शरद पूर्णिमा पर अमृत वर्षा की आस्था के साथ चंद्रग्रहण की अद्भुत खगोलीय नजारे का आनंद


चंद्र ग्रहण की यह खूबसूरत तस्वीर कमला नेहरू महाविद्यालय, कोरबा के स्काई-वाचर से भूगोल विभाग के विभागाध्यक्ष अजय कुमार मिश्रा के द्वारा लिया गया। पौराणिक मान्यता के अनुसार इसी दिन मां लक्ष्मी का जन्म हुआ है। शरद पूर्णिमा की चांदनी सबसे ज्यादा चमकीली होती है।

कोरबा(theValleygraph.com)। इस बार शरद पूर्णिमा की अमृत वर्षा में चंद्र ग्रहण की मिलावट भी देखने को मिली। धार्मिक मान्यता में घुली अमृत की मिठास के साथ अंतरिक्ष में नजर आई चंद्रग्रहण की अद्भुत खगोलीय और वैज्ञानिक घटना का भी आनंद लिया गया। शरद पूर्णिमा इस बार 28 अक्टूबर को हुआ। इस पूर्णिमा की रात को खंडग्रास चंद्र ग्रहण लगा। चंद्र ग्रहण रात 1.06 पर शुरू हुआ और रात्रि 2.22 तक रहा। आंशिक चंद्र ग्रहण तब होता है, जब चंद्रमा का केवल एक हिस्सा पृथ्वी की छाया में प्रवेश करता है। जब पृथ्वी चंद्रमा एवं सूर्य के बीच आ जाती है तब चंद्र ग्रहण लगता है। इसे विज्ञान की भाषा में सिजिगी (Syzygy) कहते हैं। इस समय सूर्य, पृथ्वी एवं चंद्रमा एक सरल रेखा में होते हैं। इससे वियुति (Opposition) भी कहते हैं। शरद पूर्णिमा की रात्रि में चंद्रमा अपने 16 कलाओं से युक्त होता है। शरद की पूर्णिमा की रात चंद्रमा से अमृत रूप किरण बरसाने की मान्यता है। इसलिए इस दिन खीर को चांद की रोशनी में रखा जाता है। मान्यता यह है कि शरद पूर्णिमा के दिन चांद की रोशनी में रखी गई खीर अमृत के समान होती है। इस दिन लक्ष्मी पूजन का भी विधान है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इसी दिन मां लक्ष्मी का जन्म हुआ है। शरद पूर्णिमा की चांदनी सबसे ज्यादा चमकीली होती है। चंद्र ग्रहण की तस्वीर कमला नेहरू महाविद्यालय, कोरबा के स्काई- वाचर से भूगोल विभाग के विभागाध्यक्ष अजय कुमार मिश्रा के द्वारा लिया गया है।


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