अंगदान के पुनीत काम को मिलेगा राजकीय सम्मान, अंत्येष्टि पर दी जाएगी बंदूकों की सलामी


तमिलनाडु में इस आवश्यकता को ऑनर में बदलते हुए अंगदान करने वालों का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान दिए जाने का निर्णय लिया गया है।

चेन्नई(theValleygraph.com)। मानव कल्याण के लिए अंगदान की आवश्यकता आज किसी से छुपी नहीं है। इस आवश्यकता को ऑनर में बदलते हुए तमिलनाडु में अंगदान करने वालों का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ होगा। उम्मीद की जा रही है कि इस पहल से अंगदान करने जागरूकता बढ़ेगी और स्वस्फूर्त प्रेरित होकर लोग आगे आएंगे।

तमिलनाडु अंग दान दिवस पर लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय में राज्य के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा कि जिन मृतकों के अंग दान के लिए निकाले गए हैं, उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। स्टालिन ने कहा कि तमिलनाडु राज्य अंग दान के माध्यम से सैकड़ों रोगियों को नया जीवन देने में अग्रणी बना हुआ है। ऐसा सिर्फ उन परिवारों की पहल पर हो पाया है जो ब्रेन-डेड घोषित किए गए अपने परिजनों के अंगदान करने के लिए आगे आते हैं। वे ऐसे समय में स्वेच्छा से यह काम कर रहे हैं जब वे अपने परिवार के सदस्यों को खोने का दुख मना रहे हैं। इस निर्णय को मूर्त रूप देने की दिशा में अगले कुछ दिनों में शासकीय आदेश जारी होने की उम्मीद है जिसमें विस्तृत गाईडलाइन जारी होगी। उन्होंने बताया कि कलेक्टर या जिला प्रशासन के अन्य शीर्ष अधिकारी सम्मान करेंगे। पर यह पहल उन दानदाताओं पर लागू नहीं होगी जो जीवित हैं। उदाहरण के लिए, परिवार का कोई सदस्य या मित्र जिसने परिवार के किसी अन्य सदस्य या मित्र को किडनी दान की हो, वह सम्मान के लिए पात्र नहीं हो सकता है। ट्रांसप्लांट अथॉरिटी गवर्नमेंट ऑफ तमिलनाडु (ट्रांसटन) के सदस्य सचिव एन गोपालकृष्णन ने कहा कि आरजीजीजीएच में, हम दाताओं के शवों को परिवारों को सौंपते हुए ऑनर वॉक कर रहे हैं। मस्तिष्क-मृत रोगियों के मामले में, त्रासदी उनके जीवन की प्रमुख उम्र में घटित होती है। यह कदम दुख की घड़ी में परिवारों को कुछ सांत्वना देगा।

राज्य ऐसे हुआ अंगदान जैसे पुनीत पहल का जन्म
23 सितंबर को अंग दान दिवस के रूप में मनाने की परंपरा तमिलनाडु में 2008 में महज 15 साल एपी हितेंद्रन की दुखद मौत के बाद शुरू हुई। उनके माता-पिता डॉ. अशोकन और डॉ. पुष्पांजलि ने उनके अंगों को दान करने का फैसला किया। इस घटना ने राज्य भर में अंग दान में एक आंदोलन-जैसे पुनरुत्थान को जन्म दिया। ऐसे दान को मान्यता देने और बढ़ावा देने के लिए, सीएम एम करुणानिधि ने 23 सितंबर को अंग दान दिवस के रूप में घोषित किया। तमिलनाडु पिछले 15 वर्षों से अंगदान में देश का अग्रणी राज्य रहा है।
ग्रीन कॉरिडोर बनाकर त्वरित परिवहन की सुविधा
शनिवार को कलैवनार आरंगम में एक कार्यक्रम के दौरान अंग दाताओं को पुष्पांजलि अर्पित की गई और उनके रिश्तेदारों को सम्मानित किया गया। ग्रीन कॉरिडोर पहल के माध्यम से अंगों के त्वरित परिवहन की सुविधा प्रदान करने वाले दुख परामर्शदाताओं, शीर्ष प्रदर्शन करने वाले अस्पतालों और पुलिस कर्मियों को भी मान्यता दी गई। राज्य भर के सरकारी अस्पतालों में 13 अंग प्रत्यारोपण इकाइ थीं। डीएमके के सत्ता में आने के बाद, दान बढ़ाने के लिए 27 सरकारी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों को गैर-प्रत्यारोपण अंग पुनर्प्राप्ति केंद्र घोषित किया गया था। स्वास्थ्य मंत्री मा सुब्रमण्यम ने कहा कि तमिलनाडु अंगदान में अग्रणी है, लेकिन 6,179 मरीज़ किडनी, 449 मरीज़ लीवर, 72 मरीज़ हृदय, 60 मरीज़ फेफड़े और 24 मरीज़ हृदय और फेफड़े के लिए प्रतीक्षा कर रहे हैं।

सैकड़ों को जीवन देने वाला देश का अग्रणी राज्य

मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने राज्य अंगदान दिवस के इस अवसर पर कहा, तमिलनाडु अंगदान के जरिए सैकड़ों रोगियों को जीवन देने वाला देश का अग्रणी राज्य है। अगस्त में ही राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन ने तमिलनाडु को प्रत्यारोपण के लिए सर्वश्रेष्ठ राज्य का अवार्ड दिया है। यहां 2008 के बाद से 1,705 लोगों ने अंगदान किया है। इस दौरान 786 हृदय, 801 फेफड़े, 1,565 यकृत, 3,046 गुर्दे, 37 अग्नाशय और अन्य अंगों का प्रत्यारोपण किया गया। इससे अब तक 6,247 लोगों का जीवन बचाया गया है। राजकीय सम्मानः इस प्रक्रिया में अंत्येष्टि के दौरान पार्थिव शरीर को तिरंगे में लपेटा जाता है। पुलिस बैंड शोक संगीत बजाते हैं। बंदूकों की सलामी दी जाती है।


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