैं, ताकि वे ठंड के मौसम और खासकर यूरोप की कठोर सर्दियों की स्थिति से बच सकें। इसलिए यह कहा जा सकता है कि कोरबा में सर्दियों का मौसम इन्हें अधिक आराम से सर्दियाँ बिताने की अनुमति देता है।


यूरेशियन गोल्डन ओरियोलः-

यूरेशियन गोल्डन ओरियोल एक प्रवासी पक्षी है जो भारत में गर्मियों के महीनों में आता है। इसकी यात्रा यूरोप और अफ्रीका से भारतीय उपमहाद्वीप तक होती है और यह एक गर्मियों का आगंतुक है। यह आमतौर पर अगस्त और सितंबर के आसपास भारत से प्रस्थान करता है। इनकी आगमन का मुख्य कारण प्रजनन के उद्देश्य से है। ये पक्षी अपने घोंसले बनाने और अपने बच्चों को पालने के लिए उपयुक्त परिस्थितियों की तलाश करते हैं। मानसून जो उनके आगमन के साथ मेल खाता है, पक्षियों के लिए कीटों और भोजन के स्रोतों की बहुतायत प्रदान करता है।

एनसीएससी में जूनियर साइंटिस्ट ऑफ स्टेट का खिताब जीत चुकी हैं डीपीएस एनटीपीसी की स्टूडेंट

कोरबा में रच-बस रही पक्षियों की दुनिया की नई खोज में जुटी युवा अन्वेषक सर्वज्ञा सिंह दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस) एनटीपीसी कोरबा में विज्ञान संकाय में कक्षा 12वीं विज्ञान की स्टूडेंट हैं। उनकी रुचि पक्षियों की दुनिया में तब से है जब कोविड के दौरान आसमान से गुजरते हुए उन्होंने छत से उनकी तस्वरें लेना शुरू किया। धीरे-धीरे उनकी रुचि बढ़ती गई और उन्होंने अध्ययन की दृष्टि से पक्षियों के व्यवहार को नोट करना शुरू किया। वर्ष 2022 में उन्होंने पक्षीविज्ञान में विस्तृत शोध करने का निर्णय लिया। उनकी मां एवं जीवविज्ञान की सहायक प्राध्यापक श्रीमती निधि सिंह ने हर कदम पर प्रोत्साहित किया और अनेक बार वन्य क्षेत्रों, पक्षी दर्शन केंद्रों में क्षेत्र भ्रमण के लिए भी लेकर गईं। वन्यजीवों के प्रति उनके समर्पण और छत्तीसगढ़ में उनके उत्कृष्ट कार्य ने उन्हें पक्षियों के संरक्षण के लिए कार्य करने के लिए प्रेरित किया। सर्वज्ञा ने कहा कि मां निधि मेरी आदर्श हैं और उनके समर्थन व मार्गदर्शन के बिना, जो कार्य मैं आज कर रही हूँ, वह संभव नहीं हो पाता। सर्वज्ञा वर्ष 2021 में नेशनल चिल्ड्रन साइंस कांग्रेस (एनसीएससी) में जूनियर साइंटिस्ट ऑफ स्टेट का खिताब जीत चुकी हैं। इस पुरस्कार ने उन्हें वन्यजीवों के क्षेत्र में काम करने के लिए प्रेरित किया। इसके अलावा वह छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा की भी एक सक्रिय सदस्य भी हैं, जिसने उन्हें इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। यह अनुभव उनके लिए एक नई दिशा की शुरुआत थी।


कुछ प्रवासी पक्षियों के नाम, जो हर साल कोरबा में उतरते हैं…
1. कॉमन सैंडपाइपर (Common Sandpiper)
2. वुड सैंडपाइपर (Wood Sandpiper)
3. कर्ल्यू सैंडपाइपर (Curlew Sandpiper)
4. गैडवॉल (Gadwall)
5. पेरेग्रीन फाल्कन (Peregrine Falcon)
6. व्हिम्ब्रेल (Whimbrel)
7. नॉर्दर्न पिंटेल (Northern Pintail)
8. कॉमन टील (Common Teal)
9. रेड-ब्रेस्टेड फ्लाईकैचर (Red-breasted Flycatcher)


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Aakash Pandey

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